Solar Storm: क्या होता सौर तूफान, क्या है इनका इतिहास, धरती को इनसे क्या-क्या खतरा, जानिए सब कुछ

जब सूरज पर गैसों की टकराहट से विस्फोट होते हैं तो उनसे सोलर फ्लेयर्स या सौर ज्वालाएं निकलती हैं और ये पृथ्वी की ओर कूच करती हैं। इनकी रफ्तार 30 लाख मील प्रति घंटे होती है।

जुलाई में दूसरी बार आज फिर सौर तूफान धरती पर धावा बोलने वाला है। इस महीने की शुरुआत में भी एक भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी से टकराया था। इससे कनाडा के आसमान में चमकीला ऑरोरा (चमकीला प्रकाश पुंज) बना था। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर सोलर फ्लेयर्स या सौर तूफान कैसे पैदा होते हैं? और करोड़ों मील दूर धरती तक पहुंचकर ये क्या नुकसान पहुंचाते हैं?

दरअसल, तूफान शब्द ही थोड़ा डरावना है। इसका नाम सुनते ही जेहन में प्रचंड हवा के साथ बारिश और चारों ओर तबाही का मंजर नजर आने लगता है, लेकिन सौर तूफान समुद्री तूफानों से अलग होते हैं। समुद्री तूफान धरती पर भीतर से हमला करते हैं तो सौर तूफान बाहर से।

विकराल ज्वालाएं पृथ्वी की ओर बोलती हैं धावा
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है सौर तूफान का सीधा जुड़ाव सौर मंडल से है और उसमें भी यह सीधे सूर्य से संबंधित है। असल में यह सूरज पर उठने वाली विकराल ज्वालाओं का समूह है, जो वहां गैसों के प्रभाव से होने वाले विस्फोट से पैदा होती हैं। ये विस्फोट कई परमाणु बमों जितने शक्तिशाली हो सकते हैं। जब सूरज पर गैसों की टकराहट से विस्फोट होते हैं तो उनसे सोलर फ्लेयर्स या सौर ज्वालाएं निकलती हैं और ये पृथ्वी की ओर कूच करती हैं। इनकी रफ्तार 30 लाख मील प्रति घंटे होती है।

पृथ्वी पर यह डालती हैं असर
सौर ज्वालाओं से आवेशित कणों की विशाल धाराएं जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शन (CME) कहा जाता है। जब ये पृथ्वी से टकराती हैं तो, ये सूरज से 15 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित धरती पर विद्युत आवेशों और चुंबकीय क्षेत्रों की एक धारा भेजती हैं। इनका असर उपग्रहों के जरिए होने वाले संचार तंत्र, बिजली की ग्रिड और समुद्री व हवाई परिवहन पर पड़ता है। फरवरी 2011 में चीन में शक्तिशाली सौर फ्लेयर के कारण पूरे देश में रेडियो संचार बाधित हो गया था।

हर 11 साल में आते हैं तेज सौर तूफान
सौर तूफानों का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार हर 11 साल में तेज सौर तूफान आते हैं। इस दौरान रोज या हर सप्ताह सोलर फ्लेयर्स आ सकते हैं। 2024 में सर्वाधिक सौर तूफान आ सकते हैं। इस महीने की शुरुआत में भी एक भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी से टकराया था। इससे कनाडा के ऊपर चमकीला प्रकाश पुंज बन गया था। 

दुनिया के कई हिस्सों में ब्लैकआउट का खतरा
अंतरिक्ष की मौसम महिला के नाम से मशहूर वैज्ञानिक डॉ. तमिता स्कोव ने एक ट्वीट कर सूर्य की ज्वालाओं की पृथ्वी से सीधी टक्कर की भविष्यवाणी की है। नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि सूर्य से बड़े पैमाने पर भड़की सौर ज्वाला से मंगलवार को दुनिया के कई हिस्सों में रेडियो ब्लैकआउट हो सकता है। नासा ने 19 जुलाई की सुबह इस प्रभाव के चरम पर होने की संभावना जताई है। 

सूर्य 11 साल के सक्रिय चरण में : डॉ. पांडे
नैनीताल स्थित आर्यभट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि सूर्य अब अपने 11 साल के सौर चक्र के सक्रिय चरण में है। इससे सोलर फ्लेयर जैसी घटनाओं में वृद्धि होने की उम्मीद है। आमतौर पर वे जीपीएस नेविगेशन सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण ब्लैकआउट का कारण बन सकते हैं। ये छोटे विमानों और जहाजों की यात्रा को बाधित कर सकते हैं। ज्यादा चिंता की कोई बात नहीं है।

कब-कब आया बड़ा सौर तूफान

  1. 1989 में आए सौर तूफान की वजह से कनाडा के क्यूबेक शहर में 12 घंटे बिजली गुल हो गई थी। लाखों लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। 
  2. 1859 में आए चर्चित सबसे शक्तिशाली जिओमैग्नेटिक तूफान ने यूरोप और अमेरिका में टेलीग्राफ नेटवर्क को नष्ट कर दिया था। 
  3. उधर, पश्चिमी व उत्तरी अमेरिका में इतनी तेज रोशनी हुई थी कि रात के समय लोग आसमान की रोशनी में अखबार पढ़ने में सक्षम हो गए थे।