भारत में बहुत से लोगों का ये सपना है कि वे विदेशों में जा कर अच्छे पैसे कमाएं. विदेश जाने वालों की कतार में हर तरह और हर प्रोफेशन के लोग शामिल रहते हैं. इनमें एक वर्ग ऐसा है जो मेहनत मजदूरी के लिए छोटे देशों की ओर रुख करता है. ज्यादा पैसे कमाने की इच्छा लिए लोग वहां जाते जरूर हैं लेकिन वहां की जिंदगी उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ देती है. यही वजह है कि पंजाब में विदेश को ‘मीठी जेल’ कहा जाता है. उक्त बातों को साबित करने के लिए एक बार फिर से हमारे सामने एक उदाहरण आया है.
एजेंटों ने 3000 डॉलर में बेच दिए युवक
पंजाब के युवकों का एक समूह हाल ही में लीबिया से लौटा है. इन युवकों ने मंगलवार को ये दावा किया कि विदेश भेजने के नाम पर उन्हें बेचा गया है. उनका कहना है कि उन्हें उनके एजेंटों ने 3,000 डॉलर यानी करीब 2.5 लाख रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से बेच दिया था. जालंधर के फिल्लौर का एक 33 वर्षीय व्यक्ति भी इस समूह का हिस्सा था. उसने पिछले महीने भेजे एक वीडियो एसओएस में आरोप लगाया गया था कि जालंधर के एक एजेंट ने उससे दुबई में घरेलू कामगार की नौकरी दिलाने का वादा किया था लेकिन वहां पहुंचने पर उसे पता चला कि एजेंट ने उसे वहां के एक स्थानीय के हाथों 13,000 दिरहम यानी लगभग 3 लाख रुपये में बेच दिया है.
विदेश मंत्रालय को धन्यवाद दिया
इस मामले में पीड़ित युवकों का दावा है कि बेचे जाने के बाद उन्हें एक कंपनी में बंधक बनाकर रखा गया और उनसे गुलामों की तरह काम कराया गया. इनमें से कुछ युवाओं ने मंगलवार को भारत के विदेश मंत्रालय का धन्यवाद दिया. युवाओं ने दावा किया कि मंत्रालय ने सही समय पर दखल दिया और उन्हें अपने देश वापस लाने में मदद की.
बता दें कि नौकरी के लिए विदेश भेजने के नाम युवकों के साथ धोखा करने वाले एजेंट को श्री आनंदपुर साहिब पुलिस द्वारा दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया है.
काम देने के नाम पर करा रहे थे गुलामी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी युवकों को यह कह कर लीबिया भेजा गया था कि इन्हें वहां के बेनगाजी स्थित एलसीसी सीमेंट कंपनी में मजदूरी करने का काम मिलेगा. लेकिन ये सभी जब लीबिया पहुंचने तो इन्हें ये समझते देर न लगी कि उनके एजेंट ने उन्हें कंपनी को बेच दिया गया है. युवकों का दावा है कि वहां रहने के दौरान कंपनी ने उन्हें 18 घंटे से अधिक समय तक काम करने के लिए मजबूर किया. हद तब हुई जब कई बार उनसे घंटों काम लेने के बाद भी उन्हें खाने-पीने को कुछ नहीं दिया गया.
पीड़ित ने बताई अपनी आपबीती
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लीबिया से लौटे कपूरथला के नूरपुर राजपूत गांव के गुरप्रीत सिंह ने बताया कि पिछले साल दिसंबर में उन्हें ड्राइवर की नौकरी के लिए दुबई भेजा गया था. लेकिन जब वह दुबई पहुंचे तो उन्हें अन्य कई युवकों के साथ लीबिया भेज दिया गया. गुरप्रीत ने बताया कि, ‘लीबिया पहुचने के बाद उन्हें सदमा तब लगा जब उन्होंने पाया कि न उनके पास रहने के लिए कोई जगह थी और ना ही खाने के लिए कुछ था. गुरप्रीत का कहना है कि वह कई दिनों तक बासी भोजन खा कर अपना पेट भरने को मजबूर रहे. इसके अलावा जिस कंपनी के लिए उन्होंने काम किया, उसने इन्हें मजदूरी के बदले कोई पैसा नहीं दिया.’ उनका कहना है कि इसका विरोध करने पर उनके साथ मारपीट भी की गई.
गुरप्रीत ने ये भी बताया कि, जब उन्होंने भारत वापस भेजने के बारे में कंपनी से कहा तो उन्हें वहां के अधिकारियों द्वारा पता चला कि उन्हें प्रति व्यक्ति 3,000 डॉलर की कीमत पर बेच दिया गया है. इसके बाद उन्हें अपनी आजादी के लिए कंपनी को प्रति व्यक्ति के हिसाब से 3,000 डॉलर का भुगतान करना था लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे.