Som Pradosh Vrat 2022 : सोम प्रदोष व्रत 5 दिसंबर, जानें महत्व पूजा विधि और उपाय

मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और उस समय सभी देवी-देवता उनके गुण का स्तवन करते हैं। ऐसे में जो भी जातक इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता है, उसकी सभी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है।

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प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस बार यह शुभ तिथि 5 दिसंबर दिन सोमवार को है। सोमवार को प्रदोष तिथि पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत, मंगलवार को आने की वजह से भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही यह व्रत संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि, महत्व और इस दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में…


सोम प्रदोष व्रत का महत्व

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, प्रदोष व्रत करने वाले जातकों की जीवन में कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता और उन पर सदैव शिव कृपा बनी रहती है। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और उस समय सभी देवी-देवता उनके गुण का स्तवन करते हैं। ऐसे में जो भी जातक इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करता है, उसकी सभी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है और व्यक्ति जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है। सोम प्रदोष व्रत का संबंध चंद्रमा से हैं और इस दिन व्रत रखने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। इस व्रत के शुभ प्रभाव से किसी भी कार्य में आ रही अड़चन दूर हो जाती है।

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इस समय को कहते हैं प्रदोष काल

सोम प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ का अभिषेक, रुद्राभिषेक और श्रृंगार का विशेष महत्व है। इस दिन प्रदोष काल में सच्चे मन से की गई पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। प्रदोष काल वह समय कहलाता है, जब सूर्यास्त हो रहा होता है और रात्रि आने के पूर्व समय को प्रदोष काल कहा जाता है। अर्थात सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक के काल को प्रदोष काल कहा जाता है।

सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

सोम प्रदोष व्रत – 5 दिसंबर 2022 दिन सोमवार

त्रयोदशी तिथि का आरंभ – 5 दिसंबर, सुबह 05 बजकर 57 मिनट

त्रयोदशी तिथि का समापन – 6 दिसंबर, सुबह 06 बजकर 46 मिनट

पूजा शुभ मुहूर्त – 5 दिसंबर, 05 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक

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सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि

सोम प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मवेला में उठकर स्नान आदि करने के बाद शिव मंदिर में जाकर ‘अहमद्य महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै सोमप्रदोषव्रतं करिष्ये’ यह कहकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूरे दिन उपवास रखें। पूजा में लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करना शुभ रहेगा। प्रदोष व्रत की पूजा सायंकाल के समय प्रदोष काल में की जाती है। इस दिन भक्त नियमपूर्वक शिवजी की पूजा करते हैं। सबसे पहले शिव का षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है। शिवलिंग पर बेलपत्र, अक्षत, धूप-दीप, जल, गंगाजल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके धूप-दीप से आरती उतारें और भोग लगाएं। इसके बाद एक माला ‘ऊँ नमः शिवाय’ और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और कथा सुनें। इसके बाद आप अन्न-जल ग्रहण कर सकते हैं।

सोम प्रदोष व्रत के दिन करें ये उपाय

  • संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति सोम प्रदोष का एक साथ व्रत करें और शिवलिंग का पंचगव्य से अभिषेक करें। ऐसा करने से आपको जल्द ही शुभ समाचार मिलेगा।

  • धन संबंधित समस्याओं मुक्ति और करियर में प्रगति के लिए दूध से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर फूलों की माला अर्पित करें। ऐसा करने से जल्द ही शिव कृपा प्राप्ति होती है। मान्‍यता है कि ऐसा करने से महादेव प्रसन्न भी होते हैं।

  • घर-परिवार में सुख-समृद्धि के लिए गाय के दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें और उनके मंत्रों का जप करें। ऐसा करने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी और आपसी प्रेम बना रहेगा।

  • रोगों से मुक्ति के लिए गाय के घी से शिवलिंग का अभिषेक करें और बेला के फूल या हरसिंगार के फूल अर्पित करें। ऐसा करने से सुख-संपत्ति बढ़ती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

  • अड़चनों और समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करें। जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें और काले तिल का दान भी करें। ऐसा करने से सभी अड़चन दूर होती हैं और पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है।