प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यदि प्रदोष व्रत सोमवार का दिन पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस बार अप्रैन महीने में 2 बार सोम प्रदोष व्रत आएगा। तो आइए जानते हैं चैत्र मास का सोम प्रदोष व्रत कब है और पूजा के लिए शुभ मुहूर्क कब से कब तक रहेगा।
अप्रैल में पहला प्रदोष व्रत 3 अप्रैल को लग रहा है। 3 अप्रैल को सोमवार है और इस दिन त्रयोदशी तिथि सुबह 6 बजकर 25 मिनट से लग रही है। इसलिए इसी दिन सोम प्रदोष व्रत किया जाएगा। सोम प्रदोष व्रत के बारे में कहा जाता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ प्रदोष काल में बड़े ही प्रसन्न रहते हैं नृत्य करते हैं। इस समय में जो भी भक्त सोम प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करते हैं और भोलेनाथ की पूजा फल, फूल, लड़्डू के साथ करें। भगवान भोलेनाथ को सफेद फूल अर्पित करें।
त्रयोदशी तिथि में पूजा का मुहूर्त शाम में सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद का होता है। इसी समय को प्रदोष काल कहते हैं। इस काल में मनुष्य को संध्या वंदना और ध्यान पूजन करना चाहिए। इससे सूर्य ग्रह भी अनुकूल होते हैं।
सोम प्रदोष का मुहूर्त 3 अप्रैल
त्रयोदशी तिथि का आरंभ 3 अप्रैल सुबह 6 बजकर 25 मिनट
त्रयोदशी तिथि का समापन 4 अप्रैल सुबह 8 बजकर 6 मिनट
सोम प्रदोष पूजा मुहूर्त
3 अप्रैल शाम 5 बजकर 55 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट
वहीं,अप्रैल में दूसरा सोम प्रदोष व्रत 17 अप्रैल को किया जाएगा। इस दिन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि होगी। इस दिन दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से त्रयोदशी तिथि लगेगी और प्रदोष व्रत का पूजन शाम 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 32 मिनट तक किया जा सकेगा।