छत्तीसगढ़ के कोरबा में किसान अब काले चावल (black rice) के बाद लाल चावल (red rice) की खेती भी करने लगे हैं. बाजार में इस चावल की ठीक-ठाक डिमांड है और ये 150 से 200 रुपये प्रति किग्रा बिक रहा है.
लाल चावल की शुरुआत पहले 5 किसानों ने की थी. उनसे प्रभावित होकर कोरबा के करतला ब्लॉक के 3 गांव घिनारा, बोतली और बिंझकोट के 13 किसानों ने 15 हेक्टेयर खेत में इस बार खेती शुरू की है.
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लाल चावल के बारे में कुछ एक्सपर्ट दावा करते हैं कि इसमें काफी पौष्टिकता होती है. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है. इसमें इन्फोसायनिन नाम का एंटीऑक्सिडेंट होता है. झारखंड, तमिलनाडु, केरल और बिहार में भी इसकी अच्छी खेती होती है. दावा किया जाता है कि ब्राउन राइस की तुलना में ये 10 गुना ज्यादा पौष्टिक होता है.
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न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक़, किसान दावा कर रहे हैं कि लाल चावल से 3 गुना ज्यादा फायदा मिलता है. इससे धान की खेती फायदेमंद हो गई है. इसमें फाइबर की मात्रा भी अधिक होती है जिसकी वजह से यह पाचन तंत्र में लाभकारी होता है.