कभी कैंसर, कभी पार्किंसन… यूक्रेन के खिलाफ जंग शुरू करने वाले पुतिन अगर अचानक मर जाएं तो क्या होगा?

Putin Disease News : कुछ स्वतंत्र रूसी अखबारों के मुताबिक, इस साल 24 फरवरी को जब पुतिन ‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’ का नाम देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की शुरुआत की तो रूस का कुलीन वर्ग चौंक गया और घबरा गया। हालांकि बाद के कुछ हफ्तों में ‘देशभक्ति’ की भावना ने जोर पकड़ लिया क्योंकि अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में थी।

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फाइल फोटो

मॉस्को : हाल के महीनों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के स्वास्थ्य को लेकर कई अटकलें लगाई गईं। खासकर यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद कहा गया कि उन्हें कैंसर या पार्किंसन जैसी कोई बीमारी है या उनकी हत्या का प्रयास किया जा चुका है। लेकिन किसी भी दावे की पुष्टि नहीं हो सकी। अल जजीरा से बात करते हुए विश्लेषक तातियाना स्टानोवाया ने कहा कि वह चाहें तो 10 साल या उससे अधिक समय के लिए सत्ता में रह सकते हैं, वास्तव में यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है। मैं उनकी स्वास्थ्य की समस्याओं पर बहुत ज्यादा भरोसी नहीं करती। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर अचानक पुतिन का निधन हो जाए तो क्या होगा?

खबर के अनुसार अगर 69 साल के पुतिन की मृत्यु हो जाती है या अचानक वह कुर्सी छोड़ देते हैं तो 14 दिन के भीतर फेडरेशन काउंसिल को राष्ट्रपति चुनाव करवाना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो सेंट्रल इलेक्शन कमीशन इस दिशा में कदम बढ़ाएगा। तब तक के लिए रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति होंगे। हालांकि मिखाइल मिशुस्टिन को पुतिन के करीबी के रूप में नहीं देखा जाता है और न ही वह किसी चुनाव के लिए उम्मीदवार का चेहरा हैं।

पुतिन के जाने से अतर्कलह का खतरा
स्टानोवाया का मानना है कि पुतिन के जाने से व्यावसायिक हितों, सुरक्षा अधिकारियों जैसे रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और कुलीन वर्गों के बीच एक ‘पावर वैक्यूम’ पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘अगर पुतिन को कल कुछ हो जाता है तो मुझे भरोसा है कि सिस्टम बच जाएगा क्योंकि यह अभी भी मजबूत है। लेकिन अगर आगे चलकर पुतिन को कुछ होता है, एक साल या उससे अधिक समय बाद, तो इस मामले में अस्थिरता के जोखिम बहुत अधिक हैं। हमें अतर्कलह देखने को मिल सकती है। अगले साल स्थिति और अधिक कठिन और अलग हो सकती है।’

पुतिन के बाद कौन?
कुछ स्वतंत्र रूसी अखबारों के मुताबिक, इस साल 24 फरवरी को जब पुतिन ‘स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन’ का नाम देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की शुरुआत की तो रूस का कुलीन वर्ग चौंक गया और घबरा गया। हालांकि बाद के कुछ हफ्तों में ‘देशभक्ति’ की भावना ने जोर पकड़ लिया क्योंकि अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में थी। कुछ खबरें दावा कर रही हैं कि क्रेमलिन के भीतर गुपचुप तरीके से इस बात पर चर्चा हो रही है कि ‘पुतिन के बाद कौन’? हालांकि स्टानोवाया को इन बातों में गंभीरता नजर नहीं आती। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में कोई नहीं जानता कि पुतिन के बाद कौन आएगा?

रूस के बारे में अनुमान लगा पाना मुश्किल
स्टानोवाया ने कहा, ‘राष्ट्रपति की मृत्यु की स्थिति में सारी जिम्मेदारियां प्रधानमंत्री के पास आती हैं। क्या रूस के प्रधानमंत्री सत्ता पर पकड़ कायम रख पाएंगे, कुछ भी कहा नहीं जा सकता।’ उन्होंने कहा कि हमें किसी भी तरह के पूर्वानुमान पर भरोसा नहीं करना चाहिए। सत्तावादी देशों के बारे में भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है क्योंकि हम नहीं जानते कि क्या होगा। रूस में कोई वैकल्पिक राजनीतिक ताकत या दूसरा गुट नहीं है जिसके बारे में हम बात कर सकते हैं।