कहीं बाहर से आकर होटल में ठहरे लोग नियमों की लापरवाही से सोते-सोते ही जान गंवा बैठें, तो कहीं कानूनों को धता बताकर रिहायशी इलाके में 2 मंजिला बिल्डिंग को 5 मंजिला अवैध फैक्ट्री बनाकर लोगों की जान को जोखिम में डाल दिया गया। रिहायशी इलाकों में अवैध निर्माण, पुरानी जर्जर इमारते और कानून की अनदेखी के लिए जिम्मेदार कौन। पढ़ें एनबीटी रिपोर्ट?
पुरानी जर्जर इमारतों, घटिया निर्माण और आग से बचाव के उपायों पर जिम्मेदारी कौन ओढ़ेगा? कौन भरेगा लापरवाही के सुराख? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात में मेयर्स सम्मेलन के दौरान इन मुद्दों पर फिक्र जताई। एनबीटी इन गंभीर मामलों पर लगातार संबंधित एजेंसियों का ध्यान खींच रहा है। मगर कितने संवेदनशील हैं सरकारी महकमे। राजधानी के एक दशक के दौरान हुए बड़े हादसों के आरोपियों का क्या हुआ, टीम एनबीटी ने इसकी पड़ताल कीः
आग का गोला बनी फैक्ट्री, जिंदा जल गए लोग
मुंडका अग्निकांड
कब हुई घटना: 13 मई को 5 मंजिला बिल्डिंग में आग लगी।
इस हादसे में जान गंवाने वालों में कई महिलाएं भी थीं, जो इस बिल्डिंग में बनी एक फैक्ट्री में काम कर रही थीं। इस मामले में पुलिस ने बिल्डिंग मालिक हरीश गोयल, वरुण गोयल समेत पांच आरोपियों को नामजद किया। इनमें बिल्डिंग का मालिकाना हक रखने वाले सुशील लाकड़ा, उनका बेटा मनीष लाकड़ा और मनीष की पत्नी सुमित्रा लाकड़ा शामिल हैं। इस प्रॉपर्टी के एक हिस्से को किराए पर लेकर उसमें फैक्ट्री चलाने वाले हरीश गोयल और वरुण गोयल शामिल थे।
कानूनी कार्रवाई: पुलिस इस मामले में 8 अगस्त,2022 को चार्जशीट दायर कर चुकी है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था। जांच में ये भी कहा गया कि बिल्डिंग को फायर डिपार्टमेंट ने एनओसी नहीं दी थी।
नगर निगम ने क्या कियाः हादसे के बाद एमसीडी ने तीन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की। इसमें लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर संदीप कौशिक, जनरल ब्रांच के सेक्शन अफसर (एसओ) एसके शर्मा और प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच के एसओ बीआर. मीणा को सस्पेंड कर दिया गया। जांच में इन्हें इस बात को दोषी बताया गया कि फैक्ट्री के कैटिगरी में आने वाले इस बिल्डिंग के बारे में लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर को सब कुछ पता था, लेकिन उसने कार्रवाई नहीं की।
70 साल पुरानी बिल्डिंग को बताया ‘ठीक’
सब्जी मंडी
घटना: 13 सितंबर 2021
करीब 70 साल पुरानी थी यह बिल्डिंग। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि आरोपी मोहक ने एक महीने पहले ग्राउंड फ्लोर की प्रापर्टी खरीदी थी और प्रॉपर्टी लेने के बाद दुकान के अंदर तोड़फोड़ करा रहा था।
कानूनी कार्रवाई: इस मामले में सब्जी मंडी थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 304, 288, 34 के तहत केस दर्ज किया था। पुलिस ने बिल्डिंग के मालिक मोहक अरोड़ा (26) को हादसे के अगले दिन गिरफ्तार कर लिया। जिला पुलिस उपायुक्त सागर सिंह कलसी का कहना है कि अभी इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। इसकी प्रक्रिया जारी है। इस मामले में एक आरोपी जो ठेकेदार था, वह फरार है। उसके खिलाफ अदालत से गैरजमानती वारंट जारी होने वाला है।
नगर निगम ने किया: हादसे की जांच करने के लिए एमसीडी ने तीन सदस्यीय कमिटी बनाई। कमिटी ने रिपोर्ट दी कि बिल्डिंग बाहर से देखने में ठीक थी और इसे खतरनाक होने की शिकायत किसी ने नहीं की थी। इसलिए जब इसके बारे में इंजीनियरों को कुछ पता ही नहीं है, तो कार्रवाई क्यों की जाए। इस तरह से एमसीडी ने इस हादसे में दो मासूम बच्चों की जान जाने के बाद भी किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
200 कमरों वाली बिल्डिंग ताश के पत्तों की तरह ढह गई
ललिता पार्क, लक्ष्मी नगर
घटना: 2010 में बिल्डिंग गिरी
1988 में सिंगल स्टोरी बिल्डिंग अवैध रूप से बेसमेंट समेत छह मंजिला बन गई थी। कमजोर नींव वाली बिल्डिंग में 200 कमरों में 200 किराएदार रहते थे। तीन महीने तक पानी से बेसमेंट लबालब भरी रही। बिल्डिंग मालिक अमृत सिंह ने किरायेदारों के कहने के बावजूद कुछ नहीं किया।
कानूनी कार्रवाई: अमृत गिरफ्तार हुए, जिनके खिलाफ पुलिस ने गैर इरादतन हत्या (304) और जानबूझकर चोट पहुंचाने (325) के तहत जनवरी 2011 में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। अमृत की 13 दिसंबर 2021 को मौत हो गई। इस वजह से 4 फरवरी 2022 को केस बंद कर दिया गया।
नगर निगम ने क्या किया: इस मामले में नगर निगम ने विजिलेंस डिपार्टमेंट ने जांच की और 8 साल की जांच के बाद पाया कि इस हादसे के लिए नगर निगम के जूनियर इंजीनियर राजेंद्र कौशिक जिम्मेदार हैं। आरोप लगाया गया कि कौशिक इस एरिया में तैनात थे, उस वक्त ही ये अवैध बिल्डिंग बनी थी। सजा के तौर पर उनकी पेंशन राशि में से एक साल तक पांच प्रतिशत की कटौती करने का आदेश दिया। इस तरह से पूरे एक साल में उनकी पेंशन में से 21 हजार रुपये की कटौती की गई।
सोते-सोते घुटकर मर गए होटल में ठहरे गेस्ट
अर्पित होटल
घटना: होटल में लगी भयानक आग।
सिर्फ ढाई मंजिल की इजाजत थी, जिसे चार मंजिला बना दिया गया था। इस मामले में होटल मालिक राकेश गोयल, उनके भाई शरदेंदु गोयल, जनरल मैनेजर राजेंद्र कुमार और मैनेजर विकास कुमार को गिरफ्तार किया गया था।
कानूनी कार्रवाई: क्राइम ब्रांच ने इस केस में मई 2019 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। जांच में पता चला कि सभी तरह के लाइसेंस लेने में फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था। इनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या, गैर इरादतन हत्या का प्रयास, जालसाजी, सबूत मिटाने और आपराधिक साजिश समेत कई धाराएं लगाई गईं। पुलिस का दावा था कि सुरक्षा के बजाय इनका एकमात्र मकसद गेस्ट से पैसा कमाना था।
नगर निगम का एक्शन: बिल्डिंग बनने से लेकर हादसे के बीच की अवधि में जिन इंजीनियरों की इस एरिया में ड्यूटी थी, उनकी लिस्ट बनाई। इस मामले में इंजीनियरों को चार्जशीट दी गई। हेल्थ ट्रेड लाइसेंस के लिए कुछ पब्लिक डिपार्टमेंट के अफसरों को भी चार्जशीट दी गई। लेकिन ये सभी फिर से नौकरी पर हैं। जिस इंजीनियर के कार्यकाल में अर्पित होटल का निर्माण हुआ था। बिल्डिंग विभाग के उस इंजीनियर को कुछ सालों बाद प्रमोशन देकर चीफ इंजीनियर बना दिया गया।