मेहनत करने वाले भी दो तरह के होते हैं. पहले वे जो जी-तोड़ मेहनत करते हैं और उन्हें जितना मिल जाता है उसी को अपनी किसमत मान कर संतुष्ट हो जाते हैं. दूसरे होते हैं वे लोग, जिन्हें अपनी काबिलियत का अच्छे से पता होता है. ऐसे लोगों की ना तो मेहनत रुकती है और ना कामयाबी. ये हर सफलता पाने के बाद नया रास्ता खोजते हैं और मेहनत के साथ उस रास्ते पर आगे बढ़ते हैं.
ये लोग जब अपनी असली मंज़िल तक पहुंचते हैं, तो दुनिया इन्हें सलाम करती है. आज की कहानी एक ऐसे ही शख़्स की है, जो पैदा हुआ एक साधारण से किसान परिवार में, पढ़-लिख कर पटवारी बन गया लेकिन वहीं रुकने की जगह आगे बढ़ने का रास्ता बनाता रहा. वो अपनी मेहनत से इतना आगे बढ़ गया कि आज लोग उन्हें एक आईपीएस ऑफिसर के रूप में जानते हैं.
ऊंट-गाड़ी खींचने वाले का बेटा, जो IPS अफ़सर बना
आज हम जिस आईपीएस ऑफिसर की बात कर रहे हैं उनका नाम है प्रेम सुख डेलू. राजस्थान के बीकानेर जिले के रासीसर निवासी प्रेम गुजरात कैडर के अमरेली में आईपीएस पद पर कार्यरत हैं. इनके लिए इस पद तक पहुँचना ऐसा था जैसे मानों नंगे पाँव आपको बर्फीले पहाड़ की चोटी छूनी हो लेकिन प्रेम के इरादे हमेशा से मजबूत रहे हैं.
खास बात ये रही कि मजबूत इरादों के साथ साथ इनकी सोच भी कमाल की रही. इन्होंने बड़ी सफलता की चाह में छोटी सफलताओं को नकारा नहीं. हालांकि जिस जगह और जिन परिस्थितियों से उठ कर प्रेम आगे बढ़ रहे थे वहां से छोटे बड़े का अंतर मालूम नहीं पड़ता. वहां से तो बस एक अच्छी नौकरी दिखती है जिसके सहारे आप अपने परिवार और खुद को तंगहाली से बाहर निकाल सकें. प्रेम ने भी यही किया.
प्रेम एक किसान परिवार से आते हैं. किसान भी ऐसे जिनके पास कुछ खास ज़मीन नहीं थी. इनके पिता ऊँटगाड़ी चला कर लोगों का सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते थे. शिक्षा की बात करें तो प्रेम की पीढ़ी से पहले इनके परिवार के किसी सदस्य ने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा था. अब ऐसे परिवार से आने के बाद इंसान एक अच्छी नौकरी के सिवा और क्या चाहेगा. प्रेम ने भी यही चाहा.
बचपन में ही समझ गए थे ये बात
अपने घर परिवार की स्थिति को देखते हुए प्रेम बचपन में ही ये बात समझ गए थे कि उनके पास एक शिक्षा ही ऐसा माध्यम है जिसके सहारे वह खुद को और अपने को इस गरीबी से निकाल कर समाज में एक सम्मान दिला सकते हैं. यही वजह रही कि बचपन से ही उनका ध्यान सिर्फ पढ़ाई में रहा. उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई अपने ही गाँव के सरकारी स्कूल से की.
इसके बाद आगे की शिक्षा उन्होंने बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज से प्राप्त की. प्रेम की लगन और मेहनत पहले से ही इस बात की ओर इशारा कर रही थीं कि वह कुछ बड़ा करेंगे. उन्होंने इतिहास विषय में एम. ए. किया तथा गोल्ड मेडलिस्ट रहे. इसी के साथ प्रेम ने इतिहास विषय में यूजीसी-नेट और जेआरएफ की परीक्षा भी पास की.
वह धीरे धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे थे. प्रेम और उनके घर के जैसे हालत थे उस हिसाब से उन्होंने कभी अपना लक्ष्य बड़ा नहीं रखा. उनके सामने जो भी परीक्षाएं आती गईं वे उन सभी में सफल होते गए. फिलहाल उनके लिए जरूरी था एक अच्छी नौकरी प्राप्त करना जिससे परिवार को आर्थिक सहायता मिल सके.
भाई ने दिखाया प्रेम को नया रास्ता
ये साल 2010 था जब प्रेम ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. अब उन्हें एक नौकरी चाहिए थी. प्रेम के बड़े भाई राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल हैं. उन्होंने ही प्रेम को प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए प्रेरित किया. इधर प्रेम के मन में भी था कि वह किसी सरकारी पद को पा जाएं. इसी साल पटवारी की भर्ती निकली और प्रेम ने उसके लिए आवेदन भर दिया.
प्रेम काबिल थे इसमें कोई संशय नहीं था लेकिन पटवारी के पद हेतु हुए चयन ने आसपास के लोगों में उनके कद को बढ़ा दिया. जिन परिस्थियों से प्रेम निकले थे उस अनुसार पटवारी की नौकरी बहुत मायने रखती थी लेकिन प्रेम प्रतियोगिता परीक्षाएं देने के बाद ये समझ चुके थे कि वे इससे अधिक करने की क्षमता रखते हैं. फिर तो जैसे परीक्षाएं देने की रेस सी लग गई प्रेम के जीवन में.
वह हर प्रतियोगिता परीक्षा का फार्म भरने लगे. पटवारी की नौकरी करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी तथा मास्टर्स की डिग्री प्राप्त कर ली. इसी के साथ परीक्षाएं देने का सिलसिला भी चलता रहा.
एक के बाद एक सफलता मिलती रही
पटवारी का पद प्राप्त करने के बाद उन्होंने राजस्थान में ग्राम सेवक के पद हेतु निकली परीक्षा में दूसरा रैंक प्राप्त किया. इसके बाद उन्होंने असिस्टेंट जेलर के पद हेतु परीक्षा दी. इस परीक्षा में वह पूरे राजस्थान में पहले स्थान पर रहे. उस समय प्रेम के अंदर प्रतियोगिता परीक्षाओं को लेकर कैसा जुनून था इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वह जब तक जेलर की पोस्ट ज्वाइन करते तब तक उनके द्वारा दी गई सब-इंस्पेक्टर की परीक्षा का परिणाम भी आ गया तथा उन्होंने उस परीक्षा को भी क्लियर कर लिया था.
इतने अच्छे पद मिलने के बाद शायद उन्हें रुक जाना चाहिए था लेकिन वह समझ रहे थे कि वह इससे भी बेहतर कर सकते हैं. इसके अगले साल ही प्रेम ने बीएड परीक्षा पास की तथा नेट का एग्जाम दिया. हर बार की तरह इस परीक्षा में भी वह पास हुए तथा उन्हें कॉलेज में लेक्चरर का पद मिल गया. सफर अभी समाप्त नहीं हुआ था. अभी इनके कंधे पर सफलता के और सितारे जुड़ने बाक़ी थे. प्रेम का मानना था कि वह अपने परिवार के लिए सम्मान तभी कमा सकते हैं यदि वह किसी उच्च पद पर हों. इसलिए उनका यह लक्ष्य बन गया कि उन्हें बेहतर से बेहतर पद पाना है. इसी दौरान उनके अंदर सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने का जुनून जागा.
प्राप्त कर ली अपनी मंज़िल और सबसे बड़ी सफलता
कॉलेज में लेक्चरर लगने के बाद प्रेम ने बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ खुद की पढ़ाई भी जारी रखी. लेक्चरर की नौकरी प्राप्त होने के बाद उन्होंने राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में तहसीलदार के पद हेतु परीक्षा दी तथा इस में भी वह सफल रहे. तहसीलदार के पद पर रहते हुए ही प्रेम ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू की. जिस परीक्षा के लिए लोग सालों साल तैयारी करते हैं,
हर विषय की क्लास ज्वाइन करते हैं उस परीक्षा की तैयारी भी प्रेम ने बहुत साधारण तरीके से की. उन्होंने केवल कानून और नैतिकता के विषय के लिए एक महीने क्लास की तथा समान्य ज्ञान के लिए कुछ दिन कोचिंग ली. इसके बाद वह खुद से ही अपनी तैयारी करते रहे. हालांकि नौकरी के साथ साथ इतनी कठिन परीक्षा के लिए खुद से तैयारी करना आसान नहीं था मगर प्रेम ने अपनी एकाग्रता से इसे आसान बना लिया.
वह अपनी नौकरी के बाद बचे हुए समय में पढ़ाई के सिवा और कहीं ध्यान नहीं लगाते. छुट्टी वाले दिन भी उनका सारा ध्यान पढ़ने पर ही रहता. उनका मन जब पढ़ाई से ऊबने लगता तो वो अपने माता पिता और दोस्तों से फोन पर बात कर लेते या फिर 15-20 मिनट के लिए बाहर से टहल आते और फिर से जुट जाते पढ़ाई में. उन्होंने तैयारी के दौरान टाइम मैंनेजमैंट का खूब ध्यान रखा.
2015 में इस लगन और मेहनत के साथ उन्होंने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा क्लियर कर ली. उनका ऑल इंडिया 170वां रैंक आया.
यूपीएससी को लेकर मानी जाने वाली कई बातों
यूपीएससी क्लियर करने के साथ ही प्रेम ने कई भ्रम भी तोड़े. जैसे कि यूपीएससी के लिए ज्यादातर लोग इंग्लिश भाषा को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं. ऐसे लोगों को लगता है कि इंग्लिश मीडियम से ही अंक प्राप्त किये जा सकते हैं. इन्हें जवाब देते हुए प्रेम ने हिंदी में यूपीएससी की परीक्षा दी तथा 170वां रैंक प्राप्त किया. इसके साथ ही वह पूरे देश में हिंदी परीक्षा देने वालों में पहले स्थान पर रहे.
ऐसा ही एक और भ्रम है लोगों के बीच. दरअसल आम तौर पर कहा जाता है कि यूपीएससी इंटरव्यू के दौरान आपको फॉर्मल्स कपड़ों में होना जरूरी है. लोग मानते हैं कि इससे मार्किंग में फर्क पड़ता है लेकिन प्रेम ने इस बात को गलत साबित किया. वह साधारण कपड़ों में ही इंटरव्यू देने गए. उनसे उनके विषय और उनके प्रदेश के बारे में सवाल पूछे गए और प्रेम ने पूरे आत्मविश्वास से इनके उत्तर दिए.
इसके बाद उन्हें सलेक्ट कर लिया है. कहने का मतलब यही है कि अगर आप इंटरव्यू के समय अपने ज्ञान की वजह से आत्मविश्वास से भरे रहेंगे फिर ड्रेसिंग सेंस से भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
प्रेम को गुजरात कैडर मिला तथा उनकी पहली पोस्टिंग गुजरात के अमरेली में एसीपी के पद पर हुई. भले ही अब प्रेम सुख के प्रतियोगिता परीक्षाएं देने का सिलसिला रुक गया हो लेकिन उनके लक्ष्य साधने की आदत अभी भी बरकरार है. देश के एक प्रतिष्ठित पद को पा लेने के बाद अब प्रेम का लक्ष्य है पुलिस विभाग के लिए कुछ बेहतर करना तथा समाज में सुधार लाना. उनकी सच्ची लगन और मेहनत कई युवाओं के लिए प्रेरणा है.