डीएवी पब्लिक स्कूल जोगिंदरनगर में खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन
खेल-कूद शिक्षा का अनिवार्य अंग है । अच्छी शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों का शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास करना है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए डीएवी पब्लिक स्कूल जोगिंदरनगर में खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया | जिसमें कक्षा पहली से लेकर कक्षा नौवीं तक के छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया |सबसे पहले प्रत्येक खेलकूद में भाग लेने वाले सभी खिलाडियों ने एक मार्च-पास्ट का आयोजन किया । इसके बाद खेलकूद शिक्षक बलदेव सिंह द्वारा प्रतियोगिता शुरू करवाई गई |
कई तरह के खेलों में चार सदनों के लगभग 150 बच्चों ने अपना हुनर दिखाया |कक्षा- पहली में मेंढक कूद दौड़ में आरव ने प्रथम,मनन ने द्वितीय और रियांश ने तृतीय स्थान प्राप्त किया | कक्षा- दूसरी में नींबू चम्मच दौड़ में ॠत्विक ने प्रथम स्थान,शानवी ने द्वितीय स्थान और शैवी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया| कक्षा- तीसरी में लंगड़ी टांग दौड़ में विक्रम,अरनव और आन्वी शर्मा ने प्रथम स्थान,वरूण, आर्षभ, शाम्भवी और श्रेया ने द्वितीय स्थान,अक्षत,अंशुमन, एंजल और अर्षिता ने तृतीय स्थान प्राप्त किया| कक्षा- चौथी में तीन टांगों वाली दौड़ में रणित सिंह और प्रतीक ने प्रथम स्थान, धनुष और कृषांग ने द्वितीय स्थान और यदुनंदन और ओजस आर्य ने तृतीय स्थान प्राप्त किया |
कक्षा- पांचवी में तीन टांगो वाली दौड़ में आरव और पार्थ व शानवी और शशि ने प्रथम स्थान,विपुल और प्रबल व कृतिका और अदिति ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया | बैडमिंटन में विवेकानंद सदन के शुभम और वशिष्ठ ने प्रथम स्थान और हंसराज सदन के आदित्य और गौरव ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया | रस्साकशी में हंसराज सदन ने प्रथम और टैगोर सदन ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया | इसके बाद प्रधानाचार्य संजय ठाकुर ने सभी बच्चों को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी और साथ ही उन्होंने बच्चों को खेल के प्रति जागरुक किया |
उन्होंने कहा कि खेल के माध्यम से युवाओं के बीच मित्रता की भावना पैदा होती है ,उनमें एकता की भावना विकसित होती है उनका ध्यान और लगन मजबूत होता है | यह न केवल व्यक्ति के दिमाग को तेज बनाता है बल्कि मन को भी मजबूत और सक्रिय बनाता है और विद्यार्थियों में नेतृत्व, आज्ञा पालन, समान लक्ष्य के लिए मिलकर काम करना, खेल की भावना, साहस, सहनशीलता जैसे आवश्यक सद्गुणों का विकास होता है । साथ ही शरीर की अच्छी कसरत भी हो जाती है ।
उपर्युक्त गुणों से सम्पन्न, रचरथ शरीर के बालक ही आगे चलकर देश के योग्य नागरिक बन सकते हैं । हमारे देश की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी यही कहती है कि जो लोग खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं ना केवल खेल में बल्कि अपने जीवन में भी बहुमूल्य साबित होते हैं | उन्होंने कहा कि अच्छे विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे सभी बातों पर समुचित ध्यान दे । उसे पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए । लेकिन खेलकूद तथा अन्य गतिविधियों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए ।
उसे इस कहावत का पालन करना चाहिए कि ”काम के समय काम और खेल के समय खेल । सुख और प्रसन्नता का यही मार्ग है । शारीरिक शिक्षक बलदेव सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य ही धन है’ एक पुरानी कहावत है, जो आज भी उतनी ही सच है । अनेक प्रकार के खेलकूदों के द्वारा विद्यार्थी अपने स्वास्थ और शरीर का निर्माण कर सकते हैं ।