कोलंबो. भारत ने बुधवार को मीडिया में आई उन खबरों को ‘निराधार और कयास आधारित’ बताया कि भारत ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर मालदीव जाने में मदद की है. राजपक्षे देश की अर्थव्यवस्था को न संभाल पाने के कारण उनके और उनके परिवार के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश के बीच बुधवार को सेना के एक विमान से देश छोड़कर मालदीव पहुंच गए हैं. श्रीलंका के 73 वर्षीय नेता अपनी पत्नी और दो सुरक्षा अधिकारियों के साथ सेना के एक विमान में देश छोड़कर चले गए.
श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने इस खबर का खंडन करते हुए ट्वीट किया कि उच्चायोग मीडिया में आयी उन खबरों को निराधार तथा महज अटकल के तौर पर खारिज करता है कि भारत ने गोटबाया राजपक्षे को श्रीलंका से बाहर जाने में मदद की. उच्चायोग ने आगे कहा कि यह दोहराया जाता है कि भारत लोकतांत्रिक माध्यमों और मूल्यों, स्थापित लोकतांत्रिक संस्थानों और संवैधानिक रूपरेखा के जरिए समृद्धि एवं प्रगति की आकांक्षाओं को पूरा करने में श्रीलंका के लोगों का सहयोग करता रहेगा.
श्रीलंका की वायु सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा है कि सरकार के अनुरोध पर और संविधान के तहत राष्ट्रपति को मिली शक्तियों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय की पूर्ण स्वीकृति के साथ राष्ट्रपति, उनकी पत्नी और दो सुरक्षा अधिकारियों को 13 जुलाई को कटुनायके अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से मालदीव रवाना होने के लिए श्रीलंकाई वायु सेना का विमान उपलब्ध कराया गया.
गोटबाया 8 जुलाई के बाद से कोलंबो में नहीं दिख रहे थे. मंगलवार यानी 12 जुलाई को नौसेना के जहाज से भागने की फिराक में थे, लेकिन पोर्ट पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने पासपोर्ट पर सील लगाने के लिए VIP सुईट में जाने से इनकार कर दिया था. राजपक्षे ने जोर दिया था कि देशभर में चल रहे विरोध की वजह से दूसरी सार्वजनिक सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, लेकिन अफसर नहीं माने थे.
ऐसा बताया जा रहा है कि राजपक्षे नई सरकार द्वारा गिरफ्तारी की आशंका से बचने के लिए इस्तीफा देने से पहले विदेश जाना चाहते थे. गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश स्वतंत्रता मिलने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है. गोटबाया को राष्ट्रपति पद से हटाने की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. आर्थिक संकट के कारण लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.