भुखमरी की कगार पर श्रीलंका: कागज-स्याही को तरस रहा है देश, खाने-पीने की चीजों के लिए मारामारी!

इन दिनों भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका आर्थिक और मानवीय संकट (crisis in sri lanka) से जूझ रहा है. इस देश में खाद्य सामग्री की कीमतें आसमान छू रही हैं और ईंधन की कमी के कारण पेट्रोल पंप पर लंबी कतारें लगी हुई हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि सरकार ने गैस स्टेशनों पर सेना को तैनात कर दिया है.

कागज,स्याही तक को तरस रहा है श्रीलंका

रिपोर्ट के मुताबिक इस देश में एक कप चाय की कीमत 100 रु. हो गई है. वहीं चावल 290 रुपए किलो हो गया है और शक्कर 290 रुपये किलो हो गई है. सोने की लंका कही जाने वाली श्रीलंका के पास अब विदेश मुद्रा भंडार खत्म होता जा रहा है. इतना ही नहीं लंका पर करीब 32 अरब डॉलर का कर्ज भी है. इतना ही नहीं देश में विदेशी मुद्र की कमी के कारण कागज, इंक और भी सामग्रियों का आयात नहीं हो पा रहा है. 

2000 श्रीलंकाई शरणार्थियों के आने की उम्मीद

इन सबके बीच भारत पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. हाल ही में 16 श्रीलंकाई शरणार्थियों (Sri Lankan refugees ) का जत्था नाव की मदद से तमिलनाडु के तट पर पहुंचा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में करीब 2000 से ज्यादा शरणार्थियों के आने की उम्मीद है.  

16 श्रीलंकाई शरणार्थी भारत पहुंचे 

16 श्रीलंकाई शरणार्थियों ने पुलिस को बताया कि उनके देश में कई हफ्तों से खाने को लेकर संकट चल रहा है इसलिए उन्हें भारत आने पर मजबूर होना पड़ा. उन्होने बताया कि भारतीय मछुआरों को 50 हजार रुपये दिए हैं तब उन्होंने हमें भारत के समुद्री तट पर छोड़ा है. गौतरलब है कि भारत में रोहिंग्या मुस्लमान पहले से ही शरणार्थी बनकर बसे हुए हैं. वहीं अब श्रीलंकाई शरणार्थियों का केस भारत के लिए बड़ी समस्या बनता जा रहा है. 

1980 में भी श्रीलंका में हुआ था पलायन

अगर हम इतिहास के पन्नों को पलटे तो साल 1980 में श्रीलंका गृहयुद्ध में 1,00,000 से अधिक लोग भारत में शरणार्थी बनकर आए थे. एक्सपर्ट्स की मानें तो 2009 के बाद से श्रीलंका में पलायन रुक चुका है. वहीं भारत लगातार श्रीलंका की मदद कर रहा है. पिछले 17 मार्च 2022 को भारत (India) ने ऋण के तौर पर श्रीलंका को 1 बिलियन डॉलर दिया है.