श्रीलंका की प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेता सजित प्रेमादासा ने बीबीसी को बताया है कि वे श्रीलंका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार होंगे.
आर्थिक संकट और सियासी उठापटक के बीच श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने ऐलान किया है कि वे 13 जुलाई को अपना पद छोड़ देंगे.
सजित प्रेमदासा की पार्टी समाजी जन बालावेगाया ने अपने सहयोगी दलों से, राष्ट्रपति पद के लिए समर्थक मांगा है.
श्रीलंका इस समय अप्रत्याशित आर्थिक संक से गुज़र रहा है जिसके कारण हज़ारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं. श्रीलंका के पास कैश ख़त्म हो गया है कि वो खाद्यान, ईंधन और दवाएं तक आयात नहीं कर पा रहा है.
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श्रीलंका की संसद के स्पीकर ने कहा है कि 20 जुलाई को सांसद अगले राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे.
सजित प्रेमदासा ने बीबीसी को बताया है की उनकी पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने, राष्ट्रपति पद के लिए उनके नाम पर सहमति जताई है.
प्रेमदासा 2019 में राष्ट्रपति चुनाव में हार गए थे और अब उन्हें चुने जाने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों का साथ चाहिए होगा.
उन्हें उम्मीद है राजपक्षे परिवार के ख़िलाफ़ जनाक्रोश की वजह से दोनों तरफ़ को सांसद उनका साथ दे सकते हैं.
श्रीलंका की महंगाई दर जून महीने में 55 फ़ीसद तक पहुँच गई थी. लाखों लोग अपने जीवनयापन के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे हैं.
प्रेमदासा ने कहा है कि वे सर्वदलीय अंतरिम सरकार में शामिल होने को भी तैयार हैं.
सजित प्रेमदासा को अप्रैल में प्रधानमंत्री पद की पेशकश हुई थी जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. उस समय उनके इस क़दम की काफ़ी आलोचना हुई थी.
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तब उनके प्रतिद्वंद्वी रानिल विक्रमासिंघे ने प्रधानमंत्री बने थे. अब विक्रमसिंघे ने भी कहा है कि वे भविष्य में बनने वाली किसी भी सर्वदलीय सरकार के अस्तित्व आने पर, अपना पद छोड़ देंगे.
प्रेमदासा ने श्रीलंका की वर्तमान स्थिति को अनिश्चतता से भार और पूरी तरह से अराजक बताया है. उन्होंने कहा है कि इस समय “सहयोग, सहमति, विचार-विमर्श और एक साथ आने” की ज़रुरत है.
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श्रीलंका के स्थानीय मीडिया के अनुसार अब देश में महज़ 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है.
पेट्रोल-डीज़ल की कमी की वजह से देश का जन यातायात का सिस्टम तबाह होते जा रहा है. देश भर में बिजली की कटौती
जारी है क्योंकि पॉवर प्लांट्स को चलाने के लिए ईंधन ही उपलब्ध नहीं है. कई नागरिक देश छोड़कर जाना चाह रहे हैं.
सजित प्रेमदासा ने बीबीसी को बताया कि हालात को सुधारने का कोई आसान तरीका नहीं है.
उन्होंने कहा कि साल 2019 जैसी आर्थिक स्थिती में लौटने के लिए करीब चार से पांच साल लगेंगे और उनकी पार्टी के पास इस संकट से उभरने के लिए एक आर्थिक योजना है.
प्रेमादासा ने बीबीसी को बताया, “हम लोगों को धोखा नहीं देंगे. हम पारदर्शी रहेंगे और श्रीलंका की आर्थिक मुसीबतों से निपटने के लिए एक ठोस योजना पेश करेंगे.”
लेकिन कोलंबो में मौजूद प्रदर्शन कारियों ने कहा है कि मौजूदा संकट के लिए सभी 225 सांसद ज़िम्मेदार हैं. प्रदर्शनकारी कह रहे हैं कि अब श्रीलंका की राजनीति में अब नए और ऊर्जावान लोगों को आने की ज़रुरत है.