गोरखपुर पुलिस लाइंस में बुधवार को कुछ नजारा फिल्म ‘नायक’ जैसा देखने को मिला। फिल्म देखने पर हर कोई यही सोचता है कि अगर वास्तव में ऐसा होता तो कितना अच्छा रहेगा। बुधवार को कम से कम गोरखपुर में ऐसा देखने को मिल ही गया।
गोरखपुर में अलग-अलग समस्याओं को लेकर लंबे समय से पुलिस कार्यालयों के चक्कर लगा रहे पीड़ितों के लिए बुधवार का दिन बड़ी राहत लेकर आया। एसएसपी डॉ. विपिन ताड़ा एक-एक कर फरियादियों की समस्याएं सुन रहे थे। मामलों में कार्रवाई नहीं होने की संबंधित थाने, बीट पुलिस से वजह पूछी जा रही थी।
वजह वाजिब नहीं लगी तो तत्काल कंप्यूटर के की-बोर्ड पर एक पुलिस अधिकारी की अंगुलियां दौड़ने लगती और देखते ही देखते संबंधित अधिकारी के लाइन हाजिर, निलंबन और जवाब-तलब संबंधी आदेश सामने आ जा रहे थे। संभवत: गोरखपुर या फिर उत्तर प्रदेश में इस तरह की सुनवाई व कार्रवाई पहली बार हुई है।
थानेदारों की मनमानी से परेशान हो रहे फरियादियों की संख्या में लगातार वृद्धि देख एसएसपी ने नई पहल शुरू की है। उन्होंने कार्यालय में आए फरियादियों और संबंधित पुलिस कर्मियों को बुधवार को पुलिस लाइंस बुलाया। फरियादियों को अपने प्रार्थना-पत्र तो पुलिस को अब तक हुई कार्रवाई से जुड़े दस्तावेजों के साथ बुलाया गया। दोपहर तीन बजे से पुलिस लाइंस में एसएसपी का जनता दरबार शुरू हुआ।
थानेवार एक-एक कर फरियादियों को बुलाया जाता रहा। खुद एसएसपी उनकी समस्याएं सुनते और अब तक हुई कार्रवाई के बारे में संबंधित पुलिस अधिकारी से पूछताछ शुरू करते। कार्रवाई संतोषजनक नहीं मिलने पर तत्काल एसएसपी अपने पीआरओ को निर्देशित करते। वे मोबाइल पर पुलिस ऑफिस में बैठे कंप्यूटर ऑपरेट को समझाते और फिर थोड़ी ही देर में किसी पुलिस अधिकारी के लाइन हाजिर होने तो किसी के निलंबित होने का आदेश मौके पर पहुंच जाता।
इसपर हस्ताक्षर करके एसएसपी संबंधित थानेदार, दरोगा व पुलिस कर्मी को पकड़ा देते। जैसे-जैसे कार्रवाई आगे बढ़ती रही तमाम पुलिस अधिकारियों के माथे से पसीना छूटता रहा। जो बच जाता, उसे ईश्वर का धन्यवाद देते सुना गया। कार्रवाई का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा। एसएसपी का कहना है कि यह सिलसिला आगे भी तब तक जारी रहेगा, जब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल जाता या फिर थाने की कार्यप्रणाली नहीं बदल जाती, ऐसी ही कार्रवाई होगी।