वसूली शब्द का अर्थ होता है पैसे की वसूली। यह शब्द सुनकर अचानक हमारे दिमाग में एक हट्टा-कट्टा, बड़ी कद-काठी और गुस्से से भरा हुआ संजय दत्त जैसा काला पठानी सूट पहने और माथे पर एक लाल रंग का टीका लगाए किसी व्यक्ति की छवि उभरती है। वह व्यक्ति जो हर साल भारतीय बैंक की 500 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली करता है वह संजय दत्त जैसा बिलकुल भी नहीं दिखता बल्कि वह इंदौर की एक महिला है जो विश्वास करती है कि लोगों को डरा कर पैसे वसूलने से ज्यादा प्रभावी बातचीत के द्वारा होता है।
आज हम मिलते है 33 वर्षीय मंजू भाटिया से जो पैसे की वसूली के लिए पुराने तरीकों, जिसमे लोगों को डरा-धमका के पैसे वसूले जाते थे, पर निर्भर नहीं है। वह बैंकों के लिए लगभग 14 सालों से पैसों की वसूली कर रही है और महिलाओं की एक टीम के साथ मिलकर यह अद्भुत काम करती हैं। इनकी टीम का नाम वसूली रिकवरी है
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मंजू ने यह काम 16 साल की उम्र में अपनी बारहवीं की परीक्षा पूरी करने के बाद शुरू कर दिया था। उन्होंने पहले अपने पारिवारिक मित्र की फार्मास्यूटिकल कंपनी में बतौर रिसेप्शनिस्ट की नौकरी की। वहाँ उन्होंने जल्द ही एकाउंट के दांव-पेंच, ट्रेडिंग और लोन की वसूली करना भली-भाँति सीख लिया। आमतौर लोग अपने काम की शुरुआत निचले स्तर से करते हैं लेकिन मंजू ने अपने साहस के कारण एक हाई-प्रोफाइल मंत्री से वसूली कर अपने काम का श्रीगणेश किया। मंजू ने मंत्री के साथ एक मीटिंग की और उन्हें बताया कि आप अपने ऋण के बारे में भूल गए हैं और उनके ऋण भुगतान का समय आ गया है।
यह उनके लिए जीत का समय था। उन्हें महसूस हुआ कि अधिकतर केस बैंक और उनके ग्राहकों के बीच संवादहीनता की वजह से हो रहा है और मंजू दोनों के बीच की कड़ी बन रही थी। उन्हें लगा कि यही वह काम है जिसे वह पूरी जिंदगी करना चाहती है। एक क्लाइंट से 25000 रुपये लेकर अपने कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर यह काम शुरू किया।