अन्ना गाय को पालकर शुरू किया था दूध का बिजनस, अब लाखों रुपये महीना कमाती है ये महिला, बनीं रोल मॉडल

Hamirpur Good News: हमीरपुर जिले में एक महिला के हौसले को हर कोई सलाम कर रहा है। शादी के बाद एक अन्ना गाय घर लाकर दूध का व्यवसाय शुरू किया था और आज ये महिला पूरे क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई हैं।

महिला ने खड़ा किया लाखों का कारोबार
महिला ने खड़ा किया लाखों का कारोबार

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में रिटायर्ड प्रिंसिपल की बेटी ने शादी के बाद दूध के कारोबार से अपनी किस्मत चमकाई है। उसने इस कारोबार से न सिर्फ अपने दो बच्चों को पढ़ा लिखाकर आत्मनिर्भर बनाया बल्कि अब उसने गांव की तमाम महिलाओं को भी अपने कारोबार में काम पर रखा है। एक देशी अन्ना गाय से महिला की तकदीर ऐसी बदली कि आज दो दर्जन से अधिक गायों की देखरेख करके ये हर महीने एक लाख रुपये से अधिक की कमाई भी कर रही है। अपने गांव और आसपास के तमाम इलाकों के लिए यह महिला रोल मॉडल बन गई है।

हमीरपुर जिले के राठ क्षेत्र के गोहानी गांव निवासी ऊषा सिंह के पिता घनाराम गोहांड में राजकीय गांधी इण्टरकालेज में प्रिंसिपल रहे है। इनकी शादी राजेन्द्र सिंह के साथ कुछ दशक पहले हुई थी। ऊषा सिंह के दो बच्चे हैं। महिला ने सिर्फ इण्टरमीडिएट तक की ही पढ़ाई की है। आगे की पढ़ाई का सपना भी इसका शादी होने के बाद टूट जाने पर उसने संकल्प लिया कि अब अपने दोनों बच्चों को उच्च शिक्षा तक पढ़ाकर काबिल बनाया जाएगा। ऊषा सिंह ने बताया कि 28 साल पहले गांव में एक देशी अन्ना गाय इधर-उधर घूमती थी, जिसे उन्होंने घर में खूंटे में बांधकर उसकी सेवा की। इस गाय को घर लाने के बाद ऐसी किस्मत बदली कि आज गाय के दूध का कारोबार पूरे क्षेत्र में फैल गया है।

अन्ना गाय से महिला की बदल गई तकदीर
प्रगतिशील किसान राजेन्द्र सिंह की पत्नी ऊषा सिंह ने बताया कि अन्ना गाय को घर में रखकर सेवा की गई। गो माता की ऐसी कृपा बरसी कि आज उनके यहां जर्सी समेत कई नस्ल की 26 गाएं हो गई हैं। बताया कि गायों से प्रतिदिन 110 लिटर दूध मिलता है जिसे खरीदने के लिए गांव और आसपास के तमाम इलाकों से लोग आते है। राठ कस्बे से भी तमाम लोग प्रतिदिन दूध लेने आते है। बताया कि दूध के कारोबार से हर महीने एक लाख रुपये से अधिक की कमाई होती है।

दूध के व्यवसाय से बेटा बना भू वैज्ञानिक

दूध के कारोबार में चर्चा में आई ऊषा सिंह ने बताया कि बड़ा बेटा अनुराग सिंह को खूब पढ़ाया गया। दूध के कारोबार से ही बेटा आज आत्मनिर्भर बन गया है। बताया कि पुत्र इस समय देहरादून में ओएनजीसी में भू वैज्ञानिक है। 22 लाख रुपये के सालाना पैकेज में ये आज नौकरी कर रहा है। पुत्र के अलावा बेटी अनुराधा इस समय दिल्ली के जेएनयू से पीएचडी कर रही है। शादी के बाद बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का जो सपना देखा था वह गौ माता की कृपा से साकार हो गया है।

नारी सशक्तीकरण का मिल चुका है सम्मान

दूध के कारोबार करने वाली ऊषा सिंह ने गांव की तमाम गरीब महिलाओं को भी अपने यहां काम पर रखा है। ये महिलाएं गायों की देखभाल करती है। दूध के कारोबार में गांव और आसपास के तमाम इलाकों में चर्चा में आई ऊषा सिंह को यहां के डीएम ने नारी सशक्तीकरण का सम्मान दिया है। उसे पिछली बार सम्मान समारोह में सात हजार रुपये और शाल देकर सम्मानित किया गया था। बताया कि आने वाले समय में गायों की संख्या दोगुनी कर कारोबार और फैलाया जाएगा।