पति की मौत के बाद शुरू किया अचार का बिज़नेस, आज असम से लेकर बेंगलुरु से ऑर्डर आते हैं

मुसीबतें हर किसी की ज़िन्दगी में आती हैं लेकिन आप जिस तरह से उन मुसीबतों का सामना करते हैं, वो आपके चरित्र को बनाता या बिगाड़ता है. ऐसी ही मुसीबत से असम की दीपाली भट्टाचार्य भी गुज़रीं, जब उनके पति का देहांत हुआ. पति के जाने उन्होंने फिर से शुरुआत करने की सोची. उन्हें अचार बनाना पसंद था, तो उन्होंने 10 हज़ार की लागत से कम ऑर्डर्स पर काम करना शुरू किया और आज वो Prakrity नाम के सफ़ल बिज़नेस को चला रही हैं.

दिपाली का अचार बिज़नेस सिर्फ़ असम ही नहीं, बल्कि दिल्ली-बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में फैला हुआ है. वो हर महीने लगभग 200 बोतल अचार बनाती हैं और लगभग 5 लाख तक कमाई कर लेती हैं. दिपाली को एक्सपेरिमेंट करना बहुत पसंद है इसलिए आपको उनके बनाये अचार में कई स्पेशल वैरायटी देखने को मिलेगी, जैसे मशरूम, हल्दी-नारियल का अचार. उनके इस काम में उनकी बेटी सुदीत्री उनकी मदद करती है.

द बेटर इंडिया से बात करते हुए दिपाली ने कहा कि उनके इस बिज़नेस की शुरुआत, उनकी की वजह से ही हुई. जब वो जीवित थे तब उन्होंने दीपाली के अलग-अलग तरह का खाना बनाने की लगन को देखते हुए उनके लिए बिज़नेस शुरू करने की बात कही थी. उन्होंने ही ‘Prakrity’ नाम सोचा था. 2003 में उनके जाने के बाद दीपाली ने ये काम आगे बढ़ाया. इसकी मदद से उनकी बेटी की परवरिश भी हो सकी और पति का सपना भी पूरा हुआ.

सिर्फ़ 10,000 रुपयों से ये बिज़नेस शुरू हुआ था. उन्होंने एक आदमी भी काम पर रखा, जो उनके बनाये अचार, पीठा और दही वड़े दुकानों पर या लोगों को डिलीवर करता था. धीरे-धीरे उनका बनाया इमली का अचार, मेथी अचार, बांस का अचार लोगों को पसंद आने लगा और उनकी दुकान चल पड़ी.

बेटर इंडिया से इसी बातचीत में दीपाली ने कहा कि उनके घर में पहले मसालों का बिज़नेस किया जाता था. उनके माता-पिता और भाई मिल कर ये बिज़नेस चलाते थे. वहीं से उन्हें फ्लेवर और मसालों की समझ आई. स्वाद के कई गुर उन्होंने अपनी नानी से भी सीखे. उनकी सास भी अच्छा खाना बनाती थी, तो उन्हें उससे भी काफ़ी मदद मिली.

साल 2015 में दीपाली ने Prakrity ब्रैंड को रजिस्टर किया और यहां से उनका ब्रैंड पॉपुलर हो गया. दीपाली की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किलों से घबरा जाते हैं और हिम्मत का साथ छोड़ देते हैं.