शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल प्रदेश में उद्योग विभाग के अधीन माइनिंग विंग की चल रही अलग गतिविधियों पर सरकार ने अंकुश लगा दिया है। राज्य में अवैध खनन पर रोक के लिए नई व्यवस्था को कायम किया गया है और कहीं न कहीं इस व्यवस्था से स्टेट जियोलॉजिस्ट की पावर को स्नैच कर दिया गया है। अब सभी तरह की शक्तियां निदेशक उद्योग के पास रहेंगी और वही पूरा दारोमदार देखेंगे। हालांकि माइनिंग विभाग पहले से उद्योग विभाग के अधीन कार्यरत है मगर इसकी एक अलग पहचान थी, जिसे खत्म करके अब उद्योग निदेशक को ही सभी शक्तियां दे दी गई हैं।
इसके साथ स्टेट जियोलॉजिस्ट के पास जो कामकाज था उसे अन्य जियोलॉजिस्ट में भी बराबर बांट दिया गया है। इस विंग को चार जोन में बांटा गया है, जिसमें अधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है। इनको क्या करना है इसे भी अधिसूचित कर दिया गया है। बाकायदा इसकी अधिूसचना अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग आरडी धीमान के नाम से जारी की गई है। उद्योग विभाग के तहत माइनिंग विंग को री-ऑर्गेनाइज किया गया है क्योंकि काम बढ़ चुका है और नियम, कानून सही तरह से अमल में नहीं लाए जा रहे हैं ऐसे में अवैध माइनिंग, अदालती मामलों व जन शिकायतों केशीघ्र निपटारे के लिए व्यवस्थाओं को बदला गया है।
हिमाचल प्रदेश माइनर मिनरल, कंसेशन प्रीवेंशन ऑफ इलिगल माइनिंग, ट्रांसपोर्टेशन एंड स्टोरेज रूल्ज 2015 के तहत ढांचे में परिवर्तन कर दिया गया है। स्टेट जियोलोजिस्ट निपटाएंगे अदालती मामले : अतिरिक्त निदेशक उद्योग या संयुक्त निदेशक उद्योग प्रशासन सभी जोन अधिकारियों के अधीन कर्मचारियों की तैनाती करेंगे, जिसके लिए उनको निदेशक उद्योग की मंजूरी वांछित होगी। अदालती मामलों के निपटारे का अधिकार स्टेट जियोलोजिस्ट को दिया गया है। एफसीए आदि सभी तरह के मामलों के निपटारे निदेशक उद्योग समय-समय पर संबंधित अधिकारियों के माध्यम से निपटाएंगे। इस तरह से इस विंग की पूरी गतिविधियां चलेगी, जिसको पहले से पूरी तरह बदल दिया गया है।
निदेशक उद्योग देखेंगे कि किस जोन में उन्हें किस अधिकारी को बदलना है। वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट के साथ कनिष्ठ जियोलोजिस्ट को सिनियोरिटी के साथ वह तैनाती देंगे। इन अधिकारियों का दायित्व रहेगा कि नियमों को हर क्षेत्र में लागू कैसे किया जाए। इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने-अपने क्षेत्र में माइनिंग सेक्टर को किस तरह से बढ़ाएं ताकि सरकार को भी ज्यादा से ज्यादा मदद मिल सके। इन क्षेत्रों में जियो टेक्निकल स्टडीज, इंवेस्टीगेशन, लैंडस्लाइड, रोड अलाइनमेंट, हाइड्रो प्रोजेक्टों आदि को मंजूरी देने का जिम्मा भी इन्हीं का रहेगा।
अवैध खनन पर त्वरित कार्रवाई के लिए यही अधिकारी अपने-अपने एरिया में जिम्मेदार बनाए गए हैं। क्रशर गतिविधियों पर भी इनकी नजर रहेगी और इनकी मंजूरियों से ही वो लग सकेंगे। माइनिंग विंग के विभागाध्यक्ष निदेशक उद्योग रहेंगे जिनकी ओवरऑल जिम्मेदारी तय की गई है। इन अफसरों की एसीएस लिखने का जिम्मा निदेशक उद्योग ही देखेंगे। माइनिंग ऑफिसरों की एसीआर से संबंधित कार्रवाई संबंधित जोन के जियोलॉजिस्ट देखेंगे।
ये जोन होंगे इन अफसरों के पास
पुनीत कुमार गुलेरिया जोकि स्टेट जियोलोजिस्ट हैं उनके साथ सहायक जियोलॉजिस्ट सुनील वर्मा को शिमला, चंबा, किन्नौर जिले दिए गए हैं। उनके पास मेजर मिनरल और सीमेंट प्लांट्स का काम भी रहेगा। जोन-दो में ऊना, कांगड़ा व हमीरपुर जिले को रखा गया है, जिनका कामकाज जियोलॉजिस्ट संजीव कुमार व अतुल शर्मा देखेंगे। वहीं जोन तीन में सिरमौर, सोलन व बिलासपुर जिला हैं, जिनका दारोमदार अनिल कुमार सिंह राणा व सुरेश भारद्वाज को सौंपा गया है। जोन-चार मंडी, कुल्लू व लाहौल स्पीति में माइनिंग गतिविधियों का कामकाज गौरव शर्मा व सरित चंद्र देखेंगे।