सोलन निर्वाचन क्षेत्र के साधुपुल में सोलन ब्लॉक कांग्रेस द्वारा आयोजित दो दिवसीय कांग्रेस प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर आज हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष श्री कुलदीप सिंह राठौड़ बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए उनके साथ सोलन के विधायक एवं पूर्व मंत्री कर्नल डॉ धनीराम शांडिल उपस्थित रहे ।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने इस प्रशिक्षण शिविर के आयोजन पर सोलन ब्लॉक कांग्रेस की बहुत सराहना की और कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण शिविर कांग्रेस पार्टी बहुत जल्द प्रदेश स्तर पर ब्लॉक स्तर पर और ग्रामीण स्तर पर शुरू करेगी जिसमें कांग्रेस पार्टी के इतिहास से लेकर पार्टी के बलिदान और विकास कार्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा
उन्होंने कांग्रेस पार्टी की मजबूती के लिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को अधिमान देने के लिए एक घोषणा की कि कांग्रेस पार्टी उन्हें पहचान पत्र जारी करेगी जिससे वह कांग्रेस की सरकार के समय सचिवालय में और कांग्रेस कार्यालय में बेरोकटोक आ सकेंगे और उनके कार्य प्राथमिकताओं के आधार पर होंगे उन्होंने कहा कि प्रदेश में बहुत जल्द पार्टी चिन्ह पर चुनाव होने सुनिश्चित हुए हैं और पार्टी चिन्ह पर चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने ही सरकार पर दबाव बनाया था जिसे सरकार ने माना और कांग्रेस पार्टी आने वाले कॉरपोरेशन के चुनाव में भारी बहुमत से विजय प्राप्त करेगी, उन्होंने विशेष जोर देकर कहा की कांग्रेस पार्टी सिर्फ जीतने वाले कैंडिडेट को ही पार्टी टिकट देगी और किसी भी बड़े नेताओं की सिफारिश के आधार पर टिकट आवंटन नहीं होगा जो उम्मीदवार जनता से जुड़ा होगा और जीतने की काबिलियत रखता होगा उसे ही टिकट दिया जाएगा और उन्होंने बताया कि इस बारे में उन्होंने पर्यवेक्षक पहले ही नियुक्त कर दिए हैं जो हर वार्ड में लोगों की राय जानने के बाद ही टिकट का आवंटन करेंगे ।
उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार और प्रदेश सरकार की नाकामियों को भी इस कार्यशाला के माध्यम से लोगों को बताया और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों को लेकर विशेष विशेष तौर पर किसान विरोधी विरोधी कानूनों को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा कि प्रदेश में भी बीजेपी सरकार लोगों का हित पूरे करने में पूरी तरह से विफल है और आने वाले जो कॉरपोरेशन के चुनाव हैं उसमें जनता इस पार्टी को सबक सिखाने का पूरा मन बना चुकी है और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को ज्यादा से ज्यादा वोटों से जीताने का मन बना चुकी है। आज भारत देश एक घोर आर्थिक संकट से गुजर रहा है जिसका पूरा श्रेय भारतीय जनता पार्टी की विफल नीतियों का रहा है सबसे पहले इन्होंने बिना सोचे समझे नोटबंदी की उसके बाद बिना तैयारियों से जीएसटी को लाया करोना महामारी में भी बिना सोचे समझे एकदम से लोक डाउन करके लाखों लोगों को सड़कों पर भटकने के लिए मजबूर किया रोजगार पहले ही देने में विफल थे और करोना के बाद से तो देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है जो कि बहुत ही चिंता का विषय है।
सोलन के विधायक और पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश डॉ कर्नल धनीराम शांडिल ने जारी ब्यान में कांग्रेस वर्किंग कमेटी के निर्णय का स्वागत किया है और कहा की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी के कुशल नेतृत्व में पार्टी हमेशा से मजबूत और एकजुट हुई है और पार्टी के लिए उनके बलिदान को सर्वोच्च बताया है। देश के लिए उनके परिवार के लोगों ने शाहदत दी और उन्होंने पार्टी का नेतृत्व उस वक़्त किया जब इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी।
तत्कालीन प्रधानमत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार की नाकामियों और उनके विफल शाइनिंग इंडिया अभियान को देश की जनता के बीच बखूबी से उजागर किया और देश में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार को 10 वर्षो के लिए सत्ता में लाकर देशवासियों की सेवा की। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के समय उनका त्याग सदैव याद किया जाएगा जिन्होंने देश के उच्च प्रधानमंत्री पद का त्याग किया और अपनी जगह देश के जाने माने अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का नाम प्रस्तावित किया । डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार पूरे 10 साल चली।
इस सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून जैसी महत्वाकांक्षी योजना लागू की जिससे ग्रामीण क्षेत्र की बेरोजगारी दूर करने में काफी हद तक मदद मिली। इसी सरकार ने सूचना का अधिकार कानून भी लागू किया जिसके जरिए स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए। इस सरकार के कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था और औद्योगिक एवं कृषि उत्पादन के क्षेत्र में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। सरकार ने सब्सिडी को गलत हाथों में जाने से बचाने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम की शुरुआत की। वैश्विक मंदी के ऐसे दौर में, जब दुनिया के कई देशों में आर्थिक संकट काफी गहरा हो गया, भारत की अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार 6 फीसदी के आसपास बनी रही। 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल 2010 को केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया।