पेट कोक व फरनेस ऑयल के इस्तेमाल पर लगाया प्रतिबंध, उद्योगों को नियंत्रण के लिए दिया समय
शकील कुरैशी : शिमला
हिमाचल प्रदेश में लगे उद्योगों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पाबंदियां लगाई हैं। इसके लिए प्रदेश में पहली बार सरकार ने अपनी फ्यूल पॉलिसी बनाई है जिसे शुक्रवार को अधिसूचित किया गया है। इस फ्यूल पॉलिसी को लागू करने के साथ यहां उद्योगों की तीन कैटेगरी रखी है और उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे पेट कोक और फरनेस ऑयल ईंधन को प्रतिबंधित किए जाने को कहा गया है। कुछ उद्योगों को जरूरी उपाय के साथ इसके इस्तेमाल की कम मात्रा में छूट मिलेगी लेकिन वो भी निश्चित अवधि के लिए होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली समेत कुछ राज्यों में पेट्रोल के एक रूप जिसे पेट कोक कहा जाता है पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे। साथ ही दूसरे राज्यों को इसे कंसीडर करने को कहा गया था और हिमाचल क्योंकि ग्रीन स्टेट है इसलिए यहां पर भी यह मामला कंसीडे्रेशन में था। ऐसे में यहां भी फैसला ले लिया गया है कि उद्योग इस तरह के उत्पादों का प्रयोग नहीं करेंगे। पेट कोक व फरनेस ऑयल से बहुत ज्यादा प्रदूषण फैलता है। इसका इस्तेमाल हिमाचल की आबोहवा को भी खराब कर रहा है। उद्योगों को इसकी जगह पर अपने उपकरणों में बायोमास या इसकी तरह दूसरी प्रदूषण रहित ईंधन का इस्तेमाल करने को कहा गया है।
बताया जाता है कि पेट कोक ईंधन सबसे अधिक सीमेंट उद्योगों में इस्तेमाल होता है। वहां सीमेंट बनाने के प्रोसेस में यह खप जाता है मगर सीमेंट उद्योगों को कहा गया है वह ऐसे उपकरण लगाएंगे जिनसे बहुत कम मात्रा में इस ईंधन का प्रयोग हो और इससे प्रदूषण न हो। उन्हें इस्तेमाल होने वाले पेट कोक ईंधन का मासिक रिकॉर्ड रखने को कहा गया है। इसके साथ बॉयलर उद्योगों को कहा गया है कि वह पेट कोट का इस्तेमाल आवश्यक उपकरणों के साथ ही कर सकेंगे जो 90 फीसदी की रिडक्शन करते हों। 20 टन व 20 टन से ऊपर के बॉयलर उद्योगों पर यह शर्त रखी गई है।