सिरमौर में स्टोन क्रशर व चूना खदानें लील रहीं अनमोल जीवन, 48 घंटे में दो की मौत

 क्या सिरमौर में स्टोन क्रशर व चूना खदानों के कामगार जान हथेली पर रख दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं। ये सवाल, इस कारण उठा है क्योंकि स्टोन क्रशर व चूना खदान में 48 घंटे के भीतर दो घरों के चिराग बुझ गए।

4 अप्रैल की शाम पांवटा साहिब के सबगिरि क्रशर रामपुरघाट में कन्वेयर बैल्ट में फंसने के कारण एक मजदूर की मौत हो गई थी। हादसे में मजदूर का एक हाथ कटकर शरीर से अलग हो गया था। 6 अप्रैल की शाम ट्रांसगिरि की गिरि लाइन एंड कैमिकल्स खदान में पत्थर निकालने के दौरान एक मजदूर की मौत हो गई। हालांकि मौके पर पांच मजदूर काम कर रहे थे, लेकिन 46 साल का रंगी लाल हादसे में काल का ग्रास बन गया।

बेशक ही दोनों घटनाएं अलग-अलग हुई हो, लेकिन पुलिस द्वारा दर्ज मामलों मे एक बड़ी समानता है। वो ये कि न तो स्टोन क्रशर और न ही खदान में मजदूरों के लिए पुख्ता सुरक्षा के प्रबंध किए गए थे।

पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में साफ तौर पर इस बात का जिक्र है कि मजदूरों की सुरक्षा के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं थी। हेल्मेट, सेफ्टी जूते व ग्लब्ज इत्यादि नहीं थे। हादसों में एक समानता ये है कि दोनों में ही मजदूरों की बेहद ही दर्दनाक तरीके से मौत हुई। एक की बाजू कटकर शरीर से अलग हो गई तो दूसरी घटना में मजदूर का पेट फट गया।

हादसों से जुड़ी कई बातें पुलिस की जांच में सामने आ सकती हैं। लेकिन लापरवाही का आरोप स्टोन क्रशर व खदान मालिक पर लग चुका है। पुलिस की शिकायत में ये बात भी ऑन रिकॉर्ड आई है कि अगर मजदूरों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाए होते तो इन हादसों को टाला जा सकता था। पुरुवाला पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है।

उधर, डीएसपी वीर बहादुर ने पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों ही मामलों में मालिकों पर सुरक्षा उपकरणों को उपलब्ध करवाने में कोताही बरतने का आरोप लगा है। हादसों की जांच जारी है।

स्टोन क्रशर मामले में पुलिस ने गैर इरादतन हत्या की धारा-304ए के अलावा आईपीसी की धारा-287 व 34 के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अलावा दूसरे मामले में आईपीसी की धारा 336 व 304ए के तहत मामला दर्ज हुआ है।
आपको ये भी बता दंें कि खनन सुरक्षा सप्ताह के दौरान केंद्र व राज्य की टीमें खानों का निरीक्षण भी करती हैं। बाकायदा, सुरक्षा को लेकर संतोष जाहिर किया जाता है।

कुल मिलाकर समय रहते ही सरकार को सुरक्षा मानकों को लेकर कड़े कदम उठाने चाहिए, ताकि गरीब परिवारों के चिराग हादसों में काल का ग्रास न बनें।