हर देश में बन रही हर भाषा की फिल्मों का अंबार इस बात की गवाही है कि फिल्में देखना अधिकांश लोगों को पसंद है. फिल्मों की बढ़ती लोकप्रियता के साथ वो ज़माने भी लद गये, जब लोगों को सिर्फ़ सिनेमा देखने से मतलब होता था. वो दिन भी बीत गए, जब जय संतोषी मां देखने के लिए ही लोगों की भीड़ जुट जाया करती थी.
अब लोगों की अपनी पसंद है. कोई कॉमेडी फिल्में देखना पसंद करता है, तो किसी को एक्शन का तड़का पसंद है. इसी तरह मीस्ट्री फिल्मों की भी बहुत डिमांड रहती है. लोग रहस्य से भरी कहानियां पसंद करते हैं. हर सीन के बाद उत्सुकता बढ़ती रहती है ये जानने की कि आगे क्या होगा.
सोचिए जब फिल्में देख कर ये हाल होता है तो भला जिस इंसान का जीवन खुद रहस्य हो उसके आसपास के लोगों को कैसा महसूस होता होगा. वैसे तो हर इंसान के जीवन से कोई ना कोई रहस्य जुड़ा होता है लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हुए हैं जिनका पूरा जीवन ही रहस्य बन कर रह गया.
तो चलिए आज आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में जिनकी कहानी पर अगर फिल्म बने तो एक अलग ही लेवल का मिस्ट्री ड्रामा देखने को मिलेगा :
1. रे ग्रिसर
यह घटना है 15 अप्रैल 2005 की. सोचिए एक व्यक्ति अपने घर से ऑफ़िस के लिए निकलता है. अपना काम खत्म करता है. अपनी गर्लफ़्रेंड से फोन पर बात करता है और फिर अचानक से ग़ायब हो जाता है. वो भी ऐसा ग़ायब नहीं कि कुछ समय बाद उसका या उसकी मौत का कोई सुराग मिल जाए. बल्कि वो इस तरह ग़ायब होता है कि आज पंद्रह सालों बाद भी उसका कोई अता पता नहीं मिला.
हम यहां बात कर रहे हैं अमेरिका के पैंसिलवेनिया निवासी रे ग्रिसर की. रे का इस तरह से ग़ायब होना सबको चौंका गया था. एक अधिवक्ता, एक बेटी का पिता और अच्छी खासी संपत्ति के मालिक रे के ग़ायब होने के अगले दिन उसकी कार और सेल फोन उसके घर से 55 मील दूर एक नदी के किनारे से बरमाद किए गये.
कुछ महीनों बाद रे का लेपटॉप तथा हार्ड ड्राइव नदी किनारे मिला. हार्ड ड्राइव बुरी तरह से नष्ट कर दी गयी थी. आमतौर पर खुद में ही व्यस्त रहने वाला रे अपनी मौत के दिन एक अनजान औरत के साथ देखा गया था जो उसकी गर्लफ्रेंड नहीं थी. जहां उसकी कार बरामद हुई वहीं सिगरेट की राख भी मिली जबकि, हैरान करने वाली बात यह थी कि रे सिगरेट नहीं पीता था.
इन सबके इलावा एक सुराग रे के कंप्यूटर से भी मिला. दरअसल रे की ब्राउज़िंग हिस्ट्री में पाया गया कि उसने कई बार सर्च किया था कि हार्ड ड्राइव को कैसे नष्ट किया जाता है. इन सबके बावजूद रे का कुछ पता ना चल सका. कुछ का मानना है कि रे ने खुद से ही खुद को गायब कर लिया जिससे वो एक नयी ज़िंदगी शुरू कर सके.
वहीं कुछ लोग मानते हैं कि रे ने आत्महत्या कर ली. काफी छानबीन के बाद भी जब पुलिस कोई ठोस सबूत ना जुटा सकी तो 2009 में रे को ऑफिसियली मृत घोषित कर दिया गया. आप जब रे के गायब होने की हर कड़ी को जोड़ेंगे तो आपको लगेगा जैसे आप कोई मिस्ट्री फिल्म की कहानी सुन रहे हैं.
2. लॉरी इरीका रफ्फ
दुनिया में हर इंसान की अपनी एक पहचान है. खोजने पर आएं तो पता लगाया जा सकता है कि कौन व्यक्ति कहां पैदा हुआ था, कहां पला बढ़ा और उसके परिवार में कौन कौन है. लेकिन अमेरिका के डलास की रहने वाली लॉरी इरीका रफ्फ की कहानी आम लोगों से अलग थी.
लॉरी कैनेडी ने बलाक रफ्फ से शादी की तथा दोनों डलास में बस गये. काफी सारे मिसकैरेज होने के बाद 2008 में लॉरी ने एक बेटी को जन्म दिया. सब कुछ ठीक चल रहा था कि लॉरी की ज़िंदगी में अचानक एक तूफान आ गया. उसके पति को लगने लगा कि उनकी शादी कामयाब नहीं है तथा दोनों को तलाक ले लेना चाहिए.
ये सदमा लॉरी बर्दाश्त ना कर सकी और उसने 2010 में आत्महत्या कर ली. यहां तक की कहानी तो दुनिया में बहुत से लोगों के साथ घटित हो चुकी है लेकिन हैरान कर देने वाली बातें तो लॉरी की मौत के बाद सामने आईं. उसकी मृत्यु के बाद जब उसके सामान की तलाशी ली गयी तो उसकी अलमारी से कई ऐसे कागज़ात निकले जिसने उसके पति और पुलिस को हैरानी में डाल दिया.
दरअसल मृत्यु के समय लॉरी की उम्र 42 साल थी लेकिन कागज़ात के हिसाब से 1988 से पहले लॉरी कैनेडी नाम की कोई महिला थी ही नहीं. उसके पास से कुछ दस्तावेज बरामद हुए जिन पर उसका नाम बैकी सुइ टर्नर दर्ज था. बात यहीं खत्म नहीं होती.
लोग हैरान तो तब रह गये जब रिकार्ड्स से पता चला कि उन दस्तावेजों पर जिस बैकी की जानकारी दर्ज थी वो एक दो साल की बच्ची थी जो 1971 में घर में लगी आग में जल कर मर चुकी थी. अगर बैकी मर चुकी थी फिर लॉरी कौन थी? कहां से आई थी? इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं था.
2016 तक लॉरी पुलिस की फाइलों में एक रहस्यमयी केस बन कर पड़ी रही लेकिन इसी साल लॉरी के रहस्य से पर्दा उठ गया. लॉरी के केस की तहकिकात कर रहे सोशल सिक्योरिटी अडमिस्ट्रेशन के इनवेस्टीगेटर जॉय वेलिंग को 2015 में एक फोन आया. ये फोन न्यूक्लियर फिजीसिस्ट तथा फोरेंसिक जेनेलॉजिस्ट कॉलिन फिट्ज़पैट्रिक का था.
दरअसल 2013 के बाद जब लॉरी की कहानी अखबारों में छपने लगी तब से कोलिन ऑनलाइन ही इस केस की छानबीन में जुटे हुए थे. कॉलिन ने जॉय को बताया कि उन्होंने लॉरी के डीएनए से उसकी फैमिली हिस्ट्री निकाल ली है, जो फिलाडेल्फिआ में रहती है.
कॉलिन की बात पर भरोसा कर जॉय जब उनके बताए हुए पते पर पूछताछ करने पहुंचे तो उन्होंने उस परिवार के लोगों को लॉरी का ड्राइविंग लाइसेंस दिखाया जिस पर उसकी फोटो थी. लाइसेंस को देखते ही परिवार के एक सदस्य ने चीखते हुए कहा कि ये तो किंबरली है.
ये लॉरी की मां का परिवार था तथा लॉरी का असली नाम किंबरली मैक्लेन था. जब वह 18 साल की थी तब अपने माता पिता के अलग होने के बाद वो घर से भाग गयी थी. इसके बाद उसने अपनी पहचान छुपाने के लिए मरे हुए लोगों की पहचान अपनाई. अब आप ही बताइए कि अगर लॉरी के जीवन पर फिल्म बने तो क्या आप एक पल के लिए भी ऐसी मिस्ट्री फिल्म से नज़रें हटा पाएंगे?
3. ब्रोडस का घर
इंसान अपने सपनों का घर खरीदने में अपनी आधी ज़िंदगी बिता देता है. बहुत से लोग तो ऐसे भी हैं, जिन्हें उनके जीवन में अपनी छत नसीब ही नहीं होती. डेरेक व मारिया ब्रोडस भाग्यशाली थे जो उन्होंने अपने सपनों का घर खरीद लिया था. अमेरिका के न्यूजर्सी में स्थित एक पॉश इलाके वेस्टफील्ड में डेरेक ने 13,55,657 डॉलर में ये घर खरीदा तथा एक लाख डॉलर इसके ऊपर खर्च किये.
डेरेक अपनी पत्नी मारिया और तीन बच्चों के साथ जल्द से जल्द इस 6 बैडरुम वाले शानदार घर में शिफ्ट होना चाहता था. सब कुछ तो हो चुका था लेकिन थोड़ा रेनोवेशन का काम बाक़ी था. यहां तक सब ठीक था डेरेक और उसका परिवार अपने नये घर को लेकर काफी उत्साहित थे.
तभी डेरेक के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी रातों की नींद उड़ा दी. दरअसल डेरेक एक दिन जब अपने नये घर में पेंटिंग का काम देख रहा था तभी उसे उसके लेटर बॉक्स से एक चिट्ठी मिली. चिट्ठी में सबसे पहले तो उन्हें नया घर खरीदने की बधाई दी गयी थी.
इसके बात चिट्ठी लिखने वाले ने लिखा था कि इस घर पर नज़र रखी जा रही है. लिखने वाले का दावा था कि उसकी पुश्तें इस घर पर नज़र रखे हुए हैं 1920 के दशक से उसके दादा ने इस घर पर नज़र रखी, 1960 के बाद उसके पिता ने तथा अब वो इस घर पर नज़र रखे है. उसने डेरेक को ये भी लिखा था कि वे नहीं जानते कि इस घर की दीवारों में क्या राज़ दफन हैं. चिट्ठी लिखने वाले ने अपने नाम की जगह ‘दि वॉचर’ लिखा था.
चिट्ठी को लेकर डेरेक ने पुलिस में शिकायत भी की लेकिन चिट्ठियों को सिलसिला नहीं रुका. अब तो डेरेक को चिट्ठियों में धमकियां मिलने लगी थीं. चिट्ठी लिखने वाला खुद को उनका पड़ोसी बताता था तथा उसे डेरेक और उसके परिवार से जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी का पता था.
वो डेरेक के बच्चों को यंग ब्लड कह कर संबोधित करता था तथा धमकी देते हुए उसे उनका ख़ाल रखने को कहता था. इन चिट्ठियों को लेकर काफी छानबीन हुए, पड़ोसियों से पूछताछ की गयी. और तो और डेरेक ने उस वॉचर का पता लगाने के लिए एक एक्स एफबीआई ऑफिसर को प्राइवेट जासूस के तौर पर भी रखा. लेकिन इन सबसे कुछ फायदा ना हुआ.
अंत में हारकर डेरेक को ये घर घाटे में बेचना पड़ा. 14 लाख डॉलर से ज़्यादा का घर उसने 959,000 डॉलर में बेच दिया. 2016 में आई एक हॉरर मिस्ट्री फिल्म दि वॉचर इसी कहानी से प्रेरित है. फिल्म में एक शख्स जो खुद का नाम दि रावेन बताता है वह भी इसी तरह घर के मालिक को खत लिखता है. इसके अलावा नेटफिलिक्स ने भी 2018 में इस सच्ची घटना के राइट्स खरीद लिए हैं.
4. बॉबी डनबर
कहते हैं एक मां अपने बच्चे को अंधेरे में टटोल कर भी पहचान लेती है, लेकिन बॉबी डनबर के केस में ये बात गलत साबित होती है. यह 1912 की घटना है जब 4 वर्षीय बॉबी डनबर अपने परिवार के साथ लूसियाना स्थित स्वायज लेक पर घूमने गया था. बॉबी यहां से अचानक ही गायब हो गया.
उसे हर तरफ खोजा गया, पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गयी लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला. इस घटना के लगभग आठ महीने बाद पुलिस ने मिसिसिपी से बॉबी को बरामद किया. बॉबी किसी विलियम वॉलटर्स नामक व्यक्ति के साथ था. विलियम पुलिस को बार बार कहता रहा कि वह लड़का बॉबी नहीं बल्कि जूलिया एंडरसन नामक महिला का बेटा चार्ल्स ब्रूस एंडरसन है मगर पुलिस ने उसकी नहीं सुनी.
खैर पुलिस ने भले विलियम की नहीं सुनी लेकिन बॉबी के माता पिता तो ये पहचान ही सकते थे कि वो उनका बेटा है या नहीं। बॉबी जैसे दिखने वाले उस लड़के को लूसियाना लाया गया और यहां बॉबी के मां बाप ने देखते ही कहा कि वह लड़का उनका ही बेटा है. बॉबी की मां ने उसके शरीर के तिल तथा अन्य निशानों के आधार पर इस बात की पुष्टि कर दी कि वही बॉबी है. इधर विलियम को अपहरण के अपराध में सजा हो गयी.
दिन बीतते गये. बॉबी भी अपने परिवार के साथ घुलमिल गया. 1966 में वह इस दुनिया को छोड़ कर चला गया. उसके चार बच्चे थे. उसने अपने साथ बचपन में घटित हुई इस घटना को अपने बच्चों के साथ साझा कर दिया था. 2004 में बॉबी के छोटे बेटे बॉब डनबर ने अपनी बेटी मार्गरेट डनबर के कहने पर डीएनए टेस्ट करवाया.
वह चाहती थी कि वह अपने दादा के इस रहस्य को सुलझा दे. उसने अपने पिता के डीएनए को उसके चचेरे भाई यानी बॉबी डनबर के छोटे भाई के बेटे के साथ मैच करवाया. लेकिन हैरान करने वाली बात ये थी कि बॉबी के बेटे का डीएनए उसके किसी चचेरे भाई बहन से मैच ना हुआ.
मतलब कि इतने सालों तक जिसे बॉबी डनबर समझा गया वो असल में ब्रूस एनडरसन था. इसके साथ ही विलियम को उस अपराध की सज़ा भुगतनी पड़ी जो उसने किया ही नहीं था. अब सवाल ये था कि अगर ये ब्रूस था तो फिर बॉबी का क्या हुआ? अफवाहें यहां तक थीं कि बॉबी के माता पिता ने ही बॉबी को मार दिया तथा बचने के लिए किसी अन्य बच्चे को अपना बच्चा बना लिया.
वहीं मारग्रेट ये मानती हैं कि बॉबी उस दिन तालाब में गिर गया या फिर किसी जंगली जानवर का शिकार हो गया. जो भी हो लेकिन यहां सिर्फ अफवाहें ही हैं, बॉबी का सच क्या था ये आज तक रहस्य ही है.
5. टिम्मोथी पिट्ज़न
बच्चों का गुम हो जाना कोई नयी बात नहीं है. कई बार वे किडनैप कर लिए जाते हैं तो कई बार जाने अनजाने में घर से बहुत दूर निकल आते हैं. लेकिन टिम्मोथी पिट्ज़न का केस बाक़ी अन्य सभी मिसिंग केसों से अलग है. 11 मई 2011 को छह साल के टिम्मोथी को हर रोज़ की तरह उसके पिता ने स्कूल छोड़ा.
स्कूल शुरू हुए अभी आधा घंटा ही बीता था कि टिम्मोथी की मां एमी पिट्ज़न स्कूल आई और स्कूल प्रबंधन से कहा कि उनके परिवार में कोई दुर्घटना हो गयी है जिस कारण वह टिम्मोथी को ले जाना चाहती है. आखिर एक मां द्वारा उसके बच्चे को घर ले जाने से किस आधार पर रोका जा सकता था, सो उसे इजाजत मिल गयी.
हैरान करने वाली बात यह थी कि एमी टिम्मोथी के साथ स्कूल से तो निकली लेकिन घर नहीं पहुंची. किसी को नहीं पता कि उसके बाद एमी अपने छह साल के बेटे के साथ कहां गयी. अगले दिन टिम्मोथी के पिता जिम पिट्ज़न ने एमी और अपने बेटे के नाम से दो मिसिंग रिपोर्ट्स दर्ज करवाईं लेकिन पुलिस को एमी ज़िंदा ना मिल सकी. गायब होने के तीन दिन बाद यानी 14 मई 2011 को एमी एक होटल के कमरे में मृत पाई गयी.
हैरान करने वाली बात यह थी कि एमी उस कमरे में अकेली थी, टिम्मोथी उसके साथ नहीं था. उसके मृत शरीर के साथ मिली तो केवल एक चिट्ठी. जिस पर लिखा था कि ‘टिम्मोथी बिलकुल ठीक है और ऐसे लोगों के साथ है जो उसकी अच्छे से देखभाल करेंगे. तुम उसे कभी ढूंढ नहीं पाओगे.
दरअसल टिम्मोथी के माता पिता तलाक ले चुके थे. जिम के अनुसार एमी पहले भी खुद को मारने की कोशिश कर चुकी थी. लेकिन इन सबसे बड़ा सवाल ये था कि आखिर टिम्मोथी कहां और किस हाल में है. पुलिस ने हर तरफ खोजा लेकिन टिम्मोथी का कोई सुराग ना मिला.
हालांकि, 2019 में पुलिस को एक ऐसा लड़का मिला जो खुद को टिम्मोथी बता रहा था. उसका कहना था कि वो सात सालों से दो किडनैपर्स के कब्जे में था तथा अब उनके चंगुल से भाग आया है. लेकिन जब उस लड़के का डीएनए टेस्ट हुआ तो ये बात सामने आई कि वो झूठ बोल रहा है.
आज भी ये पुलिस के लिए बड़ा सवाल है कि आखिर टिम्मोथी कहां गायब हो गया ? वो ज़िंदा है या फिर किसी दुर्घटना का शिकार हो गया? क्या आपको नहीं लगता टिम्मोथी की इस मिस्ट्री को अगर पर्दे पर दिखाया जाए तो ये मिस्ट्री फिल्म लवर्स को खूब पसंद आएगी ?
6. अनजान यात्री
ये दुनिया रहस्यों से घिरी हुई है. बहुत सी अफवाहों के साथ कई ऐसी सच्ची घटनाएं भी हैं, जिन पर यकीन कर पाना बहुत मुश्किल है. 66 साल पहले जापान एयरपोर्ट पर उतरे एक अनजान यात्री की कहानी भी कुछ इसी तरह रहस्यमयी है. 1954 में टोक्यो के हेनेडा एयरपोर्ट पर एक यात्री उतरता है.
अन्य यात्रियों की तरह वह भी चैक आउट काउंटर की तरफ बढ़ता है. उसका पासपोर्ट वेरीफिकेशन के लिए लिया जाता है. यहां तक सब सामान्य था लेकिन यही बात तब आसामान्य हो जाती है जब पासपोर्ट चेक करने वाले की नज़र उस देश के नाम पर जाती है जहां का ये व्यक्ति निवासी है. उस देश का नाम होता है टॉरेड.
इस देश के बारे में वहां मौजूद किसी भी कस्टम अधिकारी ने कभी नहीं सुना. उस अनजान यात्री से पूछताछ होती है. उससे जापान आने की वजह पूछी जाती है तो वो बताता है कि वह यहां एक बिजनेस ट्रिप पर आया है. उसके अनुसार उसका ये देश फ्रांस और स्पेन के मध्य कहीं स्थित है.
पासपोर्ट पर लगी अन्य देशों की मोहर सही थी, उस व्यक्ति के कागजात सही थे फिर भला गलत क्या था? गलत ये था कि जिस देश से आने का दावा वह व्यक्ति कर रहा था वह देश दुनिया में कहीं मौजूद ही नहीं. जिस कंपन्नी का कर्मचारी वो खुद को बता रहा था उस कंपन्नी का कहना था कि उसका इस तरह के किसी व्यक्ति से कोई संबंध नहीं.
इसी तरह वह जापान जिस कंपन्नी में मीटिंग के लिए आया उन्होंने भी ऐसे किसी व्यक्ति की जानकारी को झुठला दिया. जिस होटल में यह व्यक्ति अपने ठहरने की बात कह रहा था उस होटल में भी उसके नाम की कोई बुकिंग नहीं थी.
परेशान कस्टम ने जब उस अनजान यात्री को वर्ल्ड मैप दिखा कर उसमें उसे अपना देश खोजने को कहा तो उसकी उंगली एंडोरा नामक देश पर जा कर रुक गयी और वो झुंझला गया. उसका दावा था कि यह मैप गलत है क्योंकि यहां एंडोरा की जगह टॉरेड का नक्शा होना चाहिए. उसने ये भी कहा कि उसका देश वहां 1000 सालों से स्थित है.
उस यात्री की हर बात कस्टम अधिकारियों को उलझा रही थी. लेकिन उसके दस्तावेज फर्जी नहीं लग रहे थे. और तो और उसके पासपोर्ट पर इससे पूर्व टोक्यो की कई यात्राओं की मोहर लगी हुई थी. मामले को उलझता देख एयरपोर्ट अथोरिटी ने एक होटल के कमरे में पुलिस कस्टडी के साथ उस अंजान यात्री के ठहरने की व्यवस्था कर दी.
उन्हें लगा इससे उन्हें इस रहस्यमयी शख्स के बारे में गहराई से जानने का समय मिलेगा. मगर हर किसी की आंखें फटी की फटी तब रह गयीं जब अगली सुबह वह शख्स उस बंद कमरे के अंदर से ही ना जाने कहां गायब हो गया. इतना ही नहीं बल्कि जो दस्तावेज पुलिस ने उससे बरामद किये थे वे सब भी गायब थे.
वह शख्स कौन था, कहां से आया था और ये टॉरेड देश का क्या राज था ये सब आज 66 सालों बाद भी एक रहस्य बना हुआ है. कई रिपोर्ट्स में ये बात भी कही गयी कि वो शख्स टाइम ट्रेवलर था जो गलती से इस समय में आ गया था. हालांकि इस तरह की किसी बात की कभी पुष्टि नहीं हुई.
7. इस्डल महिला
सन 1970 में नॉर्वे की इस्डलन वैली में एक महिला की जली हुई लाश बरामद की गयी. एक पैदल यात्री जो वहां से अपनी बेटी के साथ गुज़र रहा था उसी ने इस लाश को देख तथा पुलिस को खबर की. महिला की लाश इतनी बुरी तरह जल चुकी थी कि उसकी पहचान कर पाना नामुमकिन था. उसका सामान उसके पास ही पड़ा था. उसके कपड़ों पर से टैग हटाया जा चुका था.
पुलिस के पास इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि वो लाश किसकी है. महिला को लेकर संदेह तब बढ़ने लगा जब उसके हाथ में थामा हुआ सूटकेस खोला गया. उस सूटकेस में नकली बाल, आठ से ज़्यादा पासपोर्ट, बिना निर्देश वाले चश्मों के जोड़े तथा कुछ हाथ से लिखे कोड बरामद हुए. इन कोड्स को तोड़ने के बाद पता चला कि ये तारीखें तथा उन जगहों की सूची है जहां इस महिला को जाना था.
अटोप्सी रिपोर्ट के अनुसार उस महिला के शरीर में 50 से 60 नींद की गोलियां मिलीं तथा इसके साथ ही उसके पैर में गोली मारी गयी थी. यह बात भी सामने आई कि उसे मारने के बाद नहीं, बल्कि ज़िंदा ही जलाया गया था. इन सब बातों के बाद अब कई नये सवाल सामने खड़े हो गये थे. जैसे कि वो कौन थी, उसे किसने और क्यों मारा होगा? क्या वो कोई जासूस थी?
आखिर पुलिस ने इस केस को सबसे छुपाने की कोशिश क्यों की? सवाल तो बहुत उठे मगर जवाब आज तक नहीं मिल पाया. इस इस्डल महिला के केस के बारे में जानने के बाद आपको नहीं लगता कि ये कहानी एक मिस्ट्री फिल्म का सॉलिड मसाला बन सकती है ? हालांकि इस पर 2019 में एक टीवी सीरीज़ बननी भी शुरू हुई है जो शायद इस साल देखने को मिले.