कहानी 16 फीट के खूंखार मगरमच्छ ‘ओसामा बिन लादेन’ की जिसने एक ही गांव के 80 लोगों को मार डाला

Indiatimes

दुनिया में कई खतरनाक जीव पाए जाते हैं. उनमें मगरमच्छ भी एक हिंसक जीव माना जाता है. जो जानवरों के साथ इंसानों को भी अपना शिकार बना लेता है. आज हम आपको इतिहास में एक ऐसे खूंखार मगरमच्छ से रूबरू करवाएंगे जिसके आतंक के लिए उसे एक ‘खूंखार आतंकवादी’ का नाम दे दिया गया. 

इस मगरमच्छ ने अफ्रीका (Africa) के यूगांडा (Uganda) के एक गांव में 15 साल तक आतंक मचा दिया. इसके बाद ही मगरमच्छ को खूंखार आतंकवादी ‘ओसामा बिन लादेन’ के नाम पर ‘ओसामा’ नाम दे दिया गया था. इस मगर की लम्बाई 16 फीट थी. 

Osama Crocodileopindia

ओसामा मगरमच्छ (Osama Crocodile) ने साल 1990 से साल 2005 तक गांव लुगंगा (Luganga) की आबादी का लगभग 10वें हिस्से को अपना शिकार बना लिया था. उसने गांव के 80 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. उसके आतंक से हर कोई डरने लगा था. 

Osama CrocodilePW

डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ओसामा मगरमच्छ अफ्रीका की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया में रहता था. वो झील के पास जाने वाले लोगों का शिकार करता था. झील के किनारे उन पर घात लगाकर हमला करता. मौक़ा देखते ही झील के पास खड़े शख्स पर झपटकर पानी में खींच ले जाता और उन्हें खा जाता था. इसके अलावा उसने कई मर्तबा नाव पर सवार लोगों की जान ली. 

Representative Image/peakpxRepresentative Image/peakpx

सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की खबर के मुताबिक, एक मृतक के भाई पॉल केवाल्यांगा ने बताया था कि कैसे ओसामा ने उसकी नाव पलट दी थी. जिसमें उसका भाई पीटर मारा गया था. 

osama crocodileNews18

पॉल पीछे बैठकर नाव चला रहा था, जबकि उसका भाई पीटर आगे बैठकर मछली पकड़ रहा था. तभी अचानक ओसामा ने नाव को धक्का देकर पलट दिया. हमले में पीटर पानी में गिर गया, जबकि पॉल नाव को पकड़ने में और अपनी जान बचाने में कामयाब हो गया. पीटर 5 मिनट तक ओसामा से लड़ता रहा लेकिन खूंखार मगरमच्छ से बचना आसान नहीं था. आख़िरकार उसकी मौत हो गई. 

Osama CrocodilePW18

साल 2005 में ग्रामीणों और वन्यजीव अधिकारियों की मदद से ओसामा मगरमच्छ को पकड़ा गया जिसके लिए 1 हफ्ते का अभियान चला था. ओसामा को जाल में फंसाने के लिए मांस के टुकड़े का लालच दिया गया था. हालांकि खूंखार ओसामा को जब पकड़ा गया तो उसे मारा नहीं गया. वन्यजीव के ऑफिसर उसे अपने साथ ले गए. साल 2005 में काफी मासूमों की जान जाने के बाद गांव वालों को खतरनाक मगरमच्छ के आतंक से निजात मिल पाई थी.