जेल में बंद एक कैदी की कहानी: वो बच्चों को पढ़ाता है और एक कंपनी में लाखों कमाने वाला कर्मचारी है

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जेल में बंद कैदी कौन हैं? वे जिनके जुर्म साबित हो गए हैं और अपनी सज़ा का इंतजार कर रहे हैं. या फिर वे जो जुर्म साबित होने का इंतजार कर रहे हैं. कुछ ऐसे भी होते हैं जिनका अपराध और सजा दोनों मुक्करर हो चुके हैं. इन सब में कुछ समान है तो वो है… इंतजार! इंतजार के इन पलों को कैदी जेल के काम कर काटते हैं. 

किन्तु, आज हम आपको एक ऐसे कैदी की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर शायद आप समझ पाएंगे कि हर कैदी बस जुर्म की सजा काटने वाला, अपराधी नहीं होता! वो एक अच्छा शिक्षक भी हो सकता है…

ऑनलाइन टीचर बनने का सपना

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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की नाहन सेंट्रल जेल में बंद है एक युवा. (उस कैदी का नाम गोपनीयता का मसला है) जिसने IIT रुड़की से परीक्षा पास की है और सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी में उसका कोई सानी नहीं. लेकिन ​जीवन में उससे एक ऐसी गलती हो गई, जिसने उसे जेल की सलाखों के पीछे ला दिया. साल गुजर रहे हैं और वो रोज अपने अपराध के लिए भीतर ही भीतर शर्मिंदा होता है.

किन्तु, इस वक्त में सबसे बड़ी बात जो थी वो ये कि उसने हौसला नहीं खोया. अपने करियर को बर्बाद होने से बचाने के लिए उसने जेल से ही पढ़ाई करवाना शुरू किया. यह व्यवस्था ऑनलाइन क्लास के जरिए पूरी हो सकी. साल 2019 से उसने शिमला के ही एक लोकल कोचिंग सेंटर में ऑनलाइन पढ़ना शुरू किया, बच्चों को उनके नए शिक्षक के बीते हुए कल के बारे में कुछ नहीं बताया गया.

वे बस ये जानते थे कि उन्हें एक अच्छा शिक्षक मिला है. इस बाद बच्चों को पढ़ाई समझ आने लगी और स्टूडेंटस की लाइन लग गई. कुछ ही महीनों में वह कैदी इतना पापुलर हो गया है उसे ऑनलाइन साइंस क्लासेज लेने के लिए देश की एक प्रतिष्ठित कंपनी ने 12 लाख रुपए सालाना पैकेज पर नौकरी दे दी.

एक गलती ने बदल दी जिंदगी

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डीजी सोमेश गोयल बताते हैं कि यह कैदी शिक्षक मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले का रहने वाला है. जब वह IIT रुड़की में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था उसी दौरान उसकी एक गर्लफ्रेंड बनी. दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. शादी करने की इच्छा थी पर समाज और परिवार इस रिश्ते को कबूल करने के लिए तैयार नहीं था.

परिवार के रजामंदी के बिना रिश्ता हो नहीं सकता था और एक-दूसरे के बिना जीना मुश्किल था. ऐसे में एक ही रास्ता था…जो ज्यादातर युवा इस दौरान उठा लेते हैं! रास्ता था, साथ जी नहीं सकते तो क्या साथ मर जाते हैं. दोनों ने आत्महत्या की कोशिश की. लेकिन इस कोशिश में प्रेमिका की मौत हो गई और वह बच गया.

यह घटना साल 2010 की है. प्रेमिका के चले जाने का ग़म और खुद के जिंदा बच जाने के मलाल के बीच जो दूसरी मुसीबत आई, वो थी पुलिस. आत्महत्या की कोशिश के चलते वो जेल पहुंच गया. चूंकि जिंदगी से प्यार, उम्मीद सब जा चुके थे इसलिए शायद अपने लिए लड़ने की इच्छा भी खत्म हो गई थी. कोर्ट ने उसे अपनी प्रेमिका की हत्या का दोषी माना और उम्रकैद की सज़ा सुना दी. 

जेल प्रबंधन कर रहा है मदद

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मीडिया से बात करते हुए डीजी सोमेश गोयल कहते हैं कि उस कैदी ने खुद इच्छा जाहिर की थी कि वह बच्चों की कक्षाएं ले सकता है. बहुत ज्यादा नहीं तो कम से कम 10वीं 12वीं के बच्चों को पढ़ा सकता है. जेल प्रबंधन भी कैदियों को आत्म निर्भर बनाने की कोशिश कर रहा था, ऐसे में हमें उसका प्रस्ताव अच्छा लगा और कक्षाएं शुरू हो गईं. वो कहते हैं कि हमें उसे देखकर बहुत गर्व महसूस होता है.

यह हिमाचल का शायद पहला ही मामला होगा जहां एक कैदी, अपने अपराध के कारण नहीं बल्कि हुनर के कारण पहचाना जा रहा है. कोई उसका नाम नहीं जानता, कोई पहचान नहीं पर वह शिक्षक है. असल में शिक्षक वो होता है, जो शिक्षा दे और शिक्षा जीवन के उन अनुभवों से मिलती है जो हमने अपनी जीवन में पाए.

वह विज्ञान के नियमों को समझाता है पर उसकी कहानी हमें ये बताने के लिए काफ़ी है कि अपनी ग​लतियों का ठिकरा सिर पर लिए बैठे रोते रहने से कुछ नहीं होता. आप तब तक नहीं हार सकते जब तक आप जीतने की उम्मीद ना खो दें और दूसरी बात कि जेल में रहने वाला हर कैदी बस कैदी नहीं होता, वो कुछ और भी हो सकता है.. कुछ बेहतर हो सकता है, बशर्ते वो होना चाहे…