कलेक्टर बनने की कहानी: पिता बीमार, भाई ने रिक्शा चलाकर पढ़ाया, टॉप कर गईं वसीमा

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महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन का रिजल्ट आ गया है. इसमें वसीमा शेख महिला टॉपर्स लिस्ट में तीसरे स्थान पर रहीं. वह अब डिप्टी कलेक्टर बनेंगी. वसीमा ने दूसरों के खेतों में काम करके पढ़ाई की. ग़रीबी और तकलीफ़ को करीब से देखीं और आज कलेक्टर बन गई हैं.

वसीमा शेख महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के जोशी सांघवी गांव की रहने वाली हैं. उनके पिता मानसिक रूप से बीमार हैं. बड़े भाई के ऊपर घर की जिम्मेदारी है. वह इसके लिए रिक्शा चलाते थे. वहीं, मां दूसरों के यहां काम करती हैं. 

waseema sheikh

वसीमा 4 बहनों और 2 भाइयों में चौथे नंबर पर हैं. उनका एक भाई आर्टिफिशियल ज्वेलरी की छोटी सी दुकान लगाता है. वसीमा खुद दूसरों के खेतों में काम करती हैं. डिप्टी कलेक्टर बनीं वसीमा कहती हैं, आपको कुछ बनना है तो अमीरी-गरीबी कोई मायने नहीं रखती है.

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वसीमा शुरू से मेघावी रही हैं. साल 2018 में उन्होंने एमपीएससी की परीक्षा पास की थी और वह सेल्स टैक्स में इंस्पेक्टर बन गई थीं. वहीं, उनकी  छोटी बहन भी अब एमपीएससी की ही तैयारी कर रही हैं और वसीमा की तरह ही बनना चाहती हैं. वसीमा अपनी मां और भाई को सफलता का श्रेय देती हैं.