HDFC की कहानी: चॉल से निकले हसमुखभाई पारेख ने बुढ़ापे में शुरू किया था बैंक

आईसीआईसीआई बैंक से रिटायर होने के बाद हसमुखभाई पारेख ने अपना सपना पूरा करते हुए HDFC की नींव रखी। उनका सपना था कि हर भारतवासी के पास अपना घर हो। इसी सोच के साथ उन्होंने वित्तीय संस्थान एचडीएफसी की शुरुआत की। जिसके कारण उन्हें भारत में होम लोन का जनक भी माना जाता है।

HDFC

नई दिल्ली। निजी सेक्टर के सबसे बड़े बैंक HDFC की शुरुआत करने वाले हसमुखभाई पारेख ( Hasmukhbhai Parekh) की आज पुण्यतिथि है। 18 नवबंर, 1994 को देश ने आर्थिक जगत की इस मशहूर हस्ती को खो दिया । हसमुखभाई पारेख का जीवन प्रेरणा से भरा है। जिंदगी के आखिरी वक्त तक वो बैंक और वित्तीय कामों में जुटे रहे। पहले ICICI बैंक और फिर रिटायरमेंट के बाद एचडीएफसी ( HDFC ) की शुरुआत करने वाले पारेख की खुद की जिंदगी मुश्किलों में बीती।

चॉल में बीता बचपन
हसमुखभाई पारेख का जन्म साल 10 मार्च 1911 को सूरत में हुआ। पिता के साथ चॉल में बचपन बिताने वाले हसमुखभाई पारेख देश को सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का बैंक देंगे, इसकी कल्पना उनके घरवालों ने भी नहीं की थी। हसमुखभाई ने अपनी काबिलियत के दम पर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में फेलोशिप

की, उसके बाद स्वदेश लौटकर उन्होंने बॉम्बे के सेंट जेवियर्स से डिग्री पूरी की। अपने करियर की शुरुआत स्टॉक ब्रोकिंग फर्म हरिकिशनदास लखमीदास से की और साल 1956 में वो आईसीआईसीआई बैंक का हिस्सा बनें। यहां उन्होंने डेप्यूटी जनरल मैनेजर , चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर तक की जिम्मेदारी संभाली और साल 1976 में वो बैंक से रिटायरमेंट के बाद बोर्ड के चेयरमैन बने रहे। पारेख हमेशा लोगों के बीच रहना पसंद करते थे। उन्हें आम लोगों के बीच रहना, उनके लिए काम करना पसंद था। उनका सपना था कि भारत के हर नागरिक के पास अपना घर हो। आईसीआईसीआई ( ICICI) बैंक से रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपने इसी सपने पर काम करना शुरू कर दिया।
रिटायरमेंट के बाद रखी HDFC की नींव

भारत के बैंकिंग और फाइनेंश सेक्टर को गहराई से समझने वाले पारेख ने रिटायरमेंट के बाद भी छुट्टी नहीं ली और 66 साल की उम्र में हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन (HDFC) की शुरुआत की। एचडीएफसी देश की ऐसी पहली संस्था थी जो पूरी तरह से हाउसिंग फाइनेंस पर समर्पित थी। पारेख ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने देशवासियों को पहली बार होम लोन की सुविधा उपलब्ध कराई थी। तमाम नकारात्मक कयासों की बीच उन्होंने अपनी सोच के साथ एचडीएफसी को न केवल हाउसिंग बल्कि बैंकिंग सेक्टर का दिग्गज संस्थान बना दिया।
निजी जिंदगी में अकेलापन

प्रोफेशनल लाइफ में कामियाबी पाने वाले पारिख का निजी जिंदगी अकेलेपन में बीता। पत्नी की मौत और संतान न होने के कारण उनकी जिंदगी का आखिरी पल अकेलेपन में बीता। उनकी भांजी हर्षाबेन और उनके भांजे दीपक पारिख आखिरी पलों में उनके साथ रहे। हसमुखभाई पारेख ने कई बार अपने अकेलेपन को लेकर बात की थी। उन्होंने इस बात का जिक्र कई बार किया था कि किसी के प्यार करने से ज्यादा जरूरी उसके प्यार को समझना है। बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में उनके योगदान के लिए साल 1992 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया ।