लेडी सिंघम की कहानी: बाल विवाह हुआ, 18 साल में बनी मां, फिर जी-तोड़ मेहनत की और IPS बन गईं

अधिकतर लोग अपने पैदा होने के साथ जिन परिस्थितियों को देखते हैं उन्हें ही अपना सच मान लेते हैं. अगर उनसे उनकी कोई बड़ी ख्वाहिश पूछो तो वो कहते हैं ‘इसे तो अब तो अगले जन्म में ही देखेंगे. लेकिन इन्हीं लोगों के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने इसी एक जन्म में दो ज़िंदगियां जी लेते हैं. एक वो ज़िंदगी जो उन्हें जन्म के साथ मिली और दूसरी वो जिसे उन्होंने अपनी मेहनत से बनाया होता है. आईपीएस एन अंबिका की ज़िंदगी भी दो विपरीत हिस्सों में बंट गई. अपनी पहली ज़िंदगी में जैसी वो थीं वहां से आईपीएस बनने की कल्पना करना भी संभव नहीं है. तो चलिए आज जानते हैं उस लेडी सिंघम के बारे में जो कभी एक साधारण सी गृहणी थी :

14 साल में हो गई शादी 

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आईपीएस अंबिका को मुंबई की लेडी सिंघम के नाम से पहचान मिली है लेकिन जिन हालातों में वह बड़ी हुईं वहां से ऐसा सोचना भी अंबिका के लिए नामुमकिन था. भले ही अंबिका इस बात के लिए किसी को दोषी ना मानें लेकिन असल में वह बाल विवाह की शिकार थीं. मात्र 14 साल की उम्र में इनकी शादी तमिलनाडु के डिंडिकल के एक पुलिस कॉन्स्टेबल से कर दी गई थी. जिस उम्र में लोग अपनी बेटियों को बच्चे की तरह रखते हैं उस 18 वर्ष की आयु में अंबिका खुद दो बेटियों की मां बन चुकी थी. उन्हें किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं था और ना ही उन्हें किसी तरह की कोई जरूरत महसूस हो रही थी. यूपीएससी, आईएएस, आईपीएस इन सब बातों से बहुत दूर अंबिका अपनी घर गृहस्थी तथा बच्चों को संभालने में व्यस्त थीं. 

ऐसे जागी यूपीएससी परीक्षा देने की चाह 

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नियति इंसान के लिए हर तरह के दरवाजे खोल सकती है. सही दिशा में जा रहा इंसान भटक सकता है और भटके हुए इंसान को सही रास्ता मिल सकता है. यहां भी नियति ने अंबिका के साथ यही किया. उसकी सपाट चल रही ज़िंदगी को एक खूबसूरत मंजिल की तरफ मुड़ने का खयाल तब आया जब वह अपने कॉन्स्टेबल पति के साथ एक बार गणतंत्र दिवस की पुलिस परेड देखने गई. यहां उन्होंने देखा कि उनके पति उच्च पदाधिकारियों को सैल्यूट कर रहे हैं. इस पर अंबिका ने अपने पति से पूछ लिया कि उन्होंने उन लोगों को क्यों सैल्यूट किया ? पति ने बताया कि वे सब पदाधिकारी थे इसलिए. अंबिका पति से सवाल पूछती रही. जैसे कि पदाधिकारी कैसे बनते हैं ? आईपीएस बनने के लिए क्या करना होता है ? सिविल सर्विसेज एग्जाम कैसे देना होता है ? इन सब सवालों के जवाब मिलने के बाद अंबिका के मन में सिर्फ एक ही बात आई और वो ये कि उसे यूपीएससी का एग्जाम देना है. 

फिर से शुरू की पढ़ाई 

अंबिका के पति को उस समय चाहे उनकी बातें बचकानी लगी हों लेकिन धीरे धीरे अंबिका ने साबित कर दिया कि वो इस विषय के प्रति बहुत गंभीर हैं. वह फैसला तो कर चुकी थीं लेकिन ये आसान कहां था. एक गृहणी जिसने सालों पहले पढ़ाई छोड़ दी हो उसके लिए घर और बच्चे संभालने के साथ साथ पढ़ाई करना आसान कैसे हो सकता है लेकिन कहते हैं ना सफलता आसानी से मिल जाती तो हर कोई सफल ना हो जाता. अंबिका इस बात से वाकिफ थी कि उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी. यही सब सोच कर इन्होंने एक प्राइवेट कोचिंग से 10वीं की तैयारी शुरू की. 10वीं और 12वीं के बाद इन्होंने डिस्टेंस लर्निंग से ग्रेजुएशन पूरी की. ग्रेजुएशन करने के बाद वह अपने आईपीएस ऑफिसर बनने के सपने को साकार करने के काबिल बन चुकी थीं.

पति का मिला साथ 

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यूपीएससी की तैयारी आसान कहां होती है. अंबिका जैसी महिलाओं को तो अच्छी कोचीन की जरूरत पड़ती ही है लेकिन अफसोस कि उनके क्षेत्र में कोई कोचिंग सेंटर नही था. लेकिन अंबिका इन छोटी मुश्किलों के कारण अपने सपने का त्याग करने वालों में से नहीं थीं. उन्होंने फैसला कर लिया कि वह चेन्नई में रहकर सिविल सर्विस के एग्जाम की तैयारी करेंगी. इस फैसले में उन्हें अपने पति का पूर्ण समर्थन मिला. अंबिका घर और बच्चों की सारी चिंता से मुक्त हो कर चेन्नई में रहकर तैयारी कर सके इसलिए इनके पति ने नौकरी के साथ दोनों बच्चों की देखभाल करने का जिम्मा भी उठा लिया. हालांकि, अंबिका बताती हैं कि ये सब बताने में जितना आसान लगता है उतना आसान था नहीं.

तीन बार असफलता के बाद पूरा किया सपना 

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अंबिका के लिए यूपीएससी परीक्षा आसान नहीं थी. पहले तीन प्रयासों में उन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ा. और तो और उनका साथ देने वाले उनके पति भी अब हिम्मत हार चुके थे. उन्होंने अंबिका से कह दिया था कि वह तीन असफल अटेम्प्ट्स के बाद वापस लौट आएं. लेकिन अंबिका हार मानने वालों में से नहीं थीं, उन्होंने पति से कहा कि वह एक आखिरी प्रयास करना चाहती हैं. इस बार अंबिका ने अपनी सारी ताकत झोंक दी और साल 2008 में यूपीएससी की कठिन परीक्षा को पास कर लिया. इसके साथ ही उनका आईपीएस ऑफिसर बनने का सपना पूरा हुआ. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें अपनी पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र में मिली. इसके बाद वह मुंबई में जोन-4 की डीसीपी बनीं और यहीं इन्हें मुंबई की लेडी सिंघम के रूप में नया नाम मिला .