प्रयागराज के एक परिवार की अजीब कहानी: अंधविश्वास में तीन माह से घर के गेट पर लगा रखा था ताला, खिड़की से आते-जाते थे घरवाले
प्रयागराज के करछना इलाके के डीहा गांव में एक परिवार 18 वर्षीय बेटी अंतिमा यादव के शव के साथ पांच दिन तक घर के भीतर बंद रहा। दुर्गंध आने पर ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद घटना की जानकारी हुई। भीतर जाने पर घर में 11 अन्य सदस्य भी बीमार पड़े मिले। इनमें से एक की हालत गंभीर थी। यह परिवार अभयराज यादव प्राइवेट का है। बताया जाता है कि अभयराज के घरवाले इतने अंधविश्वासी थे कि बीते तीन माह से घर के मुख्य द्वारा पर ताला बंद कर रखा था और बगल लगी खिड़की को निकालकर उसकी से आया जाता करते थे। तीनों लड़के बाजार कभी-कभार जाते थे और वहां से केवल लाई चना इकट्ठा खरीदकर ले आया करते थे। बाजार में भी वह किसी दुकानदार से कोई मतलब नहीं रखा करते थे।
अभयराज अपनी पत्नी के साथ चला गया ससुराल पुलिस के मुताबिक, अभयराज ने बताया कि बेटे व बेटियां उसकी बात नहीं मानते थे और उसे व उसकी पत्नी विमला देवी को कमरे में बंधक बनाकर रखा जाता था।
मंगलवार शाम को तो दोनों पास रहने वाले अपने पट्टीदार के घर चले गए थे। लेकिन देर रात अमहा देहली स्थित ससुराल से उसके उसके साले साले जमुना, केशव व उमाशंकर आए और इन्हें लेकर अपने साथ चले गए।
कोटे की दुकान से दो माह से नहीं उठाया था राशन कोटेदार जगदीश ने बताया कि बीते दो माह से उन्होंने राशन नहीं उठाया था। जब उनके घर में संदेशा लेकर जाता था तो वह हमलावर हो जाते और कहते जब देवी जी कहेंगी तब वह राशन लेने आएंगे। बताया कि बीते ढाई साल से परिवार के सदस्यों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।
पुलिस जब अभयराज के घर के अंदर दाखिल हुई तो देखा के आंगन में 20 बोरी अनाज है। इसमें गेहूं व चावल रखा हुआ है। पर्याप्त राशन होने के बाद भी घर में बीते दो माह से चूल्हा नहीं जला था।
सभी बच्चे थे पढ़ लिखे अभयराज का बड़ा बेटा आर्यन स्नातक कर नोएडा में काम करता था। कोरोना संक्रमण के दौरान वह गांव आ गया और फिर अपनी बहनों के साथ ही झाड़फूंक में लग गया। दूसरे नंबर का बेटा मान सिंह एमएसएसी करके बीटीसी कर रहा था। वहीं तीसरा बेटा ज्ञान सिंह आईटीआई कर चुका था। मृतका अंतिमा इंटर की छात्रा थी। बाकी चारों बहनें स्नातक कर चुकी थी।
रिश्तेदारों से नहीं था कोई नाता गांव में अभयराज के भाई नेब्बू लाल का पूरा परिवार रहता है। नेब्बू लाल के लड़के शमशेर बहादुर, अवधेश, राम सिंह अपने परिवार के साथ यहीं पास में ही रहा करते हैं।
उन्होंने बताया कि अभयराज का परिवार बीते एक साल से किसी से कोई मतलब नहीं रखता था। गांव में ही उनका चचेर भाई राज नारायण व उनके बेटे आशीष और अजय भी रहते है। लेकिन अभयराज के परिवार से इनका कोई लेनादेना नहीं है।