20 हजार से शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती, अब हर महीने कमा रही है 30 हजार रुपये, जानिए निर्मला की कैसे बदल गई तकदीर

Success Story: झारखंड की कई महिलाएं खेती-किसानी के माध्यम से अपनी तकदीर बदल रही है। दुमका की भी कुछ महिलाओं ने स्ट्रॉबेरी की खेती की मदद से अपनी किस्मत बदलने में सफलता हासिल की है। इन महिलाओं को झारखंड आजीविका मिशन की ओर से सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

dumka

दुमका: जहां कुछ कर गुजरने का जज़्बा होता हो, वहां मुश्किलें भी घुटने टेक देती हैं। ऐसी ही कहानी दुमका सदर प्रखंड के सुदूर गांव राजबांध की निर्मला दीदी की हैं। राजबांध की रहने वाली निर्मला को घरेलू काम-काज से फुर्सत नही मिलती थी। 5 सदस्य के परिवार में अतिरिक्त आमदनी का कोई जरिया नहीं था। कोई विकल्प नहीं दिख रहा था। इस बीच झारखंड राज्य आजिविका मिशन (जेएसएलपीएस) के तहत संचालित लंगतीती नामक स्वयं सहायता समूह ने नयी राह दिखाई तो निर्मला उस राह पर चल पड़ी। आय का नया स्रोत ढूंढने की आवश्यकता थी। इस आवश्यकता की पूर्ति जेएसपीएल ने कर दी।

झारखंड राज्य आजीविका मिशन से मिली बड़ी मदद

निर्मला कहती हैं कि पिछले कुछ समय से वह अपना खुद का कुछ काम शुरू करना चाहती थी, लेकिन आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होने के कारण काम शुरू करने के लिए पूंजी की व्यवस्था नहीं थी। जैसे ही झारखंड राज्य आजीविका मिशन के तहत आजीविका शुरू करने में मदद की जानकारी मिली। गांव के लंगतीती स्वयं सहायता समूह से जुड़कर गयी और वह मंजिल की ओर अपना कदम बढ़ाने लगी। इस समूह में 12 महिला सदस्य हैं। जेएसएलपीएस के तहत उन सभी को आजीविका गतिविधियों से संबंधित मार्गदर्शन दिये गये। इसके तहत समूह से जुड़ी सदस्यों ने अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार आत्मनिर्भर बनने से संबंधित गतिविधियों का चयन किया। जो आज सफलतापूर्वक संचालन कर रहीं हैं।

सखी मंडल की ओर से 20 हजार रुपये की सहायता प्राप्त हुई

इसी क्रम में निर्मला ने अपने घर में खाली पड़ी जमीन पर सिंचाई की सुविधा को देखते हुए खेती-बाड़ी करने की इच्छा जाहिर की। तो उन्हें सखी मंडल की ओर से सीआईएफ की राशि से 20 हजार रुपये हजार रुपए की सहायता प्राप्त हुई। इन पैसों से उन्होंने पिछले साल से टपक सिंचाई विधि से खेती करना प्रारंभ किया। मौसम के आधार पर खेती करते रहे जिसमें लागत के सापेक्ष काफी फायदा मिलने लगा। उसने शुरुआत में लगभग 12 कट्ठा जमीन पर 20 हजार रूपया पूंजी से स्ट्रॉबरी की खेती शुरू की। जिससे वो अब लगभग हर महीने 30 हजार हज़ार रुपया का मुनाफा कमा रही हैं। जिससे उसका मनोबल और बढ़ा। निर्मला ने बताती हैं कि उन्हें इस कार्य को सफल बनाने में पति योगेश मुर्मू के अलावा जेएसएलपीएस के प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक निर्मल कुमार वैद्य तथा तकनीकी कर्मी के सहयोग मिलता रहा। आज अच्छी आमदनी से पूरा परिवार खुश है। अब परिवार की अतिरिक्त आवश्यकताएं जैसे बच्चों की पढ़ाई के खर्च की चिंता से राहत भी मिली है।