संजौली कॉलेज में छात्र से रैंगिंग और जातिगत भेदभाव का आरोप, पांच निलंबित

हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित सेंटर ऑफ एक्सिलेंस संजौली कॉलेज में एक छात्र ने पांच विद्यार्थियों पर रैंगिंग और जातिगत भेदभाव करने के आरोप लगाए हैं। कॉलेज प्रशासन ने जांच के बाद पांचों विद्यार्थियों को निलंबित कर दिया है। हालांकि कॉलेज प्रशासन यह भी दावा कर रहा है कि यह मामला न तो रैगिंग का है न ही जातिगत भेदभाव का है  कॉलेज प्रशासन ने अपने स्तर पर जांच करने के बाद यह मामला पुलिस को सौंप दिया है। अब आगे की कार्रवाई पुलिस की जांच के आधार पर होगी। पीड़ित छात्र आशुतोष ने चार दिन पहले यह शिकायत कॉलेज की एंटी रैगिंग और अनुशासन समिति को दी थी।

समिति ने इस पूरे मामले में दोनों पक्षों को सुन लिया है। इसके बाद कॉलेज परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गई। समिति का दावा है कि इसमें शिकायतकर्ता छात्र के साथ किसी तरह की मारपीट किए जाने के साक्ष्य नहीं मिले हैं। शिकायतकर्ता और जिन पर रैगिंग के आरोप लगे हैं वह सभी द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। इनमें तीन आरोपी छात्र अनुसूचित जाति से ही हैं।   कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इसे जातिगत भेदभाव या रैगिंग का मामला नहीं माना है। इसके बावजूद कॉलेज प्रशासन ने आरोपी छात्रों को निलंबित कर दिया है। साथ ही आरोपी छात्रों को अभिभावकों के साथ कॉलेज बुलाया है। इनमें दो के अभिभावक कॉलेज आ चुके हैं।

मामला रैगिंग का नहीं : डॉ. मेहता 
कॉलेज प्राचार्य डॉ. सीबी मेहता ने कहा कि एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार मामला रैगिंग का नहीं है। सभी छात्र द्वितीय वर्ष के हैं। एक ही श्रेणी से संबद्ध रखते हैं, इसलिए जातिगत भेदभाव किए जाने के भी साक्ष्य नहीं मिले हैं। इसलिए अब मामला पुलिस के सुपुर्द कर दिया है। अब पुलिस की जांच में ही साफ होगा कि छात्र के आरोप किस हद तक सही हैं।

डीसी और एसपी से की कार्रवाई की मांग  
भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन के पदाधिकारियों ने इस मामले को लेकर मंगलवार को डीसी और एसपी से मुलाकात की। भीम आर्मी के प्रदेशाध्यक्ष रवि कुमार, स्टूडेंट फे डरेशन आर्मी के  पदाधिकारी शिशुपाल, सिरमौर के महासचिव सुरेंद्र धर्मा, सचिव ललित चौहान, संगठन मंत्री नारायण मानटा और कपिल चांटा ने कहा कि छात्र आशुतोष के साथ यह घटना पेश आई। इसमें जातिगत भेदभाव किया गया है। कपिल ने कहा कि डीसी ने मांग सुनने के बाद आश्वस्त किया कि छात्र के आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाएगी। इसमें कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।