‘टैंक किलर’ के बहादुरी के किस्से पढ़ेंगे छात्र, युद्ध नायक गंजू लामा को समर्पित संग्रहालय खोला गया

द्वितीय विश्व युद्ध में टैंक-रोधी हथियार से दो जापानी टैंकों को तबाह करने के लिए लामा को ‘टैंक किलर’ के रूप में जाना जाता है। संगमू गांव में स्थापित संग्रहालय में उनकी प्रतिमा भी लगाई गई है।

मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने किया संग्रहालय का उद्घाटन
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने किया संग्रहालय का उद्घाटन

सिक्किम में युद्ध नायक और ‘टैंक किलर’  कहे जाने वाले दिवंगत गंजू लामा को समर्पित एक संग्रहालय बनाया गया है। विक्टोरिया क्रॉस पुरस्कार से सम्मानित गंजू लामा के परिवार के सदस्यों ने दक्षिण सिक्किम स्थित उनके पैतृक संगमू गांव में यह संग्रहालय बनाया गया है।

द्वितीय विश्व युद्ध में टैंकों को किया तबाह 
द्वितीय विश्व युद्ध में टैंक-रोधी हथियार से दो जापानी टैंकों को तबाह करने के लिए लामा को ‘टैंक किलर’ के रूप में जाना जाता है। संगमू गांव में स्थापित संग्रहालय में उनकी प्रतिमा भी लगाई गई है। मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने इस संग्रहालय का उद्घाटन किया। संग्रहालय में उनसे जुड़ी कलाकृतियों, वर्दी,  पदक, स्मृति चिन्ह और सैनिक से जुड़ी यादगार वस्तुओं को प्रदर्शित की जाएगी।

स्कूलों में पढ़ाई जाएगी लामा से जुड़ी कहानियां
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने लामा के परिवार के सदस्यों को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दी और संग्रहालय और प्रतिमा की स्थापना को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि लामा और अन्य बहादुर पुरुषों व महिलाओं की कहानियों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा ताकि छात्र उनके जीवन से रुबरु हो सके। राज्य सरकार संग्रहालय को पर्यटन मानचित्र पर शामिल करेगी और पर्यटकों के  लिए गाइड भी उपलब्ध कराएगी।

ब्रिटिश भारतीय सेना में हुए थे शामिल 
17 साल की उम्र में लामा ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हुए। उन्हें दो साल बाद 1944 में प्रतिष्ठित युद्ध पदक से सम्मानित किया गया। स्वतंत्रता के बाद, वह 1968 में अपनी सेवानिवृत्ति तक भारतीय सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स के साथ जुड़े रहे। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें जीवन के लिए भारत के राष्ट्रपति के मानद एडीसी नियुक्त किया गया। बाद में उन्होंने अपने गांव में एक स्कूल की स्थापना की और सामाजिक कार्यों में लगे रहे। 30 जून 2000 को उनके गांव में उनका निधन हो गया। गंगटोक में एक सैन्य परिसर के एक गेट का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है। उनके बेटे पेमा लेद्या ने कहा कि बहुत से लोग गंजू लामा के बारे में भूल गए होंगे लेकिन संग्रहालय उनकी कहानियों को दुनिया में फैलाने में मदद करेगा।