Subhash Ghai: एक्टर्स का ये रवैया और मुंह मांगी फीस, सुभाष घई ने बताईं 4 वजह जिनसे साउथ से पिछड़ रहा बॉलीवुड

डायरेक्टर सुभाष घई ने बताया है कि आखिर बॉलीवुड किस वजह से साउथ से पिछड़ रहा है और आज के एक्टर्स में क्या-क्या कमियां हैं। सुभाष घई ने यह तक कहा कि जब से बॉलीवुड नाम रखा है, तभी से असली समस्या खड़ी हो गई है। सुभाष घई ने क्या-क्या कहा, पढ़िए:

subhash ghai
सुभाष घई

Subhash Ghai ने अपने ‘मुक्ता आर्ट्स’ प्रोडक्शन हाउस की 44वीं एनिवर्सरी पर हमारे सहयोगी ईटाइम्स से बातचीत की। इंटरव्यू में उन्होंने आज और बीते दौर के स्टार्स के काम करने के नजरिए में फर्क से लेकर उन चीजों पर बात की, जिन्होंने बॉलीवुड को एकदम ‘बौना’ बना दिया है। सुभाष घई ने यह भी बताया कि आखिर साउथ की फिल्में क्यों इतना चल रही हैं और बॉलीवुड एकदम फिसड्डी साबित हो रहा है।


स्टार्स की तगड़ी फीस, स्टार्स के मुताबिक फिल्में

सुभाष घई ने कहा, ‘आजकल के एक्टर्स बहुत तगड़ी फीस मांग रहे हैं और प्रोड्यूसर्स उनके आगे झुक जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे एक टीचर छात्र से उसकी फीस पूछ रहा है और वह भी यह बताने से पहले कि वह उसे क्या पढ़ाएगा। साउथ की फिल्मों को देखिए। उन्हें देखकर लगता है कि उन्हें डायरेक्टर ने डायरेक्ट किया है। आपको उन फिल्मों को देखते ही समझ आ जाएगा कि एक्टर ने अपने रोल के आगे समर्पण कर दिया। मतलब खुद को उस रोल को ही सौंप दिया। लेकिन हमारी इंडस्ट्री, स्टार्स की इंडस्ट्री है। इसे डायरेक्टर नहीं फिल्म स्टार्स चलाते हैं।’

एक्टर्स की कहानी के बजाय फीस को अहमियत, शूट के बीच कमर्शल करना
सुभाष घई ने आगे कहा, ‘मुझे आज वो दिन याद हैं जब मैं रजनीकांत के साथ काम करता था। मैं काम के प्रति उनका समर्पण, भगवान में विश्वास और सम्मान नहीं भूल सकता। नब्बे के दशक के जो एक्टर्स हैं, जैसे कि शाहरुख, सलमान या आमिर…ये लोग तो कहानी की अहमियत समझते हैं। वो चाहते हैं कि काम अच्छी तरह से हो। और वो यह भी जानते हैं कि तब पैसा भी आएगा। लेकिन आज की पीढ़ी पहले अपनी पर्सनल ब्रांडिंग और फीस पर काम करना चाहती हैं। उसे इसी की चिंता है। उन्हें लगता है कि वो बहुत बड़े ब्रांड बन गए हैं। उनके पास अच्छे खासे लोग हैं, जो उन्हें यह भी बताते हैं कि लेफ्ट देखना है या राइट। वो साबुन-तेल वाले लोग लगते हैं जो अपनी शूटिंग छोड़कर एड करने के लिए चले जाते हैं।’

हद से ज्यादा एक्सपोजर भी कर रहा काम खराब
सुभाष घई ने कहा कि अब वो दिन बीत गए हैं जब एक्टर्स के पास कोई चुनौती भरा सीन होता था तो वह दो दिनों तक सो नहीं पाते थे। लेकिन आजकल के एक्टर्स कमर्शल करने के लिए फिल्म को बीच में ही छोड़कर चले जाते हैं। कमर्शल शूट करते हैं और फिर एक गैप के बाद फिल्म के सेट पर आते हैं। क्या इससे फर्क पड़ता है? यह पूछे जाने पर सुभाष घई ने कहा, ‘बिल्कुल फर्क पड़ेगा ना? क्या आपने कभी सुना कि राजेश खन्ना या अनिल कपूर अपने शुरुआती दिनों में एड करते थे? आप थिएटर से घर आओ तो एक्टर तेल बेच रहा है। आप सोचने लगते हैं कि आखिर इसे क्या हो गया है? आजकल के एक्टर्स को हद से ज्यादा एक्सपोजर मिल रहा है। ये लोग हमेशा ही टीवी पर होते हैं। इनकी पर्सनल लाइफ सबके सामने होती है। इस वजह से हर चीज के बीच का फर्क मिट जाता है। मैं यह नहीं कहूंगा कि वो हद से ज्यादा एक्सपोज हैं बल्कि कहूंगा कि एकदम गहराई तक एक्सपोज हैं।’

बताया कैसे सुधर सकते हैं बॉलीवुड के हालात

सुभाष घई से जब पूछा गया कि बॉलीवुड के मौजूदा हालातों को कैसे सुधारा जा सकता है? तो वह बोले, ‘जबसे बॉलीवुड नाम रखा है, प्रॉब्लम शुरू हुई है। इनके चेहरे हॉलीवुड की तरफ मुड़ गए हैं। अब फिल्मों की कहानी वो लोग लिख रहे हैं जो इंग्लिश में सोचते हैं। ऐसी फिल्में फिर लोगों से कैसे अपील करेंगी? कैसे लोग उनसे जुड़ेंगे? वो भगवान और परिवार के बारे में बात करते हैं, लेकिन कनेक्शन कहां है? हम पर भी अब वेस्टर्न कल्चर का प्रभाव हो रहा है और वैसे ही बनते जा रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए दुनिया को जानना बहुत अच्छी बात है। लेकिन जब आप इंडिया के लिए फिल्म बना रहे हैं तो आप एक विदेशी की तरह नहीं सोच सकते। बाहर की कहानी यहां मत लाइए। बेशक तकनीक में और बढ़िया कीजिए, नई चीजें लाइए लेकिन जो डीएनए और इमोशन है, वह देश का ही होना चाहिए।’