शहर के प्रताप भवन के समीप की ‘बहू’ व श्री रेणुका जी की बेटी डॉ. साक्षी तोमर (Dr. Sakshi Tomar) ने असाधारण तरीके से बुलंदी को हासिल किया है। पंजाब विश्वविद्यालय (Punjab University) के 70 वें दीक्षांत समारोह में देश के उप राष्ट्रपति (Vice President) की मौजूदगी में ‘डॉ. साक्षी तोमर’ ने पीएचडी (Ph.D) की उपाधि ग्रहण की। ददाहू में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने वाली ‘साक्षी’ अब भी चैन से नहीं बैठने वाली, वो पोस्टडॉक्टोरल (Postdoctoral) की रिसर्च भी करना चाहती है। ये फैलोशिप (Fellowship) केवल पीएचडी धारकों के लिए उपलब्ध होती है।
लाजमी तौर पर आपके जेहन में एक सवाल उठ रहा होगा…आखिर, पीएचडी तो बहुत करते हैं, साक्षी में क्या खास है। दरअसल, ऐसा बेहद ही असाधारण होगा…गोद में दो-अढ़ाई साल की बेटी महिला देश के नामी विश्वविद्यालय में पीएचडी की पढ़ाई में दाखिला लेने में सफल होती है। इसके बाद कोविड का संकट आता है। हौसला नहीं टूटने देती। चंडीगढ़ में ही बच्ची की परवरिश की जिम्मेदारी उठाती है, साथ ही पढ़ाई भी जारी रखती है। निश्चित तौर पर ससुराल में पति के अलावा सास-ससुर का सहयोग मिलता रहा, लेकिन जज्बा व हौसला साक्षी का ही था।
पीएचडी की पढ़ाई के दौरान साक्षी ने दूसरी बेटी को भी जन्म दिया। बड़ी बेटी साढ़े 5 साल की हो चुकी है, जबकि छोटी की उम्र अढ़ाई साल है। खास बात है कि वो आगे भी रिसर्च कार्य जारी रखने जा रही है। आपको बता दें कि साक्षी का विवाह 2016 में हुआ था। ससुर स्व. अमर सिंह तोमर एक्साइज विभाग में ईटीओ (ETO) के पद से रिटायर हुए थे, लेकिन उनका निधन साक्षी के विवाह से पहले ही हो गया था। पीएचडी की पढ़ाई के दौरान सास दीपा तोमर ने भी संसार त्याग दिया।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में डॉ. साक्षी ने कहा कि अबोध बच्चों की परवरिश के साथ पढ़ाई मुश्किल थी। सास का भरपूर सहयोग मिलता था, लेकिन इसी बीच सास का भी निधन हो गया। उन्होंने कहा कि पति भी हर कदम पर सहयोग देते हैं। डॉ. साक्षी ने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों की परवरिश व नौकरी का जिम्मा निभाने का प्रयास किया, शायद इसमें सफलता भी मिल रही है।