Success Story: मदद देने को दोस्त ने बेचे पत्नी के बुंदे, ओरैया से दिल्ली पहुंचकर जमाया जींस का काम, हाजी कुतुबुद्दीन के संघर्ष की कहानी जानिए

हाजी कुतुबुद्दीन ने बताया कि उनकी मां गांव में चूड़ियां बेचने का काम करती थी. परिवार में बंटवारे के बाद उन्हें अपना घर चलाना काफी मुश्किल हो रहा था

हाजी

कुतुबुद्दीन के एक दोस्त ने अपनी बीवी के गहने बेचकर शुरुआत में परिवार चलाने में उनकी मदद की.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के औरैया के रहने वाले कुतुबुद्दीन सिद्दीकी अपने गांव से निकलने के बाद मुंबई चले गए. घर की परिस्थिति सही नहीं होने की वजह से कामकाज के लिए मुंबई पहुंचे सिद्दीकी को जब मुंबई में रहने की जगह नहीं मिली और कामकाज में मुश्किलें आने लगी तो वह एक दोस्त की सलाह पर दिल्ली आ गए. बड़े भाई की शादी के बाद परिवार में हुए बंटवारे की वजह से सिद्दीकी साहब को घर छोड़कर बाहर कमाने के लिए आना पड़ा.

परिवार में हुए बंटवारे के बाद कुतुबुद्दीन की मां को उनके साथ कर दिया गया जबकि पिता बड़े भाई के साथ रहने लगे. हाजी कुतुबुद्दीन ने बताया कि उनकी मां गांव में चूड़ियां बेचने का काम करती थी. परिवार में बंटवारे के बाद उन्हें अपना घर चलाना काफी मुश्किल हो रहा था, इस वजह से भी सिद्दीकी को औरैया छोड़कर दिल्ली आने का फैसला करना पड़ा.

साल 1977 में दिल्ली पहुंचे कुतुबुद्दीन ने पहले कारीगरी सीखी. कुतुबुद्दीन सिद्दीकी ने कहा, “मुंबई में काम मिल गया लेकिन रहने की जगह नहीं मिली. इस वजह से उन्हें काफी दिक्कत हो रही थी.”

जब वे दिल्ली आए तो उस समय शर्ट का एक्सपोर्ट बंद हो गया था. अमेरिका में मंदी की वजह से दिल्ली में नमक के भाव मशीन मिल रही थी. उस समय अमेरिका को भारत से शर्ट बेचा जाता था. उस समय दिल्ली में लेदर जैकेट का बड़ा काम था. कुतुबुद्दीन सिद्दीकी ने लेदर जैकेट बनाना शुरू कर दिया.

उन्होंने कहा, “लेदर का माल काटना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन हमने वह काम सीख कर उसे बेहतरीन तरीके से आगे बढ़े. इसके बाद उन्होंने रेडीमेड का काम शुरू किया.”

कुतुबुद्दीन के एक दोस्त ने अपनी बीवी के गहने बेचकर शुरुआत में परिवार चलाने में उनकी मदद की. कुछ दिनों तक इधर-उधर कामकाज करते रहने और ओरैया में मां को पैसे भेजते रहने के बाद सिद्दीकी ने साल 1985 में लेडीज सूट का काम शुरू किया.

लेडीज सूट का काम बहुत बढ़िया चल रहा था, उसके बाद सिद्दीकी ने कारोबार बढ़ाने के लिए जींस का काम शुरू किया. इस बीच उनके बेटों ने भी कामकाज में हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया था. आज कुतुबुद्दीन सिद्दीकी के पास जींस की दो फैक्ट्रियां हैं, जबकि गारमेंट का कारोबार ₹10 करोड़ को पार कर चुका है. ओरैया से खाली हाथ दिल्ली पहुंचे कुतुबुद्दीन सिद्दीकी के पास आज ₹20 करोड़ से अधिक की संपत्ति है.