Success Story: दिल्ली में चलाया रिक्शा, एक्सीडेंट के बाद हरियाणा लौटकर बनाई ऐसी मशीन कि आज दुनिया भर में है मांग

हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर कांबोज दसवीं की पढ़ाई के बाद अपनी आर्थिक स्थिति से तंग आकर हरियाणा से दिल्ली कामकाज की तलाश में आए थे. दिल्ली में धर्मवीर कांबोज ने काफी दिनों तक हाथ रिक्शा चलाया.

धर्मवीर कांबोज

धर्मवीर कांबोज की सफलता उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है
नई दिल्ली: अधिकतर लोग यह मानते हैं कि पढ़ाई के बिना कोई इनोवेशन नहीं कर सकता, लेकिन अगर बात हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर कांबोज की करें तो सिर्फ दसवीं की पढ़ाई करने वाले धर्मवीर कांबोज आज बहुत बड़े साइंटिस्ट बन चुके हैं. उन्होंने ऐसी ऐसी मशीनें तैयार कर दी हैं जिनसे खेत में ही किसान टमाटर से केचप, एलोवेरा की पत्तियों से एलोवेरा जूस, पल्प और साबुन-शैंपू आदि बना सकते हैं.

धर्मवीर कंबोज बचपन से ही अपने रोजाना के कामकाज में आने वाली समस्याओं को सुलझाने के लिए मशीन बनाने की कवायद में जुटे थे. धर्मवीर जब स्कूल में पढ़ते थे तो खेतों में चरने वाली गाय का दूध निकाल कर उससे मिठाई बनाकर खाते थे. यह शरारत वह बाजरे के खेत के बीच में बैठकर करते थे. दिलचस्प तथ्य यह है कि बाजरे के खेत से धुआं निकलते देख लोगों को शक हो जाता था और वे उन्हें पकड़ लेते थे.

एक बार धर्मवीर ने यह सोचा कि अगर कोई ऐसा चूल्हा बनाया जाए जिसमें आग जलाने पर धुआं ना हो, तो उन की शरारत के बारे में कोई किसी को पता नहीं लगेगा. बस इसके बाद धर्मवीर ने एक ऐसा चूल्हा बनाया जिसमें आग जलाने पर धुआं नहीं होता था.

हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर कांबोज दसवीं की पढ़ाई के बाद अपनी आर्थिक स्थिति से तंग आकर हरियाणा से दिल्ली कामकाज की तलाश में आए थे. दिल्ली में धर्मवीर कांबोज ने काफी दिनों तक हाथ रिक्शा चलाया. रात को रैन बसेरे में सोए और अपने पैसे बचाकर परिवार को चलाने की कोशिश की. एक बार जब उनका एक्सीडेंट हो गया तो उस घटना ने उनका दिमाग बदल दिया और उन्होंने दिल्ली छोड़ने का फैसला कर लिया.

धर्मवीर कंबोज ने दिल्ली में चार-पांच साल तक रिक्शा चलाया. रिक्शा लेकर वे अपने ग्राहकों को जड़ी बूटी की मार्केट और मंडी में जाते थे. वहां उन्होंने धीरे-धीरे जड़ी बूटियों का काम देखा और समझा. इसके साथ ही वह पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास मौजूद एक पब्लिक लाइब्रेरी जाते थे, जहां वे किताबें पढ़ते थे.

एक्सीडेंट होने के बाद जब धर्मवीर कांबोज ने वापस हरियाणा जाने का फैसला किया तो उन्होंने आंवला, एलोवेरा और इस तरह की अन्य जड़ी बूटियों से प्रोडक्ट बनाने वाली मशीन का आविष्कार किया. उन्होंने एक मशीन बनाने के लिए फैब्रिकेटर के पास जाकर उसे डिजाइन बताया और उसका आर्डर दिया. पहली मशीन उन्होंने ₹35000 में तैयार कराई. इसके बाद तो जैसे धर्मवीर कांबोज की लॉटरी लग गई. धर्मवीर कांबोज की मशीन आज दुनिया के 25 से अधिक देशों में जाती हैं.

दामला हरियाणा के रहने वाले धर्मवीर कंबोज ने रोजाना के कामकाज में आने वाली दिक्कत को देख कर उससे बिजनेस आइडिया निकाला. उन्होंने देखा कि गुलाब की पत्तियों से गुलाब जल बनाने या आंवले का मुरब्बा और हलवा बनाने जैसे काम में लोगों को काफी दिक्कत आती है. उन्होंने इसके लिए एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है.

मल्टीपर्पज फूड प्रोसेसिंग मशीन बनाकर धर्मवीर कांबोज ने देश ही नहीं दुनिया के लाखों लोगों का जीवन आसान कर दिया है. 60 साल के धर्मवीर कांबोज अपनी कड़ी मेहनत से कई आविष्कार कर चुके हैं और जीवन में कभी उन्होंने किसी काम को ना नहीं कहा है.