Success Story:कारोबार में दो बार मिला धोखा, घर बेचना पड़ा, अब ललित कश्यप ने जींस का कारोबार पहुंचाया 100 करोड़ के पार जानिए कहानी

ललित की समझ में यह आया कि अगर बिजनेस करना है तो सबसे पहले मार्केटिंग और सेल्स के बारे में समझने की जरूरत है. कारोबार में हुए नुकसान की वजह से ललित को अपने हिस्से का मकान बेचना पड़ा.

 

ललित कश्यप

कारोबार में हुए नुकसान की वजह से ललित को अपने हिस्से का मकान बेचना पड़ा.

नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर में रहने वाले ललित कश्यप ने 1994 में 12वीं पास किया. इसके बाद उन्होंने ओ लेवल डिप्लोमा के लिए एडमिशन लिया. इसके बाद उन्होंने डीटीपी के रूप में एक जॉब मिली लेकिन वह जॉब उन्होंने पहले दिन ही छोड़ दी. उसके बाद फिर पढ़ाई की और ग्रेजुएशन पूरा करने की कोशिश की. साल 1997 में ललित ने मौजपुर में 200 गज के अपने घर के ऊपरी हिस्से में टिन शेड डालकर कपड़े का काम करना शुरू किया. उस समय वह लेडीस ड्रेस समेत कई तरह के काम कर रहे थे. सबसे पहले ललित ने सदर बाजार के एक ग्राहक के लिए जैकेट का काम किया. जॉब वर्क का ललित का काम ठीक चलने लगा.

इसके बाद ललित ने अपने घर का पेपर रखकर बैंक से 1.25 लाख रुपए का लोन ले लिया. इसके बाद उनकी मुलाकात उनके किसी दूर के रिश्तेदार से हुई जो दुबई से आयात-निर्यात का काम काज करते थे. उस समय ललित लेडीज ड्रेस का काम कर रहे थे जिसकी दुबई-रूस और चीन आदि में काफी डिमांड थी.

उनके साथ इन्होंने गारमेंट एक्सपोर्ट का काम किया. बैंक से लिए गए लोन की रकम से तैयार माल और वह रकम भी डूब गई. इस बीच उस व्यक्ति ने इनसे कहा कि पेमेंट नहीं मिल रहा. ललित ने गारमेंट बनाकर भेज दिया लेकिन उसका पेमेंट नहीं आया. इसके बाद फिर से ललित जीरो पर आ गए.

इसके बाद ललित ने एक रिश्तेदार से ₹60000 ब्याज पर लिए. इस रकम से उस व्यक्ति ने फिर से ललित के साथ मिलकर दुबई से आयात निर्यात के काम में हाथ आजमाने की सोची. उन दिनों वीसीआर और वीसीपी का जमाना था, जिसे दुबई से माल मंगाकर करोलबाग के गफ्फार मार्केट में बेचना शुरू किया. इस धंधे में भी उनका पैसा डूब गया.

इसके बाद ललित की समझ में यह आया कि अगर बिजनेस करना है तो सबसे पहले मार्केटिंग और सेल्स के बारे में समझने की जरूरत है. कारोबार में हुए नुकसान की वजह से ललित को अपने हिस्से का मकान बेचना पड़ा.

साल 2000 में ललित कश्यप दुबई शिफ्ट हो गए. उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर में ही उन्होंने दो पार्टनर के साथ जींस की फैक्ट्री लगाई और अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए दुबई में उन्होंने काफी मेहनत की और वहां अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग की.

अब उन्होंने दुबई में साल 2001 में अपनी दुकान खोली. दुबई में सुबह 9-1 और शाम 5-9 के वक्त दुकान खुलती है. बीच के खाली वक्त में ललित ने दुबई में अपने जींस की मार्केटिंग की. एक दर्जन जींस पर उन्हें 400 दिरहम बचते थे. महीने में 10 दिन भी उनकी मार्केटिंग चलने पर 4000 दिरहम की आमदनी होने लगी.

इस कमाई के बाद ललित ने बैंक के कर्ज से लेकर निजी लोन समेत सभी कर्ज उतार दिया. इसके बाद उन्होंने दोबारा 60 गज जगह किराए पर लेकर 10 मशीन के साथ कामकाज शुरू की. इसके बाद साल 2005-06 तक उनकी स्थिति ठीक होने लगी. साल 2007 में उन्हें बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि अब आप इंडस्ट्रियल एरिया में शिफ्ट हो जाओ. साल 2010 में ट्रोनिका सिटी पहुंचे ललित कश्यप का कारोबार अब 100 करोड़ को पार कर गया है. ललित की ट्रोनिका में जींस बनाने की तीन फैक्ट्री हैं जबकि कम से कम 300 से अधिक लोग काम कर रहे हैं.

नया उद्यम शुरू करने वाले लोगों के लिए ललित कश्यप की सलाह

  • कभी हार मत मानो

  • कड़ी मेहनत का नतीजा जरूर मिलता है

  • प्रोडक्ट बनाने से अधिक जरूरी उसे बेचना है, इसे मत भूलें

  • कारोबार में किसी और व्यक्ति पर भरोसा आपको बर्बाद कर सकता है