Success Story: ‘मैंने किसानी के लिए नौकरी छोड़ दी…’, पिता-भाई जिस खेती में हुए फेल बेटी ने कमाकर दिखाए सालाना 1 करोड़

एक लड़की ने खेती के लिए अच्‍छी खासी नौकरी छोड़ने का फैसला किया। किसान बनना ही उसका सपना था। परिवार से लड़-झगड़ कर उसने अपने परिवार के खेत में ऑर्गेनिक खेती शुरू की। इन खेतों में कभी कुछ भी उगना बंद हो गया था। इससे हारकर पिता और भाई खेती छोड़ने तक वाले थे।

नई दिल्‍ली: पढ़ने-लिखने के बाद किसी बड़ी मल्‍टीनेशनल कंपनी (MNC) में नौकरी पाना ज्‍यादातर लोगों का सपना होता है। गांवों और कस्‍बों में भी यह सोच मजबूत होने लगी है। हालांकि, रोजा रेड्डी (Roja Reddy Success Story ) के मामले में यह बात थोड़ी उलटी है। उन्‍होंने एक द‍िग्‍गज टेक्‍नोलॉजी फर्म में नौकरी छोड़कर खेती-किसानी को अपना सबकुछ बना लिया। किसान बनाना ही उनका ड्रीम था। किसानी के लिए वह घरवालों से लड़ी-झगड़ी तक हैं। उनके पिता और भाइयों ने जिस खेती से मुंह फेरकर कभी दूसरा काम करने का फैसला कर लिया था। रोजा ने उसी से सालाना 1 करोड़ रुपये कमाकर दिखा दिया। अब वह अपनी नौकरी छोड़कर पूरी तरह से किसान बन चुकी हैं। आज उनकी हर कोई वाहवाही करता है। उन्‍होंने साबित करके दिखाया है कि खेती-किसानी एक बड़ा उद्यम है। अगर इसे सही से किया जाए तो इससे काफी पैसा कमाया जा सकता है।

रोजा का जन्‍म कर्नाटक के डोन्‍नेहल्‍ली गांव में हुआ था। परिवार के लोग किसानी करते थे। घर के सदस्‍य चाहते थे कि खेती-किसानी में मन लगाने के बजाय रोजा पढ़-लिखकर शहर में नौकरी करें। लेकिन, जब कोरोना की महामारी आई तो उनकी कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम का ऑप्‍शन दिया। रोजा ने इसे बड़े मौके की तरह इस्‍तेमाल किया।

नौकरी के बाद खेतों में जुटती थीं

Roja Reddy one

रोजा बताती हैं कि नुकसान के चलते उनके भाई और पिता किसानी छोड़ने वाले थे। ऐसे में उन्‍होंने अपने परिवार के खेत में दोबारा जान फूंकने के काम को चुनौती के तौर पर लिया। इसके ल‍िए उन्‍होंने ऑर्गेनिक तरीकों का सहारा लिया। वह नौकरी के घंटों के बाद शाम को 4 बजे से खेत में काम करने लगीं।

उन्‍होंने उपज में गिरावट की वजह खोज निकाली थी। इसका कारण केमिकल का जरूरत से ज्‍यादा इस्‍तेमाल था। रोजा ने फैसला किया कि वह ऑर्गेनिक तरीके से खेती की उर्वरकता को बहाल करेंगी। बेटी ने परिवार की इच्‍छा के खिलाफ जाकर ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत की। परिवार चाहता था कि रोजा अपनी लगी-लगाई नौकरी को नहीं छोड़ें।

घरवालों और र‍िश्‍तेदारों को नहीं था यकीन

Roja two

ज्‍यादातर गांव वालों और रोजा के परिजनों को यकीन नहीं था कि ऑर्गेनिक फार्मिंग से खेत की उपज को बढ़ाया जा सकता है। रोजा बताती हैं कि रिश्‍तेदारों, गांव वालों और घरवालों ने उनका मजाक तक उड़ाया। इसके बावजूद रोजा अपनी नौकरी छोड़कर फुल-टाइम किसान बन गईं।

रोजा खेत में 40 तरह की सब्‍जियां उगाने लगीं। इनमें बीन्‍स, बैंगन और शिमला मिर्च शामिल थे। वह अलग-अलग तालुकाओं में जाकर ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों के समूह भी बनाने लगीं। चित्रदुर्गा से उन्‍होंने ऐसे 8 किसानों के समूह बना लिए। इसका मकसद ऑर्गेनिक खेती के बारे में जागरूकता फैलाना था। इसके बाद उन्‍होंने हर एक तालुका के स्‍थानीय प्राधिकरण से अपनी उपज के लिए मार्केट मुहैया कराने को कहा।

500-700 क‍िलो सब्‍जी की रोजाना पैदावार

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फिर रोजा ने अपने नेटवर्क का विस्‍तार कई और जिलों में क‍िया। इनमें उडुपी, दक्षिण कन्‍नड़ इत्‍यादि शामिल थे। इसके बाद उन्‍होंने निसारगा नेटिव फार्म्‍स नाम का वेंचर शुरू कर दिया। इसके जरिये राज्‍य में 500 किसानों का नेटवर्क जुड़ा है। वह रोजाना 500 किलो से 700 किलो सब्‍जी की पैदावार करती हैं। उनकी सालाना कमाई करीब 1 करोड़ रुपये है। उनके गांव में करीब 25 किसानों ने ऑर्गेनिक खेती अपनाई है। इसे रोजा अपनी सबसे बड़ी उपलब्‍ध‍ि मानती हैं।