Success Story: कोरोना काल में नौकरी नहीं मिली तो मोती की खेती कर बने ‘पर्ल किंग’, हो रही लाखों की कमाई

गया जिले के अजय मेहता और उदय कुमार पर्ल फार्मिंग कर रहे हैं.

गया जिले के अजय मेहता और उदय कुमार पर्ल फार्मिंग कर रहे हैं.

गया. अगर आप रोजगार की तलाश में हैं और खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो आपके लिए सुनहरा मौका है. इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सिर्फ 50 हजार रुपए की जरुरत है और इससे आप सलाना लाखों रुपए कमा सकते हैं. जबकि इस व्यवसाय को करने के लिए आपको कहीं दूर भी नहीं जाना पड़ेगा. इसके लिए जरूरत है सिर्फ एक छोटे से तालाब की. दरअसल हम बात कर रहे हैं पर्ल फार्मिंग यानी मोती की खेती की. गया जिले के दो युवाओं ने इसकी शुरुआत की है और दोनों इस व्यवसाय से जुड़कर सालाना 3 से 4 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं.

गया जिले के मानपुर प्रखंड क्षेत्र के बरेऊं निवासी अजय मेहता और गया सदर प्रखंड के नैली गांव निवासी उदय कुमार ने पर्ल फार्मिंग के व्यवसाय को सच कर दिखाया है. वहीं, अजय एक तालाब में इसकी फार्मिंग कर रहे हैं, तो उदय अपने घर में बने टैंक में इसका पालन कर रहे हैं. जबकि दोनों ने 2000 सीप से इसकी शुरुआत की है, जिसमें लगभग 50 हजार रुपए लागत आई है.

मोती तैयार करने के लिए सांचे पर की जाती है कोटिंग
न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए मोती की खेती करने वाले अजय मेहता ने बताया कि पर्ल फार्मिंग एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें किसान लाखों रुपए कमा सकते हैं. इसके लिए एक तालाब की जरूरत पड़ेगी. जहां सीप को रखा जाएगा. सीपों को एक जाल में बांधकर 30-45 दिनों के लिए तालाब में फेंका जाता है, ताकि वो अपने लिए जरूरी एनवायरमेंट बना सकें. उसके बाद उन्हें निकाल कर उसमें एक सांचा डाला जाता है. इसी सांचे पर कोटिंग के बाद सीप लेयर बनाती हैं, जो आगे चलकर मोती बन जाता है.

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पर्ल फार्मिंग से सालाना तीन से चार लाख रुपए की कमाई हो जाती है.

सीप से मोती तैयार होने में लगता है 12 से 14 महीने का समय
मोती की खेती के व्यवसाय से जुड़े दोनों युवकों ने बताया कि कोरोना काल के दौरान कोई रोजगार नहीं था, तभी सोशल मीडिया पर मोती पालन के बारे में देखा. इसके बाद जानकारी हासिल की और दूसरे राज्यों में जाकर इसका प्रशिक्षण लिया. फिर इसका पालन शुरू कर दिया. हम लोगों ने इसकी शुरुआत 2000 सीप से की है. सीप में मोती को तैयार होने में करीब 12-14 महीने का समय लग जाता है. तालाब के पानी में सीप को 30-45 दिन के लिए रखते हैं. धूप और हवा लगने के बाद सीप का कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाने पर सीप की सर्जरी कर इसके अंदर सांचा डाल जाता है. सांचा जब सीप को चुभता है तो अंदर से एक पदार्थ निकलता है. थोड़े अंतराल के बाद सांचा मोती की शक्ल में तैयार हो जाता है. सांचे में कोई भी आकृति डालकर उसकी डिजाइन का आप मोती तैयार कर सकते हैं.

मोती पालन से सालाना चार लाख तक की हो जाती है कमाई
उदय ने बताया कि मोती पालन के लिए हरियाणा से प्रशिक्षण लिया और उसके बाद इसका पालन शुरू किया. मोती पालन की सारी प्रक्रिया करने के बाद बिक्री की जाती है. इससे सालाना 3 से 4 लाख की कमाई हो जाती है. हालांकि स्थानीय बाजार नहीं होने से थोड़ा परेशानी होती है. स्थानीय स्तर पर बाजार उपलब्ध हो जाए तो कमाई भी बढ़ जाएगी. अभी अपने मोतियों को दूसरे राज्य के बड़े बाजारों में बेचते हैं. हालांकि युवकों को अब तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.