शरद बिहार के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं और वे हार्वड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट रह चुके हैं।
Success Story: कहा जाता है कि सफलता एक मात्र ऐसा गुण है जो धर्म, जाति, लिंग, रंग रूप, आर्थिक स्थिति आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करता। जो मेहनत करता है और अपने टैलेंट को निखारता है सफलता (Success Story) उसे अवश्य ही मिलती है। यह जरूर हो सकता है कि किसी को पहले सफलता मिल जाए तो किसी को सफलता तक पहुंचने में थोड़ा समय लग जाए लेकिन अंतत: मेहनत से हासिल किया ही जा सकता है। इसी कथन को सच करती है शरद विवेक सागर की हार्वड यूनिवर्सिटी तक का सफर। शरद (Sharad Vivek Sagar) बिहार के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं और वे हार्वड यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट रह चुके हैं।
16 वर्ष की आयु में डेक्सटेरिटी ग्लोबल की स्थापना
बिहार के एक छोटे से कस्बे में जन्मे शरद विवेक सागर 12 वर्ष की उम्र में स्कूल गए और 16 वर्ष की आयु में उन्होंने राष्ट्रीय संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल की स्थापना की। आपने अक्सर 16 वर्ष के बच्चों को मैगजीन पढ़ते और खेलते देखा होगा लेकिन शरद ने 16 साल की उम्र में भारत और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में सालाना 1.2 मिलियन से अधिक बच्चों को प्रभावित करने वाले शैक्षिक प्लेटफार्मों की स्थापना की।
मिली थी 4 करोड़ की स्कॉलरशिप
सागर ने 200 से अधिक लोकल, नेशनल और इंटरनेशनल क्विज और डिबेट कंपटीशन में जीत हासिल की है और इंटर गवर्नमेंटल और संयुक्त राष्ट्र प्लेटफार्म पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्हें अमेरिका में टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के लिए चार करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप भी मिली। अपने ग्रेजुएशन के दौरान कुछ ही महीनों में सागर 160 वर्षों में एलुमनी अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के युवा बनें।
24 वर्ष में फोर्ब्स लिस्ट में हुए शामिल
जब सागर 24 वर्ष के हुए तो उनका नाम ग्लोबल फोर्ब्स अंडर 30 लिस्ट में शामिल हो गया और साथ ही फोर्ब्स की अंडर 30 लिस्ट में शामिल होने वाले प्रथम बिहारी के रूप में उभरे। विवेक सागर एक इंटरनेशनल लेवल पर मान्यता प्राप्त सामाजिक उद्यमी और बिहार के एक व्यापक रूप से अनुसरण किए जाने वाले युवा के प्रतीक हैं। शिक्षा और लीडरशिप के क्षेत्र में सागर के काम को वैश्विक मान्यता मिली है। बड़ौदा में विवेकानंद स्मारक में उनके भाषण के बाद, उन्हें ’21 वीं सदी के विवेकानंद’ के रूप में भी जाना जाने लगा।
स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट
शरद विवेक सागर को 2021 में हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन (HGSE) के स्टूडेंट काउंसिल में सर्वोच्च पद के लिए चुना गया था। विवेक सागर को 50 से अधिक देशों से आने वाले 1,200 से अधिक छात्रों द्वारा चुना गया था। उन्होंने हार्वर्ड में आठ अन्य उम्मीदवारों को हराया, जो कार्यकारी अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव लड़ रहे थे।