शहनाज ने तय कर लिया था कि वह सिर्फ घर में पत्नी और मां की भूमिका तक सीमित नहीं रहेंगी। उन्हें कुछ बड़ा करना है। उनके पिता जस्टिस नासिर उल्ला बेग इलाहाबाद हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस थे। पिता की मदद से हेलेना रुबिनस्टीन स्कूल में उन्होंने दाखिला लिया। यहां से ब्यूटी टेक्नीक्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जर्मनी में इसी से जुड़े कोर्स किए। भारत लौटने पर उन्होंने अपनी कॉस्मेटिक फर्म शुरू की।
बरामदे से बेचे अपने प्रोडक्ट
शुरुआत में शहनाज ने घर के बरामदे से अपने प्रोडक्ट बेचने की शुरुआत की थी। उन्हें तब इस बात का एहसास भी नहीं था कि उनका स्टार्टअप इतना सफल हो जाएगा। इसके बाद वह सफलता के रथ पर सवार हो गईं। देखते ही देखते वह ब्यूटी इंडस्ट्री का जाना-माना नाम बन गईं। दुनिया के कई मुल्कों में उनके ब्यूटी प्रोडक्टों की बिक्री होने लगी। शहनाज हुसैन के प्रोडक्ट नैचुरल इंग्रीडिएंट्स के लिए जाने जाते हैं। इन्हें बनाने में केमिकल और आर्टिफिशियल फ्रैंगनेंस का इस्तेमाल नहीं होता है। यही उनके प्रोडक्टों की यूएसपी बन गया।1971 में खोली पहली हर्बल क्लीनिक
शहनाज हुसैन की शुरुआती पढ़ाई प्रयागराज के सेंट मैरीज कॉन्वेंट इंटर कॉलेज में हुई। जब शहनाज के पति नासिर हुसैन तेहरान में पोस्टेड थे, तभी उन्होंने आयुर्वेद की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने कॉस्मेटिक थिरेपी और कॉस्मेटोलॉजी की भी ट्रेनिंग की। शहनाज ने भारत लौटने पर 1971 में पहली हर्बल क्लीनिक खोली थी। अगले कुछ सालों में उन्होंने ‘द शहनाज हुसैन ग्रुप’ की स्थापना की। शहनाज को उद्योग के क्षेत्र में कई सम्मान से नवाजा जा चुका है। 2006 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1999 में दिल का दौरा पड़ने से उनके पति का निधन हो गया था। 2008 में उनका बेटा समीर हुसैन भी नहीं रहा। उनकी विरासत को अब बेटी निलोफर आगे लेकर जा रही है। बेटी ने शहनाज हुसैन की ऑटोबायोग्राफी ‘फ्लेम’ भी लिखी है।