UPSC Success Story: माधव ने अपने पहले प्रयास में ही 567 रैंक के साथ सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की थी।
UPSC Success Story: सिविल सेवा परीक्षा (CSE) मे शामिल होने वाले उम्मीदवारों की संघर्ष और सफलता की कहानियां (Success Story) हमें हर दिन आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। कोई अपने समाज को चुनौती देकर आगे बढ़ता है तो कोई अपनी आर्थिक स्थिति को हराकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ता है। लेकिन सबके संघर्ष और सफलता की कहानी अपने आप में अलग हैं। उन्हीं उम्मीदवारों में से एक हैं 2018 की सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाले माधव गिट्टे (Madhav Gitte IAS)। उन्होंने न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारा बल्कि अपने पढ़ने के सपने को भी पूरा किया।
मां की मौत ने माधव को तोड़ दिया था
महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के रहने वाले माधव गिट्टे 5 भाई-बहनो के बीच पले-बढ़े हैं। उन्होंने 2018 की सिविल सेवा परीक्षा में 567 रैंक हासिल किया और 2019 की परीक्षा में उन्होंने 210 रैंक प्राप्त की। बचपन से ही माधव पढ़ने में बेहद होशियार थे लेकिन उनकी घर की आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनके पिता खेतों में काम करते थे और उसी से उन लोगों का गुजारा चलता था। जब माधव 10वीं कक्षा में थे तो उनकी मां को कैंसर हो गया था लेकिन इलाज के एक साल के अंदर ही उनकी मां ने अपनी आखिरी सांसे ली।
11वीं के बाद खेतों में करने लगे काम
इस व्यक्तिगत क्षति से माधव काफी टूट गए जैसे-तैसे उन्होंने खुद को संभाला और 11वीं की पढ़ाई के लिए साइकिल से रोज 11 किलोमीटर का सफर तय कर पढ़ने जाने लगे। 11वीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने पैसों की तंगी के कारण 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और अपने और दूसरों के खेतों में काम करना शुरू कर दिया। खेती का काम करने के बाद उन्होंने फिर हिम्मत जुटाई और 12वीं में दाखिला ले लिया।
12वीं के बाद फैक्ट्री में की मजदूरी
12वीं पास करने के बाद परिवार को सपोर्ट कपने के लिए माधव ने निश्चय किया कि वे आईटीआई पास कर जल्दी से नौकरी करेंगे। लेकिन जब आईटीआई में सरकारी कॉलेज में उनका नंबर नहीं आया तो वे एकदम मायूस हो गए। लेकिन परिवार को आर्थिक रूप से सपोर्ट भी करना था इसी कारण उन्होंने पुणे की एक फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया जिसके लिए उन्हें 2,400 रुपये प्रतिमाह मिलने लगे। उसके बाद वे वापस अपने घर आ गए और खेतों में काम करने लगे। इसी दौरान उन्होंने पॉलिटेक्निक में दाखिला ले लिया और जैसे तैसे फीस मैनेज कर अच्छे नंबरों से पास हो गए।
इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए जमीन और घर रख दिया गिरवी
डिप्लोमा करने के बाद उन्हें नौकरी का अवसर भी मिला लेकिन उन्हें पढ़ना था जिसके लिए उन्होंने अपने पिता से इजाजत भी मांगी। लेकिन समस्या दोबारा यही आई कि फीस कैसे भरी जाएगी। लेकिन उनके पिता ने उनका साथ दिया और उन्होंने इंजीनियरिंग के लिए दाखिला ले लिया। एक साल तो जैसे-तैसे पार हो गया लेकिन जब दूसरे साल फीस भरने का समय आया तो समस्या खड़ी हो गई। माधव की फीस भरने के लिए उनके पिता ने अपनी जमीन गिरवी रख दी और एक लाख रुपयों का इंतजाम कर दिया।
पहले ही प्रयास में मिली सफलता
लेकिन लास्ट ईयर में फीस की समस्या दोबारा आई जिसके लिए उनके पिता ने अपनी जमीन ही गिरवी रख दी। लेकिन पिता का ये बलिदान कम ईया और गिट्टे का एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर सिलेक्शन हो गया। यह उनके जीवन के सुनहरे समय की शुरूआत थी। उन्होंने बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर 3 सालों तक काम किया और 2017 में उन्हें यह पाया कि नौकरी में रहते हुए वे केवल अपने लिए कार्य कर सकते हैं लेकिन यूपीएससी के जरिए वे कई लोगों की मदद कर सकते हैं। इसी प्रेरणा के साथ उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और तैयारी में लग गए। माधव ने अपने पहले प्रयास में ही 567 रैंक के साथ सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली और अपने दूसरे प्रायस में 201 रैंक प्राप्त किया। उनकी यूपीएससी की जर्नी में उनके पिता के अलावा उनके दोस्तों का भी अहम रोल रहा।