शहरों में डिपार्टमेंटल-स्टोर के बढ़ते चलन को देखकर रांची की एक महिला ने गांव में इस तरह की सुविधा देने का प्रयास शुरू किया है। खास बात ये है कि इतने बड़े पैमाने पर स्वरोजगार करने वाली महिला एक समय में खुद पैसों के अभाव के कारण मुश्किल में थी।
रांची: झारखंड में रांची जिले के लेपसर सीमरटोली की रहने वाली मीना उरांव अपने गांव के साथ आसपास के कई गांव के लोगों को डिपार्टमेंटल स्टोर की सुविधा दे रही हैं। मीना उरांव एक ही छत के नीचे जनरल स्टोर, रेडीमेड कपड़ों की दुकान, जूते चप्पल की दुकान, हार्डवेयर और कुर्सी -टेबल के साथ बर्तन की दुकान का सफलतापूर्वक संचालन कर रही है। व्यापार के क्षेत्र में अपनी एक पहचान बना चुकी मीना उरांव आज इलाके में एक रोल मॉडल बन गई हैं।
महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ने पर बदली तकदीर
आर्थिक संपन्नता की ओर कदम बढ़ा चुकी मीना उरांव कि जिंदगी इतनी आसान भी नहीं थी। महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ने से पहले मीना उरांव के जीवन में पैसे की किल्लत ने डेरा डाल दिया था। हालांकि समय का पहिया घूमने के साथ मीना उरांव के घर भी खुशियों ने दस्तक दी है।
मीना को पति का मिला भरपूर सहयोग
जीवन की गाड़ी चलने में पति और पत्नी को दो पहिए कहा गया है। सफलता के शीर्ष की ओर कदम बढ़ा रही मीना को अपने पति पुनीत उरांव का भरपूर सहयोग मिलता है। बात सामान की खरीदारी की हो या फिर स्टोर के संचालन में, हर कदम पर पुनीत अपनी पत्नी के साथ खड़े दिखते हैं।
आर्थिक स्वावलंबन की बन गई मिसाल
मीना और पुनीत उरांव ने जब अपनी वैवाहिक जीवन की शुरुआत की थी तब इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। लेकिन दोनों के प्रयास से वे आज आर्थिक स्वावलंबन की मिसाल कायम कर रहे हैं। महिला की सफलता की कहानी की चर्चा आज दूर-दूर हो रही है।