Farmer Girl Success Story In Ghaziabad: गाजियाबाद के निस्तौली गांव के रहने वाले एक साधारण किसान की बेटी ने जज बनने का सपना पूरा कर लिया है। किसान की बेटी का बिहार न्यायिक सेवा में चयन हो गया है। अब वह जल्द ट्रेनिंग पर जाएंगी। परीक्षा पास करने वाली अनामिका ने बताया कि उसने कोचिंग भी नहीं ली थी।
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद (Ghaziabad) के लोनी क्षेत्र अंतर्गत निस्तौली गांव की रहने वाले एक किसान (Farmer) की बेटी का बिहार न्यायिक सेवा (Bihar Judicial Service) में चयन हुआ है। सबसे बड़ी बात है कि बेटी ने जज की कुर्सी तक पहुंचे के लिए किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। बेटी के चयन की जानकारी जैसे ही गांव के लोगों को मिली तो नवनियुक्त जज को बधाई देने वालों का तांता लग गया। इसी कड़ी में बेटी की हौसला अफजाई करने के लिए गाजियाबाद नगर निगम के पूर्व मेयर प्रदीप चौधरी भी उनके घर पहुंचे और उन्हें मिठाई खिलाकर बधाई दी। वहीं दूसरी तरफ जनरल वीके सिंह ने भी इस होनहार बेटी के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए फोन पर बधाई दी।
गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र के गांव निस्तौली में जन्मी अनामिका डागर ने बताया कि उनके पिता सुभाष साधारण किसान हैं और मां ललिता देवी ग्रहणी है। वह चार बहन-भाई है। बड़ी बहन सोनिका डागर की शादी हो चुकी है। अनामिका दूसरे नंबर की है। दो छोटे भाई अंशु डागर और कृष डागर हैं। अनामिका ने बताया कि एक मुंह बोला भाई सुशांत नागर है, जिसे यह बचपन से राखी बांधती आई हैं। इनके जज बनने में सबसे ज्यादा योगदान सुशांत नागर और उनकी मां का रहा है। अनामिका ने बताया कि उन्होंने स्कूल की शिक्षा नवजीवन इंटर कॉलेज यूपी बोर्ड से ग्रहण की है। बीए की पढ़ाई एलआर कॉलेज साहिबाबाद और एलएलबी की पढ़ाई एमएमएच कॉलेज गाजियाबाद से पूरी की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एलएलएम मेरठ कॉलेज से पूरी करते हुए जुडिशरी की तैयारी शुरू की।
बिहार में हासिल की पहली रैंक
अनामिका डागर ने बताया कि 2020 में उन्होंने जुडिशरी की परीक्षा दी थी, जिसका परिणाम 10 अक्टूबर 2022 को आया। इस परीक्षा में 16वीं रैंक सिविल जज के रूप में हासिल की है। बड़ी बात यह है कि बिहार में वह पहली रैंक पर आई हैं। अनामिका ने बताया कि इस मुकाम को हासिल करने तक किसी तरह की कोई कोचिंग नहीं की है। खुद ही रात और दिन पढ़ाई की। उन्होंने excuse and success not go together के मूल मंत्र मानते हुए यह मुकाम हासिल किया है। फिलहाल अब वह पटना में ट्रेनिंग लेंगी।
मुश्किलों के आगे अनामिका ने नहीं मारी हार
अनामिका डागर का कहना है कि बचपन से ही उनकी यह इच्छा रही है कि वह देश सेवा और वंचितों को न्याय दिलाने का कार्य करेंगी। उन्होंने बताया कि जब वह इस तरह की बात अपने घर वालों के सामने करती थी, तो घर वालों को भी उनकी बात पर यकीन नहीं हो पाता था। क्योंकि उनके पिता साधारण किसान हैं और मां गृहिणी है। हालांकि उन्हें अपनी मेहनत पर पूरा विश्वास था, जो वह अब सफल हो गया। उन्होंने कहा कि यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें तमाम परेशानियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन कभी हार नहीं मानी।