बुरहानपुर के योगेश महाजन की कहानी युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। एक होटल में वेटर का काम करने वाले योगेश के बनाए केले के चिप्स आज देश के हर राज्य में बिकते हैं। उनकी खुद की आर्थिक हालत तो बेहतर हुई ही है, वे दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।
बुरहानपुर: इंसान के अंदर इच्छा शक्ति हो तो वह तमाम मुश्किलों के बीच भी अपनी कामयाबी का रास्ता निकाल ही लेता है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मध्य प्रदेश में बुरहानपुर जिले के योगेश महाजन ने। कुछ साल पहले तक योगेश एक होटल में वेटर का काम करते थे, लेकिन उनकी इच्छा थी कुछ बड़ा करने की। इसमें उन्हें मध्य प्रदेश सरकार की एक योजना से मदद मिली। योगेश ने केला चिप्स बनाने का काम शुरू किया। आज उनका काम इतना विस्तार ले चुका है कि उनके बनाए चिप्स देश के हर राज्य में पहुंच रहे हैं। इतना ही नहीं, योगेश आज कई लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं।
घर से की शुरुआत
बुरहानपुर के नियामतपुरा में रहने वाले योगेश ने जब खुद का बिजनेस शुरू करने का मन बनाया तो इसकी शुरुआत अपने घर से की। उन्होंने घर की छत पर छोटी सी कड़ाही में केला चिप्स बनाया और उसे बेचने मार्केट में निकल गए। शुरुआत में ही उन्हें अनुभव हो गया कि इस काम में आगे बढ़ने की काफी गुंजाइश है, लेकिन समस्या पूंजी की थी। योगेश के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे बिजनेस का विस्तार कर सकें।
शासन की योजना का मिला लाभ
इसी दौरान उन्हें आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के तहत एक योजना का पता चला। इसके तहत खुद का लघु उद्योग शुरू करने पर शासन की ओर से लोन उपलब्ध कराया जाता है। योगेश को भी शासन की ओर से लोन मिल गया। उन्होंने इसमें अपने तीन लाख रुपये मिलाए और चिप्स तलने के लिए बड़ी मशीनें खरीद ली। इसके बाद उन्होंने अपने बिजनेस का विस्तार शुरू किया।
देश के हर राज्य में बिकती है केला चिप्स
योगेश महाजन ने बताया कि उनकी केला चिप्स कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक खरीदी जा रही है। देश का ऐसा कोई प्रदेश नहीं है जहां पर उनकी बनाई हुई केला चिप्स नहीं पहुंच रही हो। उनकी बनाई चिप्स की इतनी डिमांड है कि कई बार उन्हें ऑर्डर लेने से मना करना पड़ता है।
₹70000 तक महीने की कमाई
योगेश के छोटे भाई अनिल ने बताया कि वे हर दिन 200 से 500 किलो तक चिप्स सप्लाय करते हैं। खास बात यह कि वे दो महीने की वारंटी भी देते हैं। योगेश अब हर महीने 60 से 70 हजार रुपये तक कमा लेते हैं। आज उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी बेहतर हो गई है। एक समय था जब योगेश पैदल घूमकर चिप्स पहुंचाते थे। आज वे कार से चलते हैं। वे कई लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं।