भारत में आपने कई मंदिर देखे होंगे, लेकिन एक ऐसा अनोखा मंदिर भी है जहां लोगों को प्रसाद के रूप में गांजा दिया जाता है। यहां के कई समुदाय के लोग गांजे को प्रसाद के रूप में लेकर उसका सेवन करते हैं। कर्नाटक में स्थित मंदिर के बारे में आप भी जानिए।
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भारत संस्कृति और परम्पराओं से घिरा हुआ देश है। यही कारण है आपको यहां हर क्षेत्र में अलग-अलग तरह का रहन-सहन और तरह-तरह की संस्कृति देखने को मिल जाएगी। यही नहीं, आस्था में भी भारत अन्य देशों की तुलना में काफी आगे है। अब यही उदाहरण देख लीजिए, जहां भारत में गांजा बेचना और उसका सेवन करना एक अपराध माना जाता है, लेकिन देश में ही एक ऐसा मंदिर है जहां गांजे को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। जिस मंदिर के बारे में हम बात कर रहे हैं उसे श्री मौनेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है, जो उत्तरी कर्नाटक में स्थित है। गांजा सुनकर आपके मन में भी यही सवाल होगा आखिर इसे क्यों दिया जाता है और कौन लोग इसका सेवन करते हैं, तो चलिए बताते हैं आपको इस मंदिर के बारे में।
प्रसाद किन समुदाय में ज्यादा बंटता है –
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यहां के कुछ मंदिरों में गांजा भगवान के प्रसाद के रूप में दिया जाता है, जिसे लोग बड़े शौक से भी खाते हैं। यहां के शारना, अवधूत, शपथ जैसे समुदाय के लोग इसे प्रसाद समझकर अलग-अलग रूप में इसका सेवन करते हैं। यहां के मंदिरों में ये परंपरा आज की नहीं, बल्कि कई सालों से देखने को मिल रही है और कई लोग इसे मानते भी हैं।
(फोटो साभार : TOI.com)
गांजे के सेवन से मिलती है आध्यात्मिक शांति –
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लोगों का मानना है कि गांजे के सेवन से उन्हें आध्यात्मिक शांति का अहसास होता है। कर्नाटक के यादगीर जिले के मौनेश्वर मंदिर में जनवरी के महीने में एक वार्षिक मेला लगाया जाता है, यहां मौनेश्वर या मनप्पा भगवान की प्रार्थना के बाद गांजे के पैकेट्स दिए जाते हैं और लोग इसे पानी में उबालकर खाते हैं या फिर तम्बाकू के रूप में इसका सेवन करते हैं।
(फोटो साभार : indiatimes.com)
मंदिर की परंपरा –
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इस परंपरा को लेकर मंदिर की समिति के लोगों का कहना है कि ये मंदिर की परंपरा है और इसे यहां के संत और श्रद्धालु पवित्र घास मानते हैं, इससे उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान के पथ पर ले जाने में मदद मिलती है।
(फोटो साभार : indiatimes.com)