Suryakumar Yadav: सूर्यकुमार यादव को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में टेस्ट डेब्यू का मौका मिला। उन्हें टेस्ट कैप पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री ने सौंपी। सूर्या भारत के लिए टेस्ट डेब्यू करने वाले 305वें खिलाड़ी बने।
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इसकी वजह ये है कि अगर शुभमन गिल जैसे बल्लेबाज को छोड़कर टीम इंडिया ने सूर्या पर भरोसा दिखाया तो वो इसके लायक हैं। 30 साल की उम्र में पहली बार भारत के लिए टी-20 खेलना हो या फिर एक साल बाद वन-डे क्रिकेट में डेब्यू और अब 32 साल की उम्र में टेस्ट कैप! 30 साल के बाद क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में डेब्यू करने वाले सूर्या पहले भारतीय हैं और शायद आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बड़ी प्रेरणा के स्त्रोत भी।
अगर आज किसी सरफराज ख़ान को टेस्ट मैच में मौका नहीं मिलने पर झुंझलाहट हो रही है तो उन्हें अपने दोस्त और मुंबई के सूर्या के करियर से सबक लेना चाहिए। इंतज़ार करो सही वक्त का और लगातार रन बनाते रहो, मेहनत करो और तुम्हारा नंबर आएगा ही। ये बात सूर्या ने खुद नहीं कही है, लेकिन ये सूर्या के करियर का दर्शन माना जा सकता है।
ऐसा नहीं है कि सूर्या सिर्फ सफेद गेंद के धुरंधर हैं। रणजी ट्रॉफी में एक दशक पहले अपने करियर की शुरुआत करने वाले सूर्या कई मौके पर सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में शामिल रहे हैं। सूर्या के टेस्ट कैप ने एक बात और साबित की है कि आईपीएल से टेस्ट क्रिकेट को फायदा ही हुआ है नुकसान नहीं। अगर आईपीएल नहीं होता तो सूर्या ना जाने अनगिनत घरेलू खिलाड़ियों की तरह गुमनामी की जिंदगी जी रहे होते, लेकिन, आईपीएल ने उन्हें पहले पहचान दी, सफेद गेंद की अंत्तराष्ट्रीय क्रिकेट ने शोहरत लेकिन अब वो लाल गेंद से क्या कमाल दिखातें है ये उनकी विरासत का अहम हिस्सा होगा।