नई दिल्ली. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गाजियाबाद में सामूहिक बलात्कार मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. आयोग को 18 अक्टूबर 2022 को जीटीबी अस्पताल की एक स्टाफ नर्स की ओर से 181 महिला हेल्पलाइन पर एक कॉल आया था, जिसने बताया था कि अस्पताल में बलात्कार (Rape) का एक मामला आया है और उन्होंने आयोग को इस मामले में एक काउंसलर भेजने के लिए बोला.
आयोग से तुरंत एक काउंसलर को अस्पताल भेजा, जिसने देखा कि पीड़िता का काफी खून बह रहा था. पीड़िता से बातचीत करने पर उसने आरोप लगाया कि उसके साथ 5 लोगों ने 2 दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया और यहां तक कि उसके अंदर लोहे की रॉड (Iron Rod) भी डाल दी. उसने आरोप लगाया कि उसे बांधकर बोरे में सड़क किनारे फेंक दिया गया. आयोग ने उनके बयान दर्ज किए. इस मामले में महिला के भाई की शिकायत पर उसी दिन ही उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 342/376D के तहत एफआईआर दर्ज की गई.
महिला द्वारा सुनाई गयी आपबीती के आधार पर आयोग ने उसका मामला उठाया और 19 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी किया क्योंकि लड़की दिल्ली की रहने वाली थी. आयोग को पीड़िता की एमएलसी रिपोर्ट मिली जिसमें कहा गया था कि उसको रस्सी में बांधा गया था, उसके वक्षस्थल पर काटने के निशान थे, उसकी जांघों और गर्दन पर खरोंच थी, खून बह रहा था और ‘लगभग 5-6 सेंटीमीटर लंबी लोहे की छड़ उसके गुप्तांग से निकाली गयी थी.
हालांकि, यूपी पुलिस ने मीडिया से बात की है और कहा है कि महिला के आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा है कि उनके पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि महिला ने संपत्ति विवाद को सुलझाने के लिए 5 पुरुषों के खिलाफ साजिश रची थी.
दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने घटनाक्रम को चौंकाने वाला और बहुत परेशान करने वाला करार दिया है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मामले के तथ्यों को देखने और मामले की गहराई से जांच कराने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का अनुरोध किया है.
स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने अपने पत्र में अनुरोध किया है कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि पीड़िता को किसने चोट पहुंचाई और उसके गुप्तांग में लोहे की रॉड जैसी वस्तु डालने के लिए कौन जिम्मेदार था, जिसे जीटीबी अस्पताल (GTB Hospital) ने निकाला था. उन्होंने कहा है कि यदि संदेह से परे यह साबित हो जाता है कि लड़की पुरुषों के खिलाफ साजिश रचने में सक्रिय रूप से शामिल थी और वह पीड़ित नहीं है, बल्कि अपराधी है, तो महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 182 के तहत कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, ‘गाज़ियाबाद वाली महिला की एमएलसी गंभीर चोटों को दर्शाती है. इसमें कहा गया है कि वह रस्सियों में बंधी थी, गर्दन और जांघों पर खरोंच थी, खून बह रहा था और उसके शरीर से 5-6 सेमी की लोहे की छड़ निकाली गई थी. हमने उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) को नोटिस जारी किया था. हालांकि उनका दावा है कि मामला झूठा है. ये बहुत ही परेशान करने वाला और चौंकाने वाला है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का अनुरोध किया है. अगर वास्तव में यह साबित हो जाता है कि लड़की ने संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए फर्जी मामला दर्ज किया है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.