जनसंख्या पर भागवत की टिप्पणी से गदगद एसवाई कुरैशी, पर ओवैसी बोले- जब DNA एक तो असंतुलन कहां है

भागवत ने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को व्यापक सोच के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए और यह सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। इस पर मुस्लिम समाज से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

नई दिल्ली: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण नीति पर RSS प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी संतुलित है क्योंकि उन्होंने किसी खास समुदाय पर उंगली नहीं उठाई। अपनी पुस्तक ‘द पॉपुलेशन मिथ: इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’ में मुस्लिम जनसंख्या से संबंधित कई मिथकों का भंडाफोड़ करने वाले कुरैशी ने कहा कि भागवत का विचार सही है कि परिवार नियोजन को भारतीय समाज के सभी वर्गों द्वारा अपनाया जाना चाहिए। उधर, जनसंख्या नीति पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि देश पहले ही प्रतिस्थापन दर (रिप्लेसमेंट रेट) हासिल कर चुका है।

यदि हिंदुओं और मुसलमानों का एक ही डीएनए है तो असंतुलन कहां है? जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हमने पहले ही प्रतिस्थापन दर हासिल कर ली है। चिंता एक बूढ़ी होती आबादी और बेरोजगार युवाओं को लेकर है जो बुजुर्गों की सहायता नहीं कर सकते। मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे तेज गिरावट आई है।
ओवैसी (भागवत के संबोधन के बाद)

भागवत ने बुधवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को व्यापक सोच के बाद जनसंख्या नीति तैयार करनी चाहिए और यह सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि समुदाय आधारित जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

कुरैशी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक के विजयादशमी भाषण का बहुत बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है और मीडिया का ध्यान आबादी से संबंधित उनकी टिप्पणी पर है। उन्होंने कहा, ‘लोग मेरी किताब ‘पॉपुलेशन मिथ-इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’ का जिक्र कर रहे हैं, जिसे मुझे हाल ही में भागवत के सामने पेश करने का मौका मिला, जहां मैंने संक्षेप में इसके केंद्र बिन्दुओं का जिक्र किया।’

कुरैशी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि आरएसएस प्रमुख ने मेरी बात ध्यान से सुनी। पूर्व नौकरशाह ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भागवत का भाषण काफी व्यापक और संतुलित था। उन्होंने किसी विशेष समुदाय पर उंगली नहीं उठाई। उन्होंने जनसंख्या बहस के दोनों आयामों-बोझ या परिसंपत्ति का उल्लेख किया।’ कुरैशी उन मुस्लिम बुद्धिजीवियों में से थे, जिन्होंने हाल ही में भागवत से सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने के लिए मुलाकात की थी।