T20 WC Opinion: आईसीसी टी20 विश्व कप 2022 में भारतीय क्रिकेट टीम को इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में 10 विकेट से करारी हार का सामना करना पड़ा। टीम इंडिया की इस हार के साथ ही सीनियर खिलाड़ियों की जमकर आलोचना की जा रही है। टूर्नामेंट में टीम के प्रदर्शन को लेकर फैंस में घोर निराशा है।
नई दिल्ली: भारत जैसे देश में क्रिकेट को एक धर्म की तरह माना जाता है। हालांकि 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में सिर्फ 15 खुशकिस्मत खिलाड़ी होते हैं तो जिन्हें टीम के लिए विश्व कप जैसे प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिलता है लेकिन उसमें भी अगर वह अपनी उम्मीद पर खरे नहीं उतरे तो इस खेल को धर्म मानने वाले करोड़ों फैंस की आस्था को ठेस पहुंचती है। ऐसा ही कुछ टी20 विश्व कप 2022 में भी हुआ। टीम इंडिया सेमीफाइनल पहुंचकर खिताबी रेस से बाहर हो गई।
ऐसा भी नहीं है कि जो टीम विश्व कप खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया गई थी उसमें दम नहीं था। रोहित शर्मा, विराट कोहली, केएल राहुल, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी और रविचंद्रन अश्विन जैसे दिग्गज इसमें शामिल थे लेकिन सब के सब ने सिर्फ निराश किया। कोहली ने जरूर अच्छी बल्लेबाजी की लेकिन अगर आप गौर करेंगे तो उनकी बल्लेबाजी टी20 के अनुकूल तो बिल्कुल भी नहीं थी। जिस इंग्लैंड के एलेक्स 40 गेंद में 80 रनों की पारी खेल जाते हैं। वहीं विराट इतने ही गेंद में सिर्फ 50 रन बना पाते हैं। कितना अंतर है दोनों के खेल में।
हालांकि यह भी सही है कि एलेक्स हेल्स और विराट कोहली में तुलना नहीं की जाती है लेकिन जब कोई खिलाड़ी बड़े मौके पर आपके लिए मैच जिता देता है तो फिर महानता की दीवार वहां टूट जाती है। चाहें आपने रनों का पहाड़ ही क्यों ना खड़ा कर रखा हो। ऐसे में इस टी20 विश्व कप से भारत के बाहर होने के बाद कई सारे सवाल भी पीछे छूट गए हैं जिसका जवाब ढूंढना अब भारतीय क्रिकेट के लिए जरूरी हो गया, जिसमें यह मुद्दा भी शामिल है कि आखिर टीम के सीनियर खिलाड़ियों को क्यों नहीं पता चलता है कि उनके संन्यास का अब समय हो चुका है बावजूद इसके कि उनके लगातार खेलने की लालसा बनी रहती है। बेशक उन्हें बल्ले से ना रन आ रहे और ना वह विकेट ले पा रहे हों।
क्या टी20 फॉर्मेट से रोहित और विराट को ले लेना चाहिए संन्यास
सफेद क्रिकेट में 35 साल के रोहित शर्मा का जिस तरह का रिकॉर्ड है उनकी कल्पना करना भी मुश्किल है लेकिन वह उम्र के जिस पड़ाव पर पहुंच चुके हैं, वहां उन पर अब टी20 क्रिकेट सूट नहीं करता है। टी20 विश्व कप 2022 में रोहित शर्मा भारत के सबसे फ्लॉप बल्लेबाज रहे हैं। सेमीफाइनल में उनकी पारी 28 गेंद में 27 रनों की पारी यह बताने के लिए काफी है। बाकी के अन्य मैचों में वह क्या खेले उसे भी पूरी दुनिया ने देखा।
टी20 क्रिकेट में रोहित शर्मा के अगर आंकड़े को देखेंगे तो बिल्कुल भी यह नहीं कहेंगे कि वह कोई मामुली बल्लेबाज हैं। 148 मैचों में 3853 रन, जिसमें चार शतक और 29 अर्धशतक। स्ट्राइक रेट 140 का लेकिन इस बात को नहीं नकारा जा सकता है कि हर खिलाड़ी का एक दौर होता है जहां उसे खुद यह फैसला ले लेना चाहिए कि उनकी जगह को टीम में भरने के लिए अब किसी अन्य को मौका दिया जाए। बेशक वह टेस्ट और वनडे में खेलना जारी रख सकते हैं। वहीं अब इसकी संभावना भी कम है कि वह 2024 टी20 विश्व कप में भारत के लिए खेले क्योंकि उस समय उनकी उम्र 37 साल की हो जाएगी।
रोहित की ही तरह कमोबेश हाल टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली का भी है। विराट ने टी20 विश्व कप में जरूर 300 के करीब रन बनाए हैं जिसमें चार अर्धशतक शामिल है लेकिन सिर्फ इसी चीज से वह आलोचना से नहीं बच सकते हैं। विराट इस टी20 विश्व कप से पहले एशिया कप में अपने फॉर्म में वापसी की थी। इससे पहले लगातार रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। सेमीफाइनल मैच में उनकी 40 गेंद में 50 रनों की पारी की आप बिल्कुल तारीफ करिए लेकिन इस फॉर्मेट में बल्लेबाज इतने ही गेंद में शतक मार जाते हैं। 34 साल के हो चुके कोहली भी रोहित के ही नक्शे कदम पर हैं और इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर उन्हें टी20 टीम में नहीं रखा जाता है। विराट कोहली भारत के लिए 105 टी20 मैच खेलकर 4008 रन बनाए हैं जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 137 का है।
वहीं अगर सेमीफाइनल में अगर आप सूर्या की बल्लेबाजी की आलोचना करते हैं तो यह याद रखिए कि 11 लोगों की टीम में हर बार एक खिलाड़ी आपको मैच नहीं जीता सकते हैं। इस टीम में रविचंद्रन अश्विन, भुवनेश्वर कुमार, दिनेश कार्तिक और मोहम्मद शमी जैसे भी खिलाड़ी थे उनकी भी तो टीम के लिए जिम्मेदारी बनती थी लेकिन वे बड़े मौके पर कुछ नहीं कर पाए।
कपिल से धोनी तक का रहा है यही हाल
भारतीय क्रिकेट में एक परंपरा चली आ रही है कि कोई भी बड़ा खिलाड़ी खुद से संन्यास की घोषणा नहीं करते हैं जब तक की उन पर मैनेजमेंट का द्वारा दबाव ना बना जाए। यह बात पूरी तरह से जगजाहिर है। करियर के अंतिम समय में चाहे वह कपिल देव हो या फिर सौरव गांगुली या सचिन तेंदुलकर या फिर महेंद्र सिंह धोनी। युवराज सिंह को भी इसमें रख जा सकता है। ये सभी एक से बढ़कर एक खिलाड़ी रहे हैं लेकिन जब बात संन्यास की आती है तो इन सभी ने निराश किया। इन खिलाड़ियों का टीम में इतना बड़ा कद रहा कि इनके साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर सकता था। अगर ऐसा करने की कोशिश की जाती बात सम्मान और प्रतिष्ठा पर आ जाती लेकिन टीम के लिए एक तरह से बोझ बनना जरूर इन्हें स्वीकार था।
भारतीय क्रिकेट का इतिहास रहा है कि जो भी बड़ा खिलाड़ी अपने करियर के अंतिम पड़ाव में पहुंचा वह अपनी धार खोता चला गया। उनकी जगह भरने के लिए कई खिलाड़ियों को लंबा इंतजार करना पड़ा तो कईयों का करियर घरेलू क्रिकेट तक की सिमित रह गया। ऐसे में भला विराट और रोहित क्यों उस परंपरा को तोड़ने के लिए आगे बढ़ेंगे।