T20 World Cup Opinion: केएल राहुल की अंधभक्ति और घमंड से सपना चूर-चूर, रोहित का रोना और द्रविड़ का गम छलावा है!

T20 World Cup 2022 Team India Performance Review: भारतीय टीम की हार के बाद कप्तान रोहित शर्मा रोते दिखे तो पूर्व विराट कोहली कैप से अपना मुंह छिपाते नजर आए, जबकि कोच राहुल द्रविड़ हताश दिखे, लेकिन असलियत यह है कि यह होना था और इसके जिम्मेदार भी वहीं हैं।

 
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टी-20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड से भारत की हार के बाद रोहित शर्मा की आंखों में आंसू दिखे। विराट कोहली कैप से मुंह ढकते दिखे तो राहुल द्रविड़ के चेहरे पर गम का आलम ऐसा था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में जबरिया बोलते दिखे। हार्दिक पंड्या ने ट्वीट करके निराशा जाहिर की। रोहित शर्मा की तस्वीरें जब सामने आईं तो भारतीय क्रिकेट फैंस का दिल मुंह को आ गया। स्टेडियम के बाहर पाकिस्तानी फैंस नारे लगा रहे थे तो इंडियन फैंस नजरें झुकाए पतली गली से निकलते दिखे। यह टीम के लिए शर्मसार होने वाला था। फैंस के लिए भी।

सवाल फिर भी वही है, विराट कोहली को मुंह छिपाने की जरूरत क्यों पड़ी? आखिर कौन-सा फैन अपने कप्तान को ऐसे देखना चाहता है, लेकिन सवाल फिर भी वही है कि इस हार का जिम्मेदार कौन है? आखिर किसने केएल राहुल को लगातार खराब प्रदर्शन होने के बावजूद टीम में बनाए रखा और हर मैच में ओपनिंग के लिए भेजा? यह कोच राहुल द्रविड़ थे, यह कप्तान रोहित शर्मा थे और सिलेक्टर्स ही थे…। पूरी दुनिया एशिया कप 2022 से पहले से कह रही कि फिलहाल केएल राहुल के बस की बात ओपनिंग नहीं है। इसके बावजूद उन्हें न केवल टीम में बनाए रखा गया, बल्कि राहुल द्रविड़ खुलेआम कहते दिखे कि राहुल ही रोहित के पार्टनर रहेंगे। यह अंधभक्ति नहीं है तो क्या है?
पृथ्वी साव, ईशान किशन, शुभमन गिल, ऋतुराज गायकवाड़, देवदत्त पडिक्कल, संजू सैमसन… लिस्ट और भी लंबी है.. ये वे नाम हैं, जो ओपनर हैं। इतना विकल्प होने के बावजूद एक फ्लॉप ओपनर से ओपनिंग कराने का मतलब क्या है? ईशान किशन तो एशिया कप से पहले तक इस कैलेंडर इयर में सबसे अधिक रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाज भी थे। पृथ्वी साव घरेलू क्रिकेट में गेंदबाजों पर आग बरसा रहे हैं, लेकिन टीम इंडिया और सिलेक्टर्स के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। वह सोशल मीडिया पर दुहाई देते रहे गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

राहुल तेवतिया की क्षमता कौन नहीं जानता। गुजरात टाइटंस और राजस्थान रॉयल्स के लिए वह गेम चेंजर रहे, लेकिन उन्हें मौका ही नहीं मिला। टीम इंडिया अक्षर पटेल को ढोते रही, जबकि ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले भी वह कुछ खास नहीं कर पा रहे थे। खासकर जडेजा की तुलना में तो कहीं नहीं टिकते। यहां सिर्फ राहुल तेवतिया नहीं हैं, शार्दुल ठाकुर, दीपक चाहर के रूप में दो अन्य विकल्प भी हैं, जो ऑलराउंडर के तौर पर बेहतरीन विकल्प हो सकते थे। हालांकि, इनके नामों पर चर्चा हुई होगी ऐसा कह नहीं सकते।

अब बात करते हैं पेसर्स की… ओह माफ करिएगा गेंदबाजी की, क्योंकि तेज गेंदबाजी जैसा कुछ है नहीं। भुवनेश्वर और मोहम्मद शमी के पास रफ्तार नहीं है तो अर्शदीप दूसरे छोर पर सीनियर गेंदबाजों को पिटते देख हवा हो गए। ऑस्ट्रेलिया में जहां स्विंग मिला वहां तो भुवनेश्वर कमाल करने में सफल रहे, लेकिन जहां पिच से मदद नहीं मिली तो बल्लेबाजों ने मार-मारकर तेज गेंदबाज होने का भ्रम दूर कर दिया। हर्षल पटेल टीम में थे, लेकिन वह इंटरनेशनल लेवल पर इतना पिट चुके थे कि रोहित शर्मा उन्हें उतारने का रिस्क नहीं लेना चाहते रहे होंगे।

हां, सारे विभागों की बात हो रही है तो विकेटकीपिंग की भी बात कर लें। दिनेश कार्तिक को फिनिशर के रोल के तौर पर रखा गया। उनसे निदाहास ट्रॉफी जैसे कारनामे की उम्मीद थी तो वह पाकिस्तान के खिलाफ अहम मौके पर फुस्स हो गए। वह तो भला हो रविचंद्रन अश्विन की चतुराई का, वर्ना भारत वहीं हार गया था। दूसरी ओर, युवा विकेटकीपर ऋषभ पंत खराब फॉर्म में थे तो उन्हें टीम में रखा गया, लेकिन उस तरह से सपोर्ट नहीं मिला जिस तरह से केएल राहुल और विराट कोहली को बुरे वक्त में मिला था। कुल मिलाकर यह सबसे कमजोर कड़ी रही।

अब बात करते हैं उस अहम मुद्दे की, जिससे शुरुआत की गई थी। रोहित शर्मा खुद फॉर्म में नहीं दिखे। न तो उनके बल्ले पर उस तरह से गेंद लगती दिखी और न तो वह मैदान पर कोहली की तरह खुद से लड़ते दिखे। कोहली फॉर्म में नहीं थे तो एक जुनून था उनके अंदर। एक भूख थी, जो उन्हें अंदर से सपोर्ट कर रही थी। दूसरी ओर, रोहित शर्मा की कप्तानी में भी वह धार नहीं दिखी, जिसके लिए वह जाने जाते हैं। एक लाइन में कहा जाय तो इसमें कोई शक नहीं कि फैंस से कहीं अधिक इस हार से हताश और निराश टीम इंडिया होगी, लेकिन जिन मुद्दों पर टीम इंडिया फेल हुई वह कतई ऐसे नहीं थे, जिन्हें स्पॉट नहीं किया जा सकता था। इस हार के लिए भी वही जिम्मेदार हैं और उनके आंसू फैंस के लिए छलावा हैं। लाखों खर्च करके स्टेडियम पहुंचने वाले या फिर टीवी टकटकी लगाकर एक-एक गेंद पर इमोशन में बहने वाले फैंस ठगे गए हैं। यकीन मानिए टीम के सिलेक्शन में मनमानी जब तक चलती रहेगी तब तक फैंस छले जाते रहेंगे।