T20 World Cup: थके हुए पैर और दर्द से भरी पीठ किसी भी एथलीट के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं। विरोधी से भी ज्यादा। मगर भारतीय क्रिकेट टीम अपने पेसर्स का खास ध्यान रख रही है
एडिलेड: ऑस्ट्रेलिया में जारी टी-20 वर्ल्ड कप में हेड कोच राहुल द्रविड़, कप्तान रोहित शर्मा और सुपरस्टार बल्लेबाज विराट कोहली ने तेज गेंदबाजों के लिए अपनी बिजनेस क्लास फ्लाइट सीट छोड़ दी है। भारतीय टीम मैनेजमेंट का स्पष्ट मानना है कि मोहम्मद शमी, अर्शदीप सिंह, भुवनेश्वर कुमार और हार्दिक पंड्या को भरपूर आराम मिल पाए, जिससे वह टूर्नामेंट के दौरान तरो-ताजा रहे। भारतीय टीम के एक सहयोगी स्टाफ ने एडिलेड पहुंचने पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘टूर्नामेंट से पहले हमने तय किया था कि तेज गेंदबाजों को मैदान पर सबसे ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है, इसलिए उन्हें अपने प्रैक्टिस के बाद पैरों को फैलाने की भी जरूरत होगी।’
फ्लाइट में आराम देने का प्लान
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के मानदंडों के अनुसार, हर टीम को चार बिजनेस-क्लास सीटें मिलती हैं। अधिकांश टीमें ये सीटें अपने कोच, कप्तान, उप-कप्तान और मैनेजर को देती हैं, लेकिन जैसे ही भारतीय थिंकटैंक को पता चला कि उन्हें हर तीसरे या चौथे दिन यात्रा करनी होगी तो यह निर्णय लिया गया कि फ्लाइट की सबसे अच्छी चार सीटें मेहनती तेज गेंदबाजों को दी जाएगी।
34 हजार किमी का सफर
जब तक भारतीय टीम अपना अभियान समाप्त करेगी, तब तक विश्व टी-20 टूर में लगभग 34,000 किमी का सफर तय हो चुका होगा। इस दौरान तीन अलग-अलग टाइम जोन भी देखा गया। इन जगहों पर कभी गर्म हवाएं चलती हैं तो कभी बर्फीली। कभी बारिश हो रही होती है तो कभी कुछ और। इन लगातार बदलती परिस्थितियों में तेज गेंदबाजों के अनफिट होने का भी खतरा रहता है। भारतीय टीम के गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे ने बताया कि कैसे खिलाड़ियों को मैच से पहले तैयार करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही।
नींद पूरी नहीं कर पा रहे खिलाड़ी
विश्व कप में भारत का कार्यक्रम इतना व्यस्त रहा है कि पहले मैच में पाकिस्तान पर रोमांचक जीत का जश्न भी नहीं मन पाया कि अगली सुबह फ्लाइट पकड़ ली। हर मैच के बाद खिलाड़ियों से अपेक्षा की जाती है कि वो अपना सामान पैक करके कमरों के बाहर रख दें ताकि इसे हवाई अड्डे पर जल्दी ले जाया जा सके। कई खिलाड़ी पूरी नींद तक नहीं ले पा रहे हैं। फिजियो और ट्रेनर तेज गेंदबाजों और स्पिनरों की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लगातार ट्रेवलिंग का बोझ उन पर न पड़े और उन्हें पर्याप्त रिकवरी मिले। खिलाड़ियों को यह छूट दी गई है कि अगर उन्हें लगता है कि उन्हें रेस्ट की जरूरत है तो वे अभ्यास के लिए नहीं आएंगे।